🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 8
🔴सार का सार🔴
आराध्यो
भगवान् ब्रजेश तनयः
तद्धाम वृन्दाबनं
रम्या काचिदुपासना
ब्रजवधु वर्गेण या कल्पिता
श्री मदभागवतम्
प्रमाणममलम
प्रेमा पुमर्थो महान
श्रीचैतन्य महाप्रभोरमतमिदं
तत्रादरो नः परः ।
🌷यह श्लोक श्रीमन्ममहाप्रभु द्वारा स्थापित-प्रचारित गौड़ीय या चैतन्य सम्प्रदाय का एक आधार या परिचायक श्लोक है।
🌹यह श्लोक श्री श्रीनाथ चक्रवर्ती द्वारा रचित श्रीचैतन्यमत मंजूषा ग्रन्थ से उद्धृतहै।
💐श्रीचैतन्यमत मंजूषा ग्रन्थ श्रीचैतन्य-चरितामृत आदि के बहुत समय बाद की रचना है। इसलिए यह श्लोक श्रीचैतन्यचरितामृत में नहीं मिलता है।
🌺यह श्लोक वास्तव में श्रीचैतन्यचरितामृत को चार लाइनों में समेट लेता है।
🍀श्रीचैतन्यचरितामृत का परम् सार रूप है एवं हमारे सम्पूर्ण दर्शन एवं उपासना का परिचायक है।
🍁इन चार लाइनों में सम्पूर्ण दर्शन-रस-उपासना-प्रमाण समाहित है।
कल से इस श्लोक की प्रभु कृपा से विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत करने की चेष्टा करेंगे ।
जो वैष्णवजन गौड़ीय सम्प्रदाय को समझना चाहते हैं । वे कृपाकर इस श्लोक के भाव अर्थ को यदि समझ लेंगे तो कुछ समझना शेष नही रह जाएगा ।
क्रमशः.........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन
प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠Tग
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 8
🔴सार का सार🔴
आराध्यो
भगवान् ब्रजेश तनयः
तद्धाम वृन्दाबनं
रम्या काचिदुपासना
ब्रजवधु वर्गेण या कल्पिता
श्री मदभागवतम्
प्रमाणममलम
प्रेमा पुमर्थो महान
श्रीचैतन्य महाप्रभोरमतमिदं
तत्रादरो नः परः ।
🌷यह श्लोक श्रीमन्ममहाप्रभु द्वारा स्थापित-प्रचारित गौड़ीय या चैतन्य सम्प्रदाय का एक आधार या परिचायक श्लोक है।
🌹यह श्लोक श्री श्रीनाथ चक्रवर्ती द्वारा रचित श्रीचैतन्यमत मंजूषा ग्रन्थ से उद्धृतहै।
💐श्रीचैतन्यमत मंजूषा ग्रन्थ श्रीचैतन्य-चरितामृत आदि के बहुत समय बाद की रचना है। इसलिए यह श्लोक श्रीचैतन्यचरितामृत में नहीं मिलता है।
🌺यह श्लोक वास्तव में श्रीचैतन्यचरितामृत को चार लाइनों में समेट लेता है।
🍀श्रीचैतन्यचरितामृत का परम् सार रूप है एवं हमारे सम्पूर्ण दर्शन एवं उपासना का परिचायक है।
🍁इन चार लाइनों में सम्पूर्ण दर्शन-रस-उपासना-प्रमाण समाहित है।
कल से इस श्लोक की प्रभु कृपा से विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत करने की चेष्टा करेंगे ।
जो वैष्णवजन गौड़ीय सम्प्रदाय को समझना चाहते हैं । वे कृपाकर इस श्लोक के भाव अर्थ को यदि समझ लेंगे तो कुछ समझना शेष नही रह जाएगा ।
क्रमशः.........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन
प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠Tग
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