📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣4⃣
🌿 क्रोध कैसे कम हो ?🌿
🐝मधुमक्खियां जिस बाग़ से मधु एकत्र करती हैं, उस बाग में यदि नीम के पेड़ अधिक है तो उस मधु में नीम के गुण भी आ जाते हैं। मधु के गुण तो होते ही हैं।
🌹इसी प्रकार गुलाब के, गेंदा के, अथवा अन्य किसी के गुण उस मधु में होते हैं। साधारणतया वह मधु ही है। लेबोरेटरी में इस सूक्ष्मता का पता चलता है।
💥इसी प्रकार हमारे शरीर में बहने वाला रक्त साधारणतया एक जैसा ही लगता है । लेकिन जो भोजन हम करते हैं, उसका प्रभाव उस रक्त पर पड़ता है, अपितु उसी भोजन का वैसा ही रक्त बनता है ।
🍲यदि भोजन तामसिक है तो रक्त तामसिक बनेगा । रक्त तामसिक होगा तो हमारा आचरण, सोच , बर्ताव , क्रिया सभी कुछ तामसिक होगा । सभी कुछ तामसिक होने पर क्रोध होगा ही । अतः क्रोध या तमोगुण कम करना है तो अपने भोजन को ठीक करना होगा।
👀 और हमे सर्वप्रथम यह भी देखना है कि हमारा धन शुद्ध है कि नहीं । यह न्याय से अर्जित है या रिश्वत से । आटे में नमक है या भैंस समेत खोया ?
🔎अतः हम सदैव चेष्टाशील रहे की हमारा धन शुद्ध हो । धन शुद्ध होगा तो अन्न शुद्ध होगा। अन्न शुद्ध होगा तो मन वातावरण सब शुद्ध होगा । और होगा सर्वत्र आनंद ही आनंद।
📌इस प्रकार हमारी इस कथा का संक्षेप में यही अर्थ है कि भाई
💵जैसा होगा धन
🍲वैसा होगा अन्न और
💝वैसा होगा मन
बहुत पुरानी कहावत है
जय श्री राधे। जय निताई
लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣4⃣
🌿 क्रोध कैसे कम हो ?🌿
🐝मधुमक्खियां जिस बाग़ से मधु एकत्र करती हैं, उस बाग में यदि नीम के पेड़ अधिक है तो उस मधु में नीम के गुण भी आ जाते हैं। मधु के गुण तो होते ही हैं।
🌹इसी प्रकार गुलाब के, गेंदा के, अथवा अन्य किसी के गुण उस मधु में होते हैं। साधारणतया वह मधु ही है। लेबोरेटरी में इस सूक्ष्मता का पता चलता है।
💥इसी प्रकार हमारे शरीर में बहने वाला रक्त साधारणतया एक जैसा ही लगता है । लेकिन जो भोजन हम करते हैं, उसका प्रभाव उस रक्त पर पड़ता है, अपितु उसी भोजन का वैसा ही रक्त बनता है ।
🍲यदि भोजन तामसिक है तो रक्त तामसिक बनेगा । रक्त तामसिक होगा तो हमारा आचरण, सोच , बर्ताव , क्रिया सभी कुछ तामसिक होगा । सभी कुछ तामसिक होने पर क्रोध होगा ही । अतः क्रोध या तमोगुण कम करना है तो अपने भोजन को ठीक करना होगा।
👀 और हमे सर्वप्रथम यह भी देखना है कि हमारा धन शुद्ध है कि नहीं । यह न्याय से अर्जित है या रिश्वत से । आटे में नमक है या भैंस समेत खोया ?
🔎अतः हम सदैव चेष्टाशील रहे की हमारा धन शुद्ध हो । धन शुद्ध होगा तो अन्न शुद्ध होगा। अन्न शुद्ध होगा तो मन वातावरण सब शुद्ध होगा । और होगा सर्वत्र आनंद ही आनंद।
📌इस प्रकार हमारी इस कथा का संक्षेप में यही अर्थ है कि भाई
💵जैसा होगा धन
🍲वैसा होगा अन्न और
💝वैसा होगा मन
बहुत पुरानी कहावत है
जय श्री राधे। जय निताई
लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
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