🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌱🌱ब्रज की वार्ता 🌱🌱
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌹 निताई गौर हरिबोल🌹
🌻🌻 नाम संख्या 🌻🌻
👀 वैष्णवों में दोष देखना
कोई अच्छा वैष्णव ही ना दीखना दूसरों की आलोचना आत्मनिरीक्षण का अभाव संप्रदाय, सिद्धांत ,एवं अन्य मतों के प्रति दुर्भाव, द्वेष ,
अपनी लापरवाही का दोष कलयुग, समय, देश ,काल, पर मड़ना, तथा
सामान्य ,लोकिक राग, द्वेष ,अहंकार, कटुता, दुषट्ता, एवं
😎 समूह में महत्वपूर्ण एवं अलग दिखने की बढती चाह का एक ही कारण है ।
🌚 हमारे चित की मलिनता ।
हमारे चित्त पर जमी हुई जन्म जन्मांतर की मैल से हमारा चित मैला हो चुका है । गंदगी की अनेक परतों से दूषित हो चुका है हमारा चित ।
🌕 कोई चिंता नहीं,
मैला हुआ है तो डिटर्जेंट भी है । प्रभु ने उपाय भी बताया है
" चेतो दर्पण मार्जन" ।
वह उपाय हैं नाम संकीर्तन ।।
🎼 नाम संकीर्तन से भी सरल उपाय है_ नाम जप
नाम जप और वह भी यदि संख्या सहित किया जाए तो चित् की मलिनता दूर होकर चित् शुद्ध हो जाता हैl और सारी कुटिलताए दूर होकर आत्म निरीक्षण होने लगता है..
🔜 नाम जप की संख्या में 16 माला तो कम से कम है.| भले ही दो चार माला का नियम लो लेकिन नियम अवश्य हो। उसे पूरा करो और यदि पूरा होने लगे तो धीरे-धीरे बढ़ाते जाओ और जहां तक ले जा सको ले जाओ।
😳 और संख्या पूर्वक एवं बिना संख्या पूर्वक का अन्तर अनुभव करो।
✔🍁यह निश्चित है - यह होगा संख्या पूर्वक से । बिना नियम एवं संख्या के करने से पहले संख्या में निष्ठा होगी। फिर कल्याण होगा बिना संख्या के होगा तो सही -समय अनेक गुणा लगेगा । आज से ही संख्या निश्चित करके जप शुरु कर दो, फिर देखो कमाल।।
🏠जैसे घरों में दिन में एक बार मार्जन #पोछा लगता है और एयरपोर्ट व हॉस्पिटल में पूरे दिन पोछा लगता है।
1⃣6⃣ इसी प्रकार 16 माला तो एक होनी ही है।- रोज की गंदगी को साफ करने के लिए । अधिक सफाई करनी है तो अधिक माला करनी होगी। यह निश्चित है कि गंदगी# मलिनता बहुत अधिक है।।
✅ इसका तात्पर्य यह है कि हमें जप तो करना ही है लेकिन संख्या सहित ।संख्या निर्धारित करने पर संख्या बढ़ाते रहना है । एक ही संख्या पर रुकना नहीं बल्कि संख्या बढ़ाते हुए जप को बढ़ाते हुए अपनी स्प्रिचुअल ग्रोथ को आगे बढ़ाना है।।
🌺जय श्री राधे
🌺जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन.
प्रस्तुति 🔔 श्यामा किंकरी शालू
🌱🌱ब्रज की वार्ता 🌱🌱
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌹 निताई गौर हरिबोल🌹
🌻🌻 नाम संख्या 🌻🌻
👀 वैष्णवों में दोष देखना
कोई अच्छा वैष्णव ही ना दीखना दूसरों की आलोचना आत्मनिरीक्षण का अभाव संप्रदाय, सिद्धांत ,एवं अन्य मतों के प्रति दुर्भाव, द्वेष ,
अपनी लापरवाही का दोष कलयुग, समय, देश ,काल, पर मड़ना, तथा
सामान्य ,लोकिक राग, द्वेष ,अहंकार, कटुता, दुषट्ता, एवं
😎 समूह में महत्वपूर्ण एवं अलग दिखने की बढती चाह का एक ही कारण है ।
🌚 हमारे चित की मलिनता ।
हमारे चित्त पर जमी हुई जन्म जन्मांतर की मैल से हमारा चित मैला हो चुका है । गंदगी की अनेक परतों से दूषित हो चुका है हमारा चित ।
🌕 कोई चिंता नहीं,
मैला हुआ है तो डिटर्जेंट भी है । प्रभु ने उपाय भी बताया है
" चेतो दर्पण मार्जन" ।
वह उपाय हैं नाम संकीर्तन ।।
🎼 नाम संकीर्तन से भी सरल उपाय है_ नाम जप
नाम जप और वह भी यदि संख्या सहित किया जाए तो चित् की मलिनता दूर होकर चित् शुद्ध हो जाता हैl और सारी कुटिलताए दूर होकर आत्म निरीक्षण होने लगता है..
🔜 नाम जप की संख्या में 16 माला तो कम से कम है.| भले ही दो चार माला का नियम लो लेकिन नियम अवश्य हो। उसे पूरा करो और यदि पूरा होने लगे तो धीरे-धीरे बढ़ाते जाओ और जहां तक ले जा सको ले जाओ।
😳 और संख्या पूर्वक एवं बिना संख्या पूर्वक का अन्तर अनुभव करो।
✔🍁यह निश्चित है - यह होगा संख्या पूर्वक से । बिना नियम एवं संख्या के करने से पहले संख्या में निष्ठा होगी। फिर कल्याण होगा बिना संख्या के होगा तो सही -समय अनेक गुणा लगेगा । आज से ही संख्या निश्चित करके जप शुरु कर दो, फिर देखो कमाल।।
🏠जैसे घरों में दिन में एक बार मार्जन #पोछा लगता है और एयरपोर्ट व हॉस्पिटल में पूरे दिन पोछा लगता है।
1⃣6⃣ इसी प्रकार 16 माला तो एक होनी ही है।- रोज की गंदगी को साफ करने के लिए । अधिक सफाई करनी है तो अधिक माला करनी होगी। यह निश्चित है कि गंदगी# मलिनता बहुत अधिक है।।
✅ इसका तात्पर्य यह है कि हमें जप तो करना ही है लेकिन संख्या सहित ।संख्या निर्धारित करने पर संख्या बढ़ाते रहना है । एक ही संख्या पर रुकना नहीं बल्कि संख्या बढ़ाते हुए जप को बढ़ाते हुए अपनी स्प्रिचुअल ग्रोथ को आगे बढ़ाना है।।
🌺जय श्री राधे
🌺जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन.
प्रस्तुति 🔔 श्यामा किंकरी शालू
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