15479
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 2⃣6⃣
🌿पाप का फल
परिवार नहीं भोगेगा?🌿
👵🏻 बाल्मीकि एक व्याध या बहेलिया थे। वृक्षों पर बैठने वाले पक्षियों का शिकार करना - उसे पकाकर खाना, बेचना यह उनका स्वभाविक कर्म था। इसी से वे परिवार का पालन पोषण करते थे।
👳🏻 एक दिन वहां से गुजरते समय नारद ने देखा तो पूछा कि तुम जो यह काम करते हो - यह जीव हिंसा है और यह पाप है। यद्यपि उनकी समझ में बात कहां आनी थी ; लेकिन भगवान के 'मन' नारद जब किसी को समझाना चाहे, और समझ में आए - ऐसा तो नहीं हो सकता ।
🙉अतः क्षण भर में यह समझ आ गया कि यह पाप है ।
👪वाल्मीकि ने कहा कि यह पाप मैं केवल अपने पेट के लिए नहीं करता हूं , मेरे माता - पिता, पत्नी -पुत्र आदि है । वे - सभी थोड़ा-थोड़ा फल भोगेगे।
👽नारद ने कहा - जरा तुम पूछ लो - क्या वे तैयार है । वाल्मीकि ने जब पूछा तो सभी बोले - हम क्यों भागेंगे, तुम पाप करते हो तो तुम भोगोगे ।
👀बाल्मीकि की आंखें खुल गई । प्रभु कृपा करें हमारी भी खुल जाए
✔भले ही परिवार -पालन के लिए सही, जो भी झूठ फरेब, छल, कपट, मक्कारी अन्याय हम करते हैं, उसका फल हमें ही भोगना है - दूसरा नहीं भोगेगा।
📌यह निश्चित है । अतः आज से ही सावधान होने की आवश्यकता है । और दूसरे के लिए पाप कमाने में तो समझदारी क्या है?
🎧वाल्मीकि के समझ आने पर पाप से मुक्ति के उपाय पूछने पर नारद ने कहा -'राम' 'राम' जपो।
👂वाल्मीकि ने कहा- मैंने तो जीवन भर 'मरा' 'मरा' सुना है । और मारा ही है। नारद बोले- ' मरा ' 'मरा' ही जपो। इनका नाम कुछ और था
🎍इन्होंने अन्न जल त्याग कर हजारों वर्ष तक एक आसन पर इतना जप किया कि इनके शरीर के इर्द गिर्द मिट्टी की एक परत जम गयी और उस पर दीमक चीटियां लग गई ।
⛳ उस ऐसे ढेर को 'वाल्मीकि' कहते हैं ।
📝इसी से इनका नाम बाल्मीकि हुआ। इन्होंने संस्कृत में रामायण की रचना की ।
🍃पुनः दूसरे जन्म में तुलसी बनकर रामचरित मानस की हिंदी में रचना की,
🙏जो जग पूज्य है।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
✽🌿﹏*)(*🌺*)(*﹏🌿✽
1⃣8⃣*1⃣2⃣*1⃣5⃣
शुक्रवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष सप्तमी
•ө•
◆~🌺~◆
◆!🌿जयनिताई🌿!◆
•🌺 गौरांग महाप्रभु 🌺•
◆!🌿 श्री चैतन्य 🌿!◆
◆~🌺~◆
•ө•
❗मान प्रदाता गौर❗
🌿 श्री गौरांग न्याय व्याकरण एवं अलंकार शास्त्र के अद्वितीय विद्वान थे l आपने न्याय शास्त्र पर एक टिप्पणी ग्रन्थ लिखा l इनके सहपाठी ने भी दिधति नामक ग्रन्थ लिखा lजब श्री रघुनाथ को श्री गौरांग द्वारा लिखित ग्रन्थ का पता चला तो उसने देखने की उत्कट इच्छा हुई l ग्रन्थ देखकर श्री रघुनाथ का गर्व चूर चूर हो गया और दुखी होकर रोने लगा l
🌺 गौरांग ने उसी समय अपना ग्रन्थ गंगा में डाल दिया यह कहकर कि रघुनाथ तुम्हारा ही ग्रन्थ समादृत हो तुम कष्ट मत पाओ l आज से मैं तुम्हारी प्रसन्नता के लिए न्याय पाठ को ही छोड़ देता हूँ lआपने न्याय शास्त्र का अध्ययन छोड़ दिया l आपने श्री रघुनाथ का मानवर्द्धन करते हुए उसे तृणवत् त्याग दिया l
❗विद्या का अभिमान बड़ा दुसत्यज होता है ❗
🌺 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
•🌿✽🌿•
•🌺सुप्रभात🌺•
•|🌿श्रीकृष्णायसमर्पणं🌿|•
•🌺जैश्रीराधेश्याम🌺•
•🌿✽🌿•
¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
✽🌿﹏*)(*🌺*)(*﹏🌿✽
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
भाव
भाव यदि शास्त्रीय या उचित
हों तो स्थायी होते हैं
परिणाम देने वाले होते हैं
अन्यथा आनंद आता तो है
लेकिन स्थिरता नही होती ।
भटकन बनी रहती है । क्योकि
हमे पता नही है । लेकिन प्रभु तो जानते हैं
ये उचित अनुचित का ज्ञान वेसे तो अनुचित करते करते पता चल जाता ह एक दिन अपने आप
लेकिन जन्म लग जाते हैं
इसके लिए गुरुजन । वरिष्ठजन
अनुभविजन। एवम् सर्व श्रेष्ठ है ग्रन्थ । ग्रन्थ शास्त्र अध्ययन से वास्तविक मार्ग मिलता है ।
समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम ।
जय श्री राधे । जय निताई
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🎈जय हो🎈
🎌 🎌 श्री राधा रानी के व्रज रखवारी के बारे में एक फैक्ट और भी है जो बहुत जन जानते है और बहुत नही जानते ।
🔨🔨वृन्दाबनं में जो शासन है
प्रशासन है उसकी अधीश्वरी राधा रानी हैं ।
🎎 एक बार इस विषय में सब सखा सखियों में बहस छिड़ गयी कि राजा कौन ।
👳🏻सखा बोले नंदलाल कृष्ण ही राजा हैं । और कौन ।
💃🏻सखिया बोली । राजा हैं
हमारी राधा रानी ।
👬👬👬👬👬👬👬
सखा एवम् सखियों की सभा हुई
👭👭👭👭👭👭👭
सबने अपने अपने तर्क रखे ।
कृष्ण एवम् सखा हार गए । हार स्वीकार की । एवम् सर्व सम्मति से स्वयं कृष्ण एवम् सखाओं ने
श्री प्रिया जी का तिलक व 🔔🔔राज्याभिषेक किया ।
💃🏻तब से श्री राधारानी ही ब्रज की रानी हैं । प्रशासक हैं । व्रज रखवारी हैं ।
📙📘📗 इस पूरी लीला का वर्णन माधव महोत्सव नामक ग्रन्थ में श्री जीव गोस्वामी जी ने किया है । प्रामाणिक ग्रन्थ है । काल्पनिक नहीं ।
जय श्री राधे । जय निताई
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
क्रोध
😠 पितामह भीष्म ने समय पर क्रोध नहीं किया और
😡 जटायु ने समय पर क्रोध किया।
परिणामस्वरुप .........
एक को बाणों की ⚡⚡शैय्या मिली और एक को प्रभु श्रीराम की गोद🌺🌺
😠😡 अतः क्रोध भी उचित है, जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए
😷😷 और सहनशीलता भी अनुचित है, जब वह धर्म और मर्यादा को बचा ना पाये।
जय श्री राधे ।जय निताई
एडिटेड
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 11
🔴सार का सार🔴
❓प्रमाण क्या है❓
💧 बोले- यह जो उपासना है इसका कोई प्रमाण भी है या मनमाने ढंग से जो मर्जी आए करते रहो ।
📚अथवा उपासना के साथ- साथ तुम्हारा कोई प्रमाण ग्रंथ भी है ?
📖जी हाँ हमारा प्रमाण ग्रंथ है- 'श्रीमद्भागवत'।
❄और वह श्रीमद्भागवत 'अ+मल' अमल है यानि मल रहित है। मल वह होता है जिसका त्याग करना होता है।
💦श्रीमद्भागवत में ऐसा एक भी शब्द नहीं जिसे छोड़ना पड़े या जिसका त्याग करना पड़े।
🔷श्रीमद्भागवत से पूर्व के जितने भी पुराण हैं वे सब 'समल' हैं।
🔵 इसलिए व्यास- देव को शांति नहीं मिली ।जब उन्होंने मलरहित 'अमल' इस श्रीमद् भागवत की रचना की तो उन्हें परम शांति की प्राप्ति हुई।
🔆 ऐसा अमल -ग्रंथ रत्न श्रीमद्भागवत हमारा प्रमाण- ग्रंथ है । प्रमाण का अर्थ या भाव है कि जब एक ही बात दो ग्रंथों में वर्णित है और दोनों में एकरूपता नही है तो किस ग्रन्थ की बात माननी चाहिए ।
📕📕विशेषकर दोनों ही वेदव्यास जी द्वारा प्रचारित हों । तो क्योंकि हमारा प्रमाण ग्रन्थ श्री मद्भागवत है । इसलिए हम श्रीमद् भागवत की ही बात मानेंगे ।
💃🏻💃🏻और श्रीमद्भागवत
तेनेयं वांगमयी मूर्ति
अर्थात श्री कृष्ण की शब्द मयी मूर्ति या विग्रह है ।
🌂इस मत के स्थापक कौन हैं
इसकी चर्चा कल करेंगे
क्रमशः.........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से
✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 2⃣7⃣
🌿ध्रुव की भक्ति🌿
🙌भगवान की भक्ति करते हुए अपने लिए कुछ मांगना शतप्रतिशत भक्ति नहीं है । सकाम भक्ति है । लेकिन सकाम भक्ति करते- करते एक अवसर ऐसा आता है कि भक्त विशुध भक्ति तक पहुंच कर भगवान के श्री चरणों की सेवा के अतिरिक्त कुछ नहीं मांगता ।
🙏ना करने से बेहतर है, सकाम भक्ति ही सही ...., भक्ति करो, ध्रुव को जब उनकी सौतेली मां ने दुत्कार दिया तो ध्रुव ने भगवान की उपासना शुरू की। कामना यही थी कि मुझे पिता से बड़ा राज्य मिले, और पिता स्वयं मुझे गोदी में बिठाने के लिए बुलाए ।
🌻लेकिन भक्ति भजन करते- करते जब भगवान प्रकट हुए, कहा वर मांगो तो ध्रुव ने कहा कि जब आपके श्री चरणों के दर्शन हो गए तो अब क्या राज्य और क्या गोदी?
🙌मुझे तो अपने श्री चरणों की सेवा दे दीजिए ।
🐚प्रभु ने कहा ध्रुव तुम निश्चित ही मेरी सेवा के अधिकारी हो। लेकिन तुम ने जिस कामना के लिए भक्ति प्रारंभ की थी वह भी पूर्ण करूंगा
🏬भगवान ने विशाल राज्य दिया । हजारों वर्षो तक ध्रुव ने राज्य सुख होगा और अंत में मृत्यु के सिर पर पैर रखकर भगवद् धाम को गए और आज भी तारामंडल में दर्शनीय है ।
🐾सकाम भक्ति वाला विशुद्ध भक्ति तक पहुंचता तो है लेकिन उसे देर लगती है । बीच का समय या अनेक-अनेक जन्म कामना पूर्ति में नष्ट हो जाता है ।
🌹अतः जल्दी प्रभु चरण प्राप्ति हेतु विशुद्ध भक्ति पर केंद्रित करना चाहिए। कामनाओं का अंत नहीं है इन्हें छोड़ना ही पड़ता है
💐छोड़ना चाहिए भी
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 2⃣6⃣
🌿पाप का फल
परिवार नहीं भोगेगा?🌿
👵🏻 बाल्मीकि एक व्याध या बहेलिया थे। वृक्षों पर बैठने वाले पक्षियों का शिकार करना - उसे पकाकर खाना, बेचना यह उनका स्वभाविक कर्म था। इसी से वे परिवार का पालन पोषण करते थे।
👳🏻 एक दिन वहां से गुजरते समय नारद ने देखा तो पूछा कि तुम जो यह काम करते हो - यह जीव हिंसा है और यह पाप है। यद्यपि उनकी समझ में बात कहां आनी थी ; लेकिन भगवान के 'मन' नारद जब किसी को समझाना चाहे, और समझ में आए - ऐसा तो नहीं हो सकता ।
🙉अतः क्षण भर में यह समझ आ गया कि यह पाप है ।
👪वाल्मीकि ने कहा कि यह पाप मैं केवल अपने पेट के लिए नहीं करता हूं , मेरे माता - पिता, पत्नी -पुत्र आदि है । वे - सभी थोड़ा-थोड़ा फल भोगेगे।
👽नारद ने कहा - जरा तुम पूछ लो - क्या वे तैयार है । वाल्मीकि ने जब पूछा तो सभी बोले - हम क्यों भागेंगे, तुम पाप करते हो तो तुम भोगोगे ।
👀बाल्मीकि की आंखें खुल गई । प्रभु कृपा करें हमारी भी खुल जाए
✔भले ही परिवार -पालन के लिए सही, जो भी झूठ फरेब, छल, कपट, मक्कारी अन्याय हम करते हैं, उसका फल हमें ही भोगना है - दूसरा नहीं भोगेगा।
📌यह निश्चित है । अतः आज से ही सावधान होने की आवश्यकता है । और दूसरे के लिए पाप कमाने में तो समझदारी क्या है?
🎧वाल्मीकि के समझ आने पर पाप से मुक्ति के उपाय पूछने पर नारद ने कहा -'राम' 'राम' जपो।
👂वाल्मीकि ने कहा- मैंने तो जीवन भर 'मरा' 'मरा' सुना है । और मारा ही है। नारद बोले- ' मरा ' 'मरा' ही जपो। इनका नाम कुछ और था
🎍इन्होंने अन्न जल त्याग कर हजारों वर्ष तक एक आसन पर इतना जप किया कि इनके शरीर के इर्द गिर्द मिट्टी की एक परत जम गयी और उस पर दीमक चीटियां लग गई ।
⛳ उस ऐसे ढेर को 'वाल्मीकि' कहते हैं ।
📝इसी से इनका नाम बाल्मीकि हुआ। इन्होंने संस्कृत में रामायण की रचना की ।
🍃पुनः दूसरे जन्म में तुलसी बनकर रामचरित मानस की हिंदी में रचना की,
🙏जो जग पूज्य है।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
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शुक्रवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष सप्तमी
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◆!🌿जयनिताई🌿!◆
•🌺 गौरांग महाप्रभु 🌺•
◆!🌿 श्री चैतन्य 🌿!◆
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❗मान प्रदाता गौर❗
🌿 श्री गौरांग न्याय व्याकरण एवं अलंकार शास्त्र के अद्वितीय विद्वान थे l आपने न्याय शास्त्र पर एक टिप्पणी ग्रन्थ लिखा l इनके सहपाठी ने भी दिधति नामक ग्रन्थ लिखा lजब श्री रघुनाथ को श्री गौरांग द्वारा लिखित ग्रन्थ का पता चला तो उसने देखने की उत्कट इच्छा हुई l ग्रन्थ देखकर श्री रघुनाथ का गर्व चूर चूर हो गया और दुखी होकर रोने लगा l
🌺 गौरांग ने उसी समय अपना ग्रन्थ गंगा में डाल दिया यह कहकर कि रघुनाथ तुम्हारा ही ग्रन्थ समादृत हो तुम कष्ट मत पाओ l आज से मैं तुम्हारी प्रसन्नता के लिए न्याय पाठ को ही छोड़ देता हूँ lआपने न्याय शास्त्र का अध्ययन छोड़ दिया l आपने श्री रघुनाथ का मानवर्द्धन करते हुए उसे तृणवत् त्याग दिया l
❗विद्या का अभिमान बड़ा दुसत्यज होता है ❗
🌺 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
•🌿✽🌿•
•🌺सुप्रभात🌺•
•|🌿श्रीकृष्णायसमर्पणं🌿|•
•🌺जैश्रीराधेश्याम🌺•
•🌿✽🌿•
¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
✽🌿﹏*)(*🌺*)(*﹏🌿✽
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
भाव
भाव यदि शास्त्रीय या उचित
हों तो स्थायी होते हैं
परिणाम देने वाले होते हैं
अन्यथा आनंद आता तो है
लेकिन स्थिरता नही होती ।
भटकन बनी रहती है । क्योकि
हमे पता नही है । लेकिन प्रभु तो जानते हैं
ये उचित अनुचित का ज्ञान वेसे तो अनुचित करते करते पता चल जाता ह एक दिन अपने आप
लेकिन जन्म लग जाते हैं
इसके लिए गुरुजन । वरिष्ठजन
अनुभविजन। एवम् सर्व श्रेष्ठ है ग्रन्थ । ग्रन्थ शास्त्र अध्ययन से वास्तविक मार्ग मिलता है ।
समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम ।
जय श्री राधे । जय निताई
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🎈जय हो🎈
🎌 🎌 श्री राधा रानी के व्रज रखवारी के बारे में एक फैक्ट और भी है जो बहुत जन जानते है और बहुत नही जानते ।
🔨🔨वृन्दाबनं में जो शासन है
प्रशासन है उसकी अधीश्वरी राधा रानी हैं ।
🎎 एक बार इस विषय में सब सखा सखियों में बहस छिड़ गयी कि राजा कौन ।
👳🏻सखा बोले नंदलाल कृष्ण ही राजा हैं । और कौन ।
💃🏻सखिया बोली । राजा हैं
हमारी राधा रानी ।
👬👬👬👬👬👬👬
सखा एवम् सखियों की सभा हुई
👭👭👭👭👭👭👭
सबने अपने अपने तर्क रखे ।
कृष्ण एवम् सखा हार गए । हार स्वीकार की । एवम् सर्व सम्मति से स्वयं कृष्ण एवम् सखाओं ने
श्री प्रिया जी का तिलक व 🔔🔔राज्याभिषेक किया ।
💃🏻तब से श्री राधारानी ही ब्रज की रानी हैं । प्रशासक हैं । व्रज रखवारी हैं ।
📙📘📗 इस पूरी लीला का वर्णन माधव महोत्सव नामक ग्रन्थ में श्री जीव गोस्वामी जी ने किया है । प्रामाणिक ग्रन्थ है । काल्पनिक नहीं ।
जय श्री राधे । जय निताई
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
क्रोध
😠 पितामह भीष्म ने समय पर क्रोध नहीं किया और
😡 जटायु ने समय पर क्रोध किया।
परिणामस्वरुप .........
एक को बाणों की ⚡⚡शैय्या मिली और एक को प्रभु श्रीराम की गोद🌺🌺
😠😡 अतः क्रोध भी उचित है, जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए
😷😷 और सहनशीलता भी अनुचित है, जब वह धर्म और मर्यादा को बचा ना पाये।
जय श्री राधे ।जय निताई
एडिटेड
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 11
🔴सार का सार🔴
❓प्रमाण क्या है❓
💧 बोले- यह जो उपासना है इसका कोई प्रमाण भी है या मनमाने ढंग से जो मर्जी आए करते रहो ।
📚अथवा उपासना के साथ- साथ तुम्हारा कोई प्रमाण ग्रंथ भी है ?
📖जी हाँ हमारा प्रमाण ग्रंथ है- 'श्रीमद्भागवत'।
❄और वह श्रीमद्भागवत 'अ+मल' अमल है यानि मल रहित है। मल वह होता है जिसका त्याग करना होता है।
💦श्रीमद्भागवत में ऐसा एक भी शब्द नहीं जिसे छोड़ना पड़े या जिसका त्याग करना पड़े।
🔷श्रीमद्भागवत से पूर्व के जितने भी पुराण हैं वे सब 'समल' हैं।
🔵 इसलिए व्यास- देव को शांति नहीं मिली ।जब उन्होंने मलरहित 'अमल' इस श्रीमद् भागवत की रचना की तो उन्हें परम शांति की प्राप्ति हुई।
🔆 ऐसा अमल -ग्रंथ रत्न श्रीमद्भागवत हमारा प्रमाण- ग्रंथ है । प्रमाण का अर्थ या भाव है कि जब एक ही बात दो ग्रंथों में वर्णित है और दोनों में एकरूपता नही है तो किस ग्रन्थ की बात माननी चाहिए ।
📕📕विशेषकर दोनों ही वेदव्यास जी द्वारा प्रचारित हों । तो क्योंकि हमारा प्रमाण ग्रन्थ श्री मद्भागवत है । इसलिए हम श्रीमद् भागवत की ही बात मानेंगे ।
💃🏻💃🏻और श्रीमद्भागवत
तेनेयं वांगमयी मूर्ति
अर्थात श्री कृष्ण की शब्द मयी मूर्ति या विग्रह है ।
🌂इस मत के स्थापक कौन हैं
इसकी चर्चा कल करेंगे
क्रमशः.........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से
✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[20:27, 12/18/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 2⃣7⃣
🌿ध्रुव की भक्ति🌿
🙌भगवान की भक्ति करते हुए अपने लिए कुछ मांगना शतप्रतिशत भक्ति नहीं है । सकाम भक्ति है । लेकिन सकाम भक्ति करते- करते एक अवसर ऐसा आता है कि भक्त विशुध भक्ति तक पहुंच कर भगवान के श्री चरणों की सेवा के अतिरिक्त कुछ नहीं मांगता ।
🙏ना करने से बेहतर है, सकाम भक्ति ही सही ...., भक्ति करो, ध्रुव को जब उनकी सौतेली मां ने दुत्कार दिया तो ध्रुव ने भगवान की उपासना शुरू की। कामना यही थी कि मुझे पिता से बड़ा राज्य मिले, और पिता स्वयं मुझे गोदी में बिठाने के लिए बुलाए ।
🌻लेकिन भक्ति भजन करते- करते जब भगवान प्रकट हुए, कहा वर मांगो तो ध्रुव ने कहा कि जब आपके श्री चरणों के दर्शन हो गए तो अब क्या राज्य और क्या गोदी?
🙌मुझे तो अपने श्री चरणों की सेवा दे दीजिए ।
🐚प्रभु ने कहा ध्रुव तुम निश्चित ही मेरी सेवा के अधिकारी हो। लेकिन तुम ने जिस कामना के लिए भक्ति प्रारंभ की थी वह भी पूर्ण करूंगा
🏬भगवान ने विशाल राज्य दिया । हजारों वर्षो तक ध्रुव ने राज्य सुख होगा और अंत में मृत्यु के सिर पर पैर रखकर भगवद् धाम को गए और आज भी तारामंडल में दर्शनीय है ।
🐾सकाम भक्ति वाला विशुद्ध भक्ति तक पहुंचता तो है लेकिन उसे देर लगती है । बीच का समय या अनेक-अनेक जन्म कामना पूर्ति में नष्ट हो जाता है ।
🌹अतः जल्दी प्रभु चरण प्राप्ति हेतु विशुद्ध भक्ति पर केंद्रित करना चाहिए। कामनाओं का अंत नहीं है इन्हें छोड़ना ही पड़ता है
💐छोड़ना चाहिए भी
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
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