Friday 31 March 2017

वेश दीक्षा

वेश दीक्षा


​ ✔  *वेश दीक्षा*    ✔

▶ एक वैष्णव को जब अध्यात्म में, भजन में प्रवेश करना होता है, सबसे पहले उसको भजन, भगवान, भक्ति, अध्यात्म में श्रद्धा होती है ।

▶ श्रद्धा के बाद भगवान के भक्ति में, भजन में लगे हुए वैष्णव जन, साधु जन का वह संग करता है। साधु जन का संग करने से उसको अनेक साधु वैष्णव में से किसी एक का आश्रय ग्रहण करना पड़ता है ।

▶ क्योंकि अध्यात्म में भी अनेक मत हैं । अनेक संप्रदाय हैं । अनेकों उपास्य हैं । अनेक उपासना हैं । उन सब में से कुछ एक चुनना पड़ता है ।

▶ यह कोई बुराई नहीं है । यह ईश्वर द्वारा प्रदत्त जीव की रुचि के लिए विविधता प्रदान की गई  है ।

Friday 24 March 2017

Suksham Sutra Part 43



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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 4️⃣3️⃣

💡 जो अप्राप्त है उसे न प्राप्त कर
पाने की खिन्नता से अच्छा है
जो प्राप्त है उसका सदुपयोग
करना और उसी में आनन्द
पाने की चेष्टा करना

Sunday 19 March 2017

Suksham Sutra Part 42

Suksham Sutra Part 42


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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 4️⃣2️⃣

💡 मृत्यु के बाद किसी से
बिछुड़ना
ईश्वर का विधान है परन्तु
जीते जी अपनों से बिछुड़ना
आपका अपना संविधान है

Thursday 16 March 2017

Aadhyatmik Mane Kya

Aadhyatmik Mane Kya


 ✔  *आध्यात्मिक माने क्या*    ✔

▶ तीन चर्चाएं हैं ।

▶ आधिदैविक,
जिसमें देवी देवताओं के बारे में चर्चा है ।

▶ आधिभौतिक,
जिसमें शरीर, पंचभौतिक इस जगत, कार, बंगले, सुख-समृद्धि आदि के बारे में चर्चा है ।

▶ आध्यात्मिक
इसमें यह जो हमारी आत्मा है जिसको हम दार्शनिक भाषा में जीव कहते हैं और जो जीव श्रीकृष्ण का अंश है, उस जीवात्मा की चर्चा है ।

Wednesday 15 March 2017

Granth Prichay : ShriVilapKusumanjli

​​
ShriVilapKusumanjli

📖 ग्रन्थ    परिचय 6⃣3⃣    📖
💢 ग्रन्थ   नाम : श्रीविलापकुसुमंजली    
💢 लेखक  : श्रीपाद रघुनाथ दास 
💢 भाषा : संस्कृत-हिंदी अनुवाद |
ब्रजविभूति श्रीश्यामदास
 
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी
💢 पृष्ठ     : 88  सॉफ्ट      बाउंड
💢 मूल्य    : 30  रूपये
💢 विषय वस्तु : प्रार्थनायुक्त अनुपम ग्रन्थ
                         टीका सहित
💢 कोड : M063 -Ed2
💢 प्राप्ति    स्थान:
1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस
📬 डाक द्वारा । 0068021415
पोस्टेज फ्री
📗🔸📘🔹📙🔶📔

Saturday 11 March 2017

Dasabhas Kahin 11317



​​🙌🏼      🙏🏼     🙌🏼      🔏🔓
🎪जय गौर हरि🎪

📮📮कुछ जिज्ञासाएँ❓
💽💽💽उनके समाधान....।
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📮करवाचौथ का व्रत।

 http://yourlisten.com/Dasabhas/karva

💽⏰01:50
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📮अक्षत,हल्दी और कुमकुम के बारे में।

http://yourlisten.com/Dasabhas/kumkum

💽⏰02:19
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📮एक फोन वार्ता। क्या हमारा भगवान् के साथ कभी संगती हुई है?

http://yourlisten.com/Dasabhas/kyahum

💽⏰20:55
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📮जब आत्मा नहीं मरती, फिर सवर्ग नर्क में यातनाये या सुख कैसे कोई ले सकता है।

http://yourlisten.com/Dasabhas/atma

💽⏰02:22
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📮कर्म और प्रारब्ध।

http://yourlisten.com/Dasabhas/karmodb

💽⏰04:22
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📮खाटु श्याम जी के बारे में।

http://yourlisten.com/Dasabhas/khatu-2

💽⏰02:30
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📮एक उपासना और एक भजन।

http://yourlisten.com/Dasabhas/khichadi

💽⏰06:37
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📮गरुड़ गोविन्द जी का मन्दिर कहाँ और उसका माहात्म्य।

http://yourlisten.com/Dasabhas/garud-2


💽⏰04:49
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🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
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⚠⚠⚠⚠
   

Wednesday 8 March 2017

Mahima Bina Shrddha Asmabhav

Mahima Bina Shrddha Asmabhav


​ ✔  *महिमा के बिना श्रद्धा असंभव*    ✔

▶ किसी भी व्यक्ति वस्तु की जब तक हमें महिमा का ज्ञान ना हो तब तक हम उसे सामान्य रुप में लेते हैं ।

और किसी ने कहा इनको नमस्ते करो तो हम नमस्ते कर देते हैं । लेकिन जब हमें पता चलता है कि यह कोई

▶ अच्छा संत है या
कोई राजनेता है या
हमारी कॉलोनी का चेयरमैन है या
हमारे पिताजी का मित्र है या
यह एक सज्जन व्यक्ति है

Friday 3 March 2017

Suksham Sutra Part 41



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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 4️⃣1️⃣

💡 यदि शरीर में कष्ट आने पर
आपको वह कष्ट बहुत अधिक
भासता है आप बहुत अधिक
बेचैन हो जाते हैं
तो समझिये आपका
देह में बहुत अधिक अध्यास है
और इसके विपरीत जिसका
देहाध्यास कम हो जाता है
उसे कष्ट भुत कम भासते है.

Thursday 2 March 2017

Niyam Bhang Nahi Hoga

Niyam Bhang Nahi Hoga


 ✔  *नियम भंग नही होगा*    ✔

▶ हम जैसे प्रतिदिन श्री तुलसी जी की परिक्रमा करते हैं और तुलसी जी को सुबह शाम दीपक अर्पण करते हैं ।

▶ कदाचित हमें अपना नगर छोड़कर बाहर जाना पड़ा और हम यह कहते हैं कि हमारी यह परिक्रमा और दीपक का नियम टूट जाएगा ।

▶ इस विषय में शास्त्र का आदेश है कि आपके घर की तुलसी और दासाभास के घर की तुलसी एक ही बात है ।

▶ आप यदि अपना घर छोड़ कर दासाभास के घर आए हैं तो यहाँ घर में विराजमान तुलसी की परिक्रमा करें और दीपक जलाए तो आप का नियम भंग नहीं होगा ।

▶ ऐसे ही आपके ठाकुर आपके घर में विराजमान हैं आप उनके सामने बैठकर जो भी पूजा अर्चना करती हैं ।

▶ आप वहां से मेरे घर आ गए तो मेरे ठाकुर के घर में बैठकर पूजा अर्चना कर सकती हैं । आप का नियम भंग नहीं होगा ।

▶ हां यह आवश्यक है कि आपके घर में जो ठाकुर हैं उनकी सेवा पूजा की व्यवस्था करके आएं ऐसा ना हो कि आपके ठाकुर तो ताले में 4 दिन बंद रहे । और आप मेरे ठाकुर की सेवा पूजा करते रहें तो यह सेवा अपराध माना जाएगा ।

▶ ऐसे ही अन्य नियम जो भी है वह देश बदलने पर दूसरे स्थान पर उनको यदि किया जाए तो नियम भंग नहीं माना जाता है ।

▶ लाला बाबू के चरित्र में ऐसी ही कथा आती है । ल्ाला बाबू एक सिद्ध संत हुए हैं । उन्होंने मंदिर बनवाया । श्री विग्रह प्रतिष्ठित करवाया ।

▶ श्रीविग्रह के बाकायदा हृदय पर हाथ रख के स्पंदन को महसूस किया ।

नाक के सामने रुई रखकर और मस्तक पर मक्खन रखकर जब उन्हें यह पक्का हो गया के मेरे ठाकुर विग्रह में विराजमान हो गए तभी उन्होंने सेवा पूजा प्रारंभ की ।

▶ आज भी वह मंदिर धाम में है । प्रभु ने एक बार उनको आदेश दिया कि आप जाओ और ब्रज के मंदिर तीर्थ स्थानों के लीलास्थलियोन के दर्शन कर आओ ।

▶ लाला बाबू ने कहा । प्रभु आप तो यहां विराजते हो । मेरे जागृत ठाकुर तो आप ही हो । आप जागृत भी हो । मैं आपको छोड़कर कैसे जाऊं ?

▶ तो स्वयं ठाकुर ने कहा जैसे मैं यहां जागृत हूं ऐसे हो जो जो व्रज की स्थलियां हैं । वह मेरे से कम जागृत नहीं है ।

▶ आप इन लीला स्थलियों का सेवन करो । मैं अपनी व्यवस्था अपने आप करूंगा । आपके जो नियम हैं । वह आप कहीं भी किसी भी स्थान पर कर सकते हैं । आप के नियम भंग नहीं होंगे ।

▶ तब लाला बाबू अपने मंदिर को छोड़ के 84 कोस ब्रज में भ्रमण करते रहे । लीला स्थलियों के दर्शन  करते रहे ।

▶ इस विषय में स्थान परिवर्तन या देश परिवर्तन से जहां भी आप हैं अपने नियम को वहां एक तरफ बैठ कर पूरा कर सकते हैं ।

▶ क्योंकि कृष्ण विभु हैं । वह सर्वत्र व्याप्त है । और आपके जो ठाकुर है दासाभास ने अनेक बार निवेदन किया है कि उसको हृदय में बैठाने का प्रयास करें ।

▶ जब आप आंख बंद करें तो आपके सेवित श्री विग्रह आपको दीखने चाहिए , आप कहीं भी रहे आंख बंद करके आप अपने श्रीविग्रह से लाड़ लड़ा सकते हैं ।

▶ अवश्य अपने श्रीविग्रह को हृदय में धारण करने का प्रयास करेंगे तो वह सदा हमारे साथ रहेंगे ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn