[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: •¡✽🌿﹏*)🍁(*﹏🌿✽¡•
🍁 संत जन कहते है कि भगवान अपना अपराध सहन कर सकते हैं लेकिन संत का अपमान सहन नहीं कर सकते l हिरण्यकशिपु ने भगवान का विरोध किया भगवान कुछ नही बोले l जब हिरण्यकशिपु ने भक्त प्रह्लाद को सताना शुरू किया तब भगवान स्तम्भ से प्रकट हुए l
🍁 इसलिये संतो ऋषियों की निंदा से बचो l अकारण निंदा करोगे तो हमारे दुष्कृत्य से ही भगवान की अवकृपा होती है l किसी की भी निंदा न करें और उसमे संतो ऋषियों की तो कभी भी नहीं l
🍁 हम सब भी निंदा से बचते हुए प्रभुभक्ति से जीवन को प्रकाशित करे l भक्ति ही भगवान तक ले जायेगी l
✏ मालिनी
¥﹏*)•🍁•(*﹏¥
•🌿✽🌿•
•🍁कृष्णमयरात्रि🍁•
•|🌿श्रीकृष्णायसमर्पणं🌿|•
•🍁जैश्रीराधेश्याम🍁•
•🌿✽🌿•
¥﹏*)•🍁•(*﹏¥
•¡✽🌿﹏*)🍁(*﹏🌿✽¡•
[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
Dwaarka m
ऐश्वर्य सर्वाधिक ह । मुख्य है
मथुरा में
ऐश्वर्य है लेकिन माधुर्य भी है
वृन्दाबन में
केवल माधुर्य है
[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
✽🌿﹏*)(*🌺*)(*﹏🌿✽
1⃣9⃣*1⃣2⃣*1⃣5⃣
शनिवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष अष्टमी
•ө•
◆~🌺~◆
◆!🌿जयनिताई🌿!◆
•🌺 गौरांग महाप्रभु 🌺•
◆!🌿 श्री चैतन्य 🌿!◆
◆~🌺~◆
•ө•
❗अध्यापक निमाई❗
🌿 कुछ दिन पीछे आपने एक पाठशाला का संचालन किया l सोलह वर्ष के अध्यापक निमाई ने अनेक विद्यार्थियों को अपनी शक्ति से पंडित बना दिया l नवद्वीप के विख्यात विद्धान श्री मुरारि गुप्त तो आपकी विद्या वैभव को देखकर लटटू हो गये और श्री मुकुन्द दत्त आदि बड़े बड़े विद्वान इनसे आँख बचाकर निकल जाते l
❗जय शची नंदन गौर हरि जय मालाधारी
जय नवद्वीप बिहारी जय कल्मष हारी❗
🌺 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
•🌿✽🌿•
•🌺सुप्रभात🌺•
•|🌿श्रीकृष्णायसमर्पणं🌿|•
•🌺जैश्रीराधेश्याम🌺•
•🌿✽🌿•
¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
✽🌿﹏*)(*🌺*)(*﹏🌿✽
[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
ना जाने
कोैन सी
दवा है आप
सबके पास
कुछ पल
साथ
गुजार लूं
तो सुकून सा
मिलता है
और
बड़ा ही
सरल है,
कुछ मैं
तुम्हारी
मान लूँ,
और कुछ
तुम मनवा लो ।
शांति ही शांति
जय श्री राधे । जय निताई
[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🎉
अपना ध्यान राखिये
आप या हम🎎
जब बीमार पड़ते हैं । तो हमे जितना कष्ट होता है । उससे अनेक गुना कष्ट 😩हमारे आस पास के परिवारी जनों को होता ह ।
हमारे कारण किसी को कष्ट न हो । यह भावना रखते हुए सदा ही चेष्टा सहित अपने शारीर का ध्यान रखें । लापरवाही न करें ।
💊💊 समय पर दवा एवम् भोजन का ध्यान रखें । इसमें भावना दूसरों के कष्ट की । अपनी सुंदरता या बुड्ढे होने का भय नही ।👴🏻
शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्
शरीर से ही भजन होता है । और आप ध्यान से नॉट करें की सबसे पहले कुछ छूटता है तो भजन ।
💧🐠💧🐠💧
अतः भजन के लिए एवम् दूसरों को कष्ट न हो । ये भावना रखते हुए सदा अपने को स्वस्थ रखें
अपना ध्यान राखिये
💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻
समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे । जय निताई
[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 12
🔴सार का सार🔴
⚡पुरुषार्थ क्या है⚡
👳🏻पुरुषार्थ कहते हैं- पुरुष होने का अर्थ, उद्देश्य ।
👪 जीवन मिलने का परम उद्देश्य क्या है। क्या जन्मना, शादी, बच्चे, कमाई, बुढ़ापा- मरना यही जीवन का उद्देश्य है।
💰नहीं तो क्या वर्ण एवं आश्रम के धर्म का पालन, अर्थ- पैसा कमाना, कामनाओं की पूर्ति या अधिक से अधिक मोक्ष= धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति ही पुरुषार्थ है ?
🌹नहीं ।कदापि नहीं । इन चारों के अतिरिक्त एक पंचम- महान् पुरुषार्थ है- 'प्रेम' ।
👳🏻😳👴🏻 और प्रेम भी लड़का💃🏻 लड़की । माता पिता या अन्य संसारी लोगों 🎎👬से नही । कदापि नहीं । इन सबका प्रेम स्वार्थ 🚗 पर टिका है । इसलिए स्वार्थ पूरा न होने पर ये प्रेम । क्लेश में बदलते देखते हैं रोज़ हम ।
😡😠 वही माँ । जिसे हम प्राण🍼 प्यारे थे । मुह बना कर कहती है । ये तो बीबी 😏🙎का गुलाम है । इसलिए प्रेम केवल और केवल कृष्ण से ।
🌷इस जीवन की प्राप्ति उस दुर्लभ श्रीकृष्ण- प्रेम प्राप्ति के लिए ही हुई है।
💐 यहाँ तक कि श्रीकृष्ण को भी प्राप्त नहीं करना है । जी हाँ कान खड़े करके सुनिए ।👂🏻👂🏻
🌞हमें श्रीकृष्ण- प्रेम प्राप्त करना है । श्री कृष्ण तो पूतना, कंस, दुर्योधन आदि असुरों को भी प्राप्त हुए थे।
🔆हमें श्रीकृष्ण- प्रेम प्राप्त करना है यही हमारा पुरुषार्थ है।
❄ पंचम पुरुषार्थ प्रेम या भक्ति में ही जीवन को लगा लो तो तुम्हारा पुरूष होना (पुरुषार्थ) सफल हो जाएगा।
क्रमशः.........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से
✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
जीवन प्राण हमारे रहो
पहने यह कुण्डल यूँ ही रहो
अलकावली यूँ ही संवारे रहो
अधरामृत पान कराते हुए
कर कंज में मुरली धारे रहो
नहीं और विशेष करो कुछ तो
अनियारे दृगों से निहारे रहो
कहीँ जाओ न प्यारे छोड़ हमें
बनि जीवन प्राण हमारे रहो ....
एडिटेड
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 2⃣8⃣
🌿प्रेम के प्रकार 🌿
🐚भक्ति यद्यपि त्रिगुणातीत है
लेकिन फिर भी गुणों के आधार पर :
🌷तीन प्रकार की है 🌷
💎सात्विक
इस प्रेम में केवल देना ही देना स्वभाव बन जाता है । उसका सुख, उसकी अनुकूलता, इसे ही भक्ति या शुद्ध प्रेम कह सकते हैं । उसके लिए सब कुछ।
🌵राजसिक
इस प्रेम में लेना व देना दोनों चलते हैं। मैंने तुमको इतना प्रेम किया- बदले में तुमने मुझे क्या दिया ? यही सिला दिया मेरे प्यार का ?
📯तामसिक
प्रेम के कारण जान देने या लेने उतारू हो जाना । जैसे कि आंतकवादी, उसे भी कुछ ना कुछ प्रेम हो जाता है कि वह उसके लिए दूसरे की जान लेने और अपनी जान देने को तैयार रहता है ।
🚩सर्वोत्तम : प्रेम -भक्ति
और इन तीनों से परे श्रीकृष्ण की अनुकूलतामयी स्वसुख गंध लेश शून्य जो क्रिया है - वह सर्वोत्तम प्रेम है । इसी का नाम भक्ति है ।
🌿 पुराण 🌿
🙌श्रीमद्भागवत के अनुसार 18 पुराणों के नाम इस प्रकार हैं
🌕 ब्रहम पुराण
🐾 पद्म पुराण
🐚 विष्णु पुराण
🔔 शिव पुराण
🌑 लिंग पुराण
🐌 गरुड़ पुराण
👳🏻 नारद पुराण
📖 भागवत महापुराण
🔥 अग्नि पुराण
💡 स्कंद पुराण
⌚ भविष्य पुराण
📈 ब्रह्मवैवर्त पुराण
📕 मार्कंडेय पुराण
👶🏻 वामन पुराण
🐺 वराह पुराण
🐠 मत्स्य पुराण
🐗 कुर्म पुराण
🐚 ब्रम्हांड पुराण
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 'परिप्रश्नेन सेवया'
अर्थात साधु । गुरु की सर्वोत्तम सेवा है कि उससे भजन । साधन विषय में प्रश्न करो ।
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
B । बहुत
A । अच्छी
R । रूहानी
F । फीलिंग
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: •
¡✽🌿﹏)(🍂)(﹏🌿✽¡•
2⃣0⃣*1⃣2⃣*1⃣5⃣
रविवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष दशमी
•ө•
◆~🍂~◆
◆!🌿जयनिताई🌿!◆
•🍂 गौरांग महाप्रभु 🍂•
◆!🌿 श्री चैतन्य 🌿!◆
◆~🍂~◆
•ө•
❗दिग्विजयी मिलन❗
🌿 श्री केशव कश्मीरी सब जगह शास्त्रार्थ करता हुआ विद्वानों के गढ़ नवद्वीप में आया lवहाँ समस्त विद्वान उसके साथ शास्त्रार्थ करने से घबड़ाये परन्तु श्री गौरांग ने उसे परास्त कर दिया l दुखित चित्त से उसने अपनी इष्ट सरस्वती देवी का स्मरण किया l देवी ने बताया कि गौरांग सर्वेश्वर है और मेरे स्वामी और इष्ट हैं l तुम उनकी कृपा प्राप्त करो l
🌿 दिग्विजयी जी श्री महाप्रभु की शरण में आये l श्री गौरांग ने बताया कि विद्या का फल श्री भगवान की भक्ति लोगो का हित एवं मानव धर्मो का पालन करना है l उसी समय दिग्विजयी भगवद् भजन करने के लिए मथुरा मण्डल चले आये l
🌿 निमाई की नवद्वीप के सब लोग प्रशंसा करते थे लेकिन श्री गदाधर श्री वासादि भक्तितत्ववेत्ता भक्तिशास्त्रवेत्ता बड़े दुखी होते थे कि निमाई में भक्ति का कुछ भी लक्षण नहीं थे l वे कहा करते यदि श्री निमाई में कृष्ण भक्ति उदित हो उठे तो अनेक बहिर्मुख लोगो का उद्धार हो जावे lश्री निमाई कहते कि आप मुझे ऐसा आशीर्वाद दीजिये l भक्तो की कृपा के बिना आपके आशीर्वाद के बिना भक्ति कैसे प्राप्त हो सकती है ❓
🌿 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🍂•(*﹏¥
•🌿✽🌿•
•🍂सुप्रभात🍂•
•|🌿श्रीकृष्णायसमर्पणं🌿|•
•🍂जैश्रीराधेश्याम🍂•
•🌿✽🌿•
¥﹏*)•🍂•(*﹏¥
•¡✽🌿﹏)(🍂)(﹏🌿✽¡•
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
एकादशी
कल 21 दिस को एकादशी है
🍎🍏🍊🍌🍈🍑🍓🍉
कुछ खाना या कुछ न खाना का नाम एकादशी नही है
🎸🎸🎸 सब कुछ को सेकेंडरी करते हुए 15 दिन में एक बार आज भजन को प्राथमिकता देने का नाम एकादशी है
आज अधिक भजन करना है
जेसे सन्डे का मुख्य काम रेस्ट
मस्ती है । उसी तरह एकादशी का मुख्य काम भजन ।
भजन में मन लगे । खाने खिलाने में समय व्यर्थ न हो । इसलिए खाने की या तो छुट्टी । या
🍎फल
🍁फूल
🍌कंद
🍐मूल
दूध आदि से शरीर रक्षा करते हुए भजन में अधिक से अधिक समय देना ही एकादशी है
😌😌 सोने से पूर्व अधिक भजन । रात्रि जागरण ।
आज से योजना बनाइये ।
समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे । जय निताई
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
yiuitu
Y । ये
I । इतना
U । उत्तम
I । इक
T । ताप निवारक
U। । उपाय है
जय श्री राधे
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
OOHAFGJKLBCR
O । ओहो
O ।और क्यो ?ं
H । हरिनाम
a । आश्रय
G । गान
J । जगत का
k । कल्याण
L । लायक
B । बहुत
C । चिन्मय । चंगा
R । रास्ता है
जय श्री राधे
प्रत्येक शब्द शब्द में प्रभु हैं
उनका गुणगान है बेटे ।
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 13
🔴सार का सार🔴
🍃किसका मत है🍃
🍁यह सब जो बताया-
इसके प्रवर्तक कौन है यह किसका मत है-
💐'श्रीमन्महाप्रभोर्मतमिदम्- यह श्रीमन्महाप्रभु श्रीकृष्ण- चैतन्यदेव का मत है,
🎷जो श्री राधाकृष्ण मिलित स्वयं श्री ब्रजेंद्रनंदन कृष्ण हैं ।
🔱न:= हम सभी इनके इस मत का पर:= परम आदर करते हैं और इसी मत अनुसार अपने जीवन को चलाने का, उपासना का अभ्यास करते हैं। प्रयास करते हैं ।
✖माध्व मत नहीं✖
🌿यहाँ यह बात भी स्पष्ट है कि हमारा मत श्री चैतन्यमत है।
माध्व मत नहीं है।
🌴न ही माध्व और चैतन्य का मिश्रण है -इसीलिए हमारी संप्रदाय भी श्रीचैतन्य संप्रदाय ही है या देश या इलाके की दृष्टी से गौड़ीय संप्रदाय है।
💎महाप्रभु श्रीचैतन्य का जन्म 'गौड़' प्रदेश में हुआ था, गौड़ देश से ही महाप्रभु के इस मत का प्रचार-प्रसार उदघोष हुआ इसलिए इसे 'गौड़ीय' कहने में कोई हर्ज नहीं है, उचित है ।
🌾लेकिन 'माध्व-गौड़ीय' या माध्व-गौडेश्वर' कहना तो कोरा भ्रम ही नहीं, अत्यधिक असंगत है ।
🎈🎈पूर्व में गौड़ीय सम्प्रदाय का अपना भाष्य नही था । बाद में अभी लगभग 300 वर्ष पूर्व श्री बलदेव विद्याभूषण से साक्षात श्री गोविन्द देव जू ने श्री गोविन्द भाष्य प्रकट कराया ।
💧💧और गौड़ीय सम्प्रदाय का प्रामाणिक आधार भी प्रस्तुत हुआ
😳😳माध्व सम्प्रदाय में ब्रह्मा को सर्व श्रेष्ठ भक्त एवम् गोपी गण को निकृष्ट 👄चरित्रहीन नारियां कहा गया है । जबकि
🎌🎌गौड़ीय सम्प्रदाय में गोपियाँ प्रेम की ध्वजा हैं । प्रेम का उदाहरण हैं हमारी सारी उपासना गोपियों के आनुगत्य में है ।
😌ब्रह्मा भक्त तो हैं लेकिन ब्रह्म मोहन लीला के कारण ब्रह्मा को ब्रजवासियों का अपराधी कहा जाता है ।
क्रमशः.........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से
✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
🍁 संत जन कहते है कि भगवान अपना अपराध सहन कर सकते हैं लेकिन संत का अपमान सहन नहीं कर सकते l हिरण्यकशिपु ने भगवान का विरोध किया भगवान कुछ नही बोले l जब हिरण्यकशिपु ने भक्त प्रह्लाद को सताना शुरू किया तब भगवान स्तम्भ से प्रकट हुए l
🍁 इसलिये संतो ऋषियों की निंदा से बचो l अकारण निंदा करोगे तो हमारे दुष्कृत्य से ही भगवान की अवकृपा होती है l किसी की भी निंदा न करें और उसमे संतो ऋषियों की तो कभी भी नहीं l
🍁 हम सब भी निंदा से बचते हुए प्रभुभक्ति से जीवन को प्रकाशित करे l भक्ति ही भगवान तक ले जायेगी l
✏ मालिनी
¥﹏*)•🍁•(*﹏¥
•🌿✽🌿•
•🍁कृष्णमयरात्रि🍁•
•|🌿श्रीकृष्णायसमर्पणं🌿|•
•🍁जैश्रीराधेश्याम🍁•
•🌿✽🌿•
¥﹏*)•🍁•(*﹏¥
•¡✽🌿﹏*)🍁(*﹏🌿✽¡•
[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
Dwaarka m
ऐश्वर्य सर्वाधिक ह । मुख्य है
मथुरा में
ऐश्वर्य है लेकिन माधुर्य भी है
वृन्दाबन में
केवल माधुर्य है
[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
✽🌿﹏*)(*🌺*)(*﹏🌿✽
1⃣9⃣*1⃣2⃣*1⃣5⃣
शनिवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष अष्टमी
•ө•
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◆!🌿जयनिताई🌿!◆
•🌺 गौरांग महाप्रभु 🌺•
◆!🌿 श्री चैतन्य 🌿!◆
◆~🌺~◆
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❗अध्यापक निमाई❗
🌿 कुछ दिन पीछे आपने एक पाठशाला का संचालन किया l सोलह वर्ष के अध्यापक निमाई ने अनेक विद्यार्थियों को अपनी शक्ति से पंडित बना दिया l नवद्वीप के विख्यात विद्धान श्री मुरारि गुप्त तो आपकी विद्या वैभव को देखकर लटटू हो गये और श्री मुकुन्द दत्त आदि बड़े बड़े विद्वान इनसे आँख बचाकर निकल जाते l
❗जय शची नंदन गौर हरि जय मालाधारी
जय नवद्वीप बिहारी जय कल्मष हारी❗
🌺 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
•🌿✽🌿•
•🌺सुप्रभात🌺•
•|🌿श्रीकृष्णायसमर्पणं🌿|•
•🌺जैश्रीराधेश्याम🌺•
•🌿✽🌿•
¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
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[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
ना जाने
कोैन सी
दवा है आप
सबके पास
कुछ पल
साथ
गुजार लूं
तो सुकून सा
मिलता है
और
बड़ा ही
सरल है,
कुछ मैं
तुम्हारी
मान लूँ,
और कुछ
तुम मनवा लो ।
शांति ही शांति
जय श्री राधे । जय निताई
[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🎉
अपना ध्यान राखिये
आप या हम🎎
जब बीमार पड़ते हैं । तो हमे जितना कष्ट होता है । उससे अनेक गुना कष्ट 😩हमारे आस पास के परिवारी जनों को होता ह ।
हमारे कारण किसी को कष्ट न हो । यह भावना रखते हुए सदा ही चेष्टा सहित अपने शारीर का ध्यान रखें । लापरवाही न करें ।
💊💊 समय पर दवा एवम् भोजन का ध्यान रखें । इसमें भावना दूसरों के कष्ट की । अपनी सुंदरता या बुड्ढे होने का भय नही ।👴🏻
शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्
शरीर से ही भजन होता है । और आप ध्यान से नॉट करें की सबसे पहले कुछ छूटता है तो भजन ।
💧🐠💧🐠💧
अतः भजन के लिए एवम् दूसरों को कष्ट न हो । ये भावना रखते हुए सदा अपने को स्वस्थ रखें
अपना ध्यान राखिये
💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻
समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे । जय निताई
[15:24, 12/19/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 12
🔴सार का सार🔴
⚡पुरुषार्थ क्या है⚡
👳🏻पुरुषार्थ कहते हैं- पुरुष होने का अर्थ, उद्देश्य ।
👪 जीवन मिलने का परम उद्देश्य क्या है। क्या जन्मना, शादी, बच्चे, कमाई, बुढ़ापा- मरना यही जीवन का उद्देश्य है।
💰नहीं तो क्या वर्ण एवं आश्रम के धर्म का पालन, अर्थ- पैसा कमाना, कामनाओं की पूर्ति या अधिक से अधिक मोक्ष= धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति ही पुरुषार्थ है ?
🌹नहीं ।कदापि नहीं । इन चारों के अतिरिक्त एक पंचम- महान् पुरुषार्थ है- 'प्रेम' ।
👳🏻😳👴🏻 और प्रेम भी लड़का💃🏻 लड़की । माता पिता या अन्य संसारी लोगों 🎎👬से नही । कदापि नहीं । इन सबका प्रेम स्वार्थ 🚗 पर टिका है । इसलिए स्वार्थ पूरा न होने पर ये प्रेम । क्लेश में बदलते देखते हैं रोज़ हम ।
😡😠 वही माँ । जिसे हम प्राण🍼 प्यारे थे । मुह बना कर कहती है । ये तो बीबी 😏🙎का गुलाम है । इसलिए प्रेम केवल और केवल कृष्ण से ।
🌷इस जीवन की प्राप्ति उस दुर्लभ श्रीकृष्ण- प्रेम प्राप्ति के लिए ही हुई है।
💐 यहाँ तक कि श्रीकृष्ण को भी प्राप्त नहीं करना है । जी हाँ कान खड़े करके सुनिए ।👂🏻👂🏻
🌞हमें श्रीकृष्ण- प्रेम प्राप्त करना है । श्री कृष्ण तो पूतना, कंस, दुर्योधन आदि असुरों को भी प्राप्त हुए थे।
🔆हमें श्रीकृष्ण- प्रेम प्राप्त करना है यही हमारा पुरुषार्थ है।
❄ पंचम पुरुषार्थ प्रेम या भक्ति में ही जीवन को लगा लो तो तुम्हारा पुरूष होना (पुरुषार्थ) सफल हो जाएगा।
क्रमशः.........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से
✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
जीवन प्राण हमारे रहो
पहने यह कुण्डल यूँ ही रहो
अलकावली यूँ ही संवारे रहो
अधरामृत पान कराते हुए
कर कंज में मुरली धारे रहो
नहीं और विशेष करो कुछ तो
अनियारे दृगों से निहारे रहो
कहीँ जाओ न प्यारे छोड़ हमें
बनि जीवन प्राण हमारे रहो ....
एडिटेड
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 2⃣8⃣
🌿प्रेम के प्रकार 🌿
🐚भक्ति यद्यपि त्रिगुणातीत है
लेकिन फिर भी गुणों के आधार पर :
🌷तीन प्रकार की है 🌷
💎सात्विक
इस प्रेम में केवल देना ही देना स्वभाव बन जाता है । उसका सुख, उसकी अनुकूलता, इसे ही भक्ति या शुद्ध प्रेम कह सकते हैं । उसके लिए सब कुछ।
🌵राजसिक
इस प्रेम में लेना व देना दोनों चलते हैं। मैंने तुमको इतना प्रेम किया- बदले में तुमने मुझे क्या दिया ? यही सिला दिया मेरे प्यार का ?
📯तामसिक
प्रेम के कारण जान देने या लेने उतारू हो जाना । जैसे कि आंतकवादी, उसे भी कुछ ना कुछ प्रेम हो जाता है कि वह उसके लिए दूसरे की जान लेने और अपनी जान देने को तैयार रहता है ।
🚩सर्वोत्तम : प्रेम -भक्ति
और इन तीनों से परे श्रीकृष्ण की अनुकूलतामयी स्वसुख गंध लेश शून्य जो क्रिया है - वह सर्वोत्तम प्रेम है । इसी का नाम भक्ति है ।
🌿 पुराण 🌿
🙌श्रीमद्भागवत के अनुसार 18 पुराणों के नाम इस प्रकार हैं
🌕 ब्रहम पुराण
🐾 पद्म पुराण
🐚 विष्णु पुराण
🔔 शिव पुराण
🌑 लिंग पुराण
🐌 गरुड़ पुराण
👳🏻 नारद पुराण
📖 भागवत महापुराण
🔥 अग्नि पुराण
💡 स्कंद पुराण
⌚ भविष्य पुराण
📈 ब्रह्मवैवर्त पुराण
📕 मार्कंडेय पुराण
👶🏻 वामन पुराण
🐺 वराह पुराण
🐠 मत्स्य पुराण
🐗 कुर्म पुराण
🐚 ब्रम्हांड पुराण
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 'परिप्रश्नेन सेवया'
अर्थात साधु । गुरु की सर्वोत्तम सेवा है कि उससे भजन । साधन विषय में प्रश्न करो ।
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
B । बहुत
A । अच्छी
R । रूहानी
F । फीलिंग
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: •
¡✽🌿﹏)(🍂)(﹏🌿✽¡•
2⃣0⃣*1⃣2⃣*1⃣5⃣
रविवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष दशमी
•ө•
◆~🍂~◆
◆!🌿जयनिताई🌿!◆
•🍂 गौरांग महाप्रभु 🍂•
◆!🌿 श्री चैतन्य 🌿!◆
◆~🍂~◆
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❗दिग्विजयी मिलन❗
🌿 श्री केशव कश्मीरी सब जगह शास्त्रार्थ करता हुआ विद्वानों के गढ़ नवद्वीप में आया lवहाँ समस्त विद्वान उसके साथ शास्त्रार्थ करने से घबड़ाये परन्तु श्री गौरांग ने उसे परास्त कर दिया l दुखित चित्त से उसने अपनी इष्ट सरस्वती देवी का स्मरण किया l देवी ने बताया कि गौरांग सर्वेश्वर है और मेरे स्वामी और इष्ट हैं l तुम उनकी कृपा प्राप्त करो l
🌿 दिग्विजयी जी श्री महाप्रभु की शरण में आये l श्री गौरांग ने बताया कि विद्या का फल श्री भगवान की भक्ति लोगो का हित एवं मानव धर्मो का पालन करना है l उसी समय दिग्विजयी भगवद् भजन करने के लिए मथुरा मण्डल चले आये l
🌿 निमाई की नवद्वीप के सब लोग प्रशंसा करते थे लेकिन श्री गदाधर श्री वासादि भक्तितत्ववेत्ता भक्तिशास्त्रवेत्ता बड़े दुखी होते थे कि निमाई में भक्ति का कुछ भी लक्षण नहीं थे l वे कहा करते यदि श्री निमाई में कृष्ण भक्ति उदित हो उठे तो अनेक बहिर्मुख लोगो का उद्धार हो जावे lश्री निमाई कहते कि आप मुझे ऐसा आशीर्वाद दीजिये l भक्तो की कृपा के बिना आपके आशीर्वाद के बिना भक्ति कैसे प्राप्त हो सकती है ❓
🌿 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
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•🍂सुप्रभात🍂•
•|🌿श्रीकृष्णायसमर्पणं🌿|•
•🍂जैश्रीराधेश्याम🍂•
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[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
एकादशी
कल 21 दिस को एकादशी है
🍎🍏🍊🍌🍈🍑🍓🍉
कुछ खाना या कुछ न खाना का नाम एकादशी नही है
🎸🎸🎸 सब कुछ को सेकेंडरी करते हुए 15 दिन में एक बार आज भजन को प्राथमिकता देने का नाम एकादशी है
आज अधिक भजन करना है
जेसे सन्डे का मुख्य काम रेस्ट
मस्ती है । उसी तरह एकादशी का मुख्य काम भजन ।
भजन में मन लगे । खाने खिलाने में समय व्यर्थ न हो । इसलिए खाने की या तो छुट्टी । या
🍎फल
🍁फूल
🍌कंद
🍐मूल
दूध आदि से शरीर रक्षा करते हुए भजन में अधिक से अधिक समय देना ही एकादशी है
😌😌 सोने से पूर्व अधिक भजन । रात्रि जागरण ।
आज से योजना बनाइये ।
समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे । जय निताई
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
yiuitu
Y । ये
I । इतना
U । उत्तम
I । इक
T । ताप निवारक
U। । उपाय है
जय श्री राधे
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
OOHAFGJKLBCR
O । ओहो
O ।और क्यो ?ं
H । हरिनाम
a । आश्रय
G । गान
J । जगत का
k । कल्याण
L । लायक
B । बहुत
C । चिन्मय । चंगा
R । रास्ता है
जय श्री राधे
प्रत्येक शब्द शब्द में प्रभु हैं
उनका गुणगान है बेटे ।
[15:07, 12/20/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 13
🔴सार का सार🔴
🍃किसका मत है🍃
🍁यह सब जो बताया-
इसके प्रवर्तक कौन है यह किसका मत है-
💐'श्रीमन्महाप्रभोर्मतमिदम्- यह श्रीमन्महाप्रभु श्रीकृष्ण- चैतन्यदेव का मत है,
🎷जो श्री राधाकृष्ण मिलित स्वयं श्री ब्रजेंद्रनंदन कृष्ण हैं ।
🔱न:= हम सभी इनके इस मत का पर:= परम आदर करते हैं और इसी मत अनुसार अपने जीवन को चलाने का, उपासना का अभ्यास करते हैं। प्रयास करते हैं ।
✖माध्व मत नहीं✖
🌿यहाँ यह बात भी स्पष्ट है कि हमारा मत श्री चैतन्यमत है।
माध्व मत नहीं है।
🌴न ही माध्व और चैतन्य का मिश्रण है -इसीलिए हमारी संप्रदाय भी श्रीचैतन्य संप्रदाय ही है या देश या इलाके की दृष्टी से गौड़ीय संप्रदाय है।
💎महाप्रभु श्रीचैतन्य का जन्म 'गौड़' प्रदेश में हुआ था, गौड़ देश से ही महाप्रभु के इस मत का प्रचार-प्रसार उदघोष हुआ इसलिए इसे 'गौड़ीय' कहने में कोई हर्ज नहीं है, उचित है ।
🌾लेकिन 'माध्व-गौड़ीय' या माध्व-गौडेश्वर' कहना तो कोरा भ्रम ही नहीं, अत्यधिक असंगत है ।
🎈🎈पूर्व में गौड़ीय सम्प्रदाय का अपना भाष्य नही था । बाद में अभी लगभग 300 वर्ष पूर्व श्री बलदेव विद्याभूषण से साक्षात श्री गोविन्द देव जू ने श्री गोविन्द भाष्य प्रकट कराया ।
💧💧और गौड़ीय सम्प्रदाय का प्रामाणिक आधार भी प्रस्तुत हुआ
😳😳माध्व सम्प्रदाय में ब्रह्मा को सर्व श्रेष्ठ भक्त एवम् गोपी गण को निकृष्ट 👄चरित्रहीन नारियां कहा गया है । जबकि
🎌🎌गौड़ीय सम्प्रदाय में गोपियाँ प्रेम की ध्वजा हैं । प्रेम का उदाहरण हैं हमारी सारी उपासना गोपियों के आनुगत्य में है ।
😌ब्रह्मा भक्त तो हैं लेकिन ब्रह्म मोहन लीला के कारण ब्रह्मा को ब्रजवासियों का अपराधी कहा जाता है ।
क्रमशः.........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से
✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
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