Thursday, 17 December 2015

[11:42, 12/11/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:


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    1⃣1⃣◆1⃣2⃣◆1⃣5⃣

            शुक्रवार मार्गशीर्ष
            कृष्णपक्ष अमावस

                     6⃣3⃣
                   
              ❗नाम संकीर्तन❗

🌿    यह सर्वश्रेष्ठतम अंग है l इससे श्री भगवान के नामों का उच्च स्वर से कीर्तन अभिप्रेत है l नाम नामी से अभिन्न ही नहीं नामी से अधिक महत्वपूर्ण है l नाम भी भगवान की तरह अप्राकृत चिन्मय सच्चिदानंद है पूर्ण शुद्ध नित्य मुक्त एवं रसरूप है l श्री नाम संकीर्तन से समस्त मनोवंछितों
की प्राप्ति होती है l

🌿    स्वयं भगवान ब्रजेंद्र नंदन श्री शची सुत श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के रूप में अवतीर्ण होकर कलियुग में श्री नाम संकीर्तन को स्वयं करते है और जग जीवों से कराते हैं l इस कारण कलियुग को भी धन्य तथा प्रशंसनीय माना गया है l

🌿    उपरोक्त सार डॉ दासाभास जी द्वारा प्रस्तुत ब्रजभक्ति के चौसठ अंग से लेते हुए  हम सबका जीवन भी प्रभु की भक्ति से प्रकाशित हो यही प्रार्थना है राधेश्याम के चरणों में l 👣👣
                  क्रमशः........
                               ✏ मालिनी
 
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         "🌿सुप्रभात 🌿"
 ◆🍀श्री कृष्णायसमर्पणं🍀◆
      "🌿जैश्रीराधेकृष्ण🌿"
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[11:42, 12/11/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:


जय श्री राधे

सर्दी है । अपने ठाकुर जू को तो आप गर्म जल से स्नान करा ही रहे होंगे । साथ ही तुलसी महारानी को भी अच्छा गर्म जल से सिंचन या स्नान कराएं ।

सेवा भाव पूर्ण ।

समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम
 जय श्री राधे । जय निताई


[20:48, 12/12/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:


💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 2⃣0⃣

🌿नटवर कृष्ण मुरारी🌿

🐚तुम नटवर कृष्ण मुरारे हो ।
🐟तड़पत है प्राण तुम्हारे बिना
🎊तुम जीवन- प्राण हमारे हो
🏄इस डूबती जीवन नैया के
🎑तुम ही 'गिरि' एक किनारे हो
👶🏻इस दीन पै इतनी दिया कीजै
💫निशिवासर नाम पुकारे हो

सतयुग में ध्यान द्वारा
त्रेता में यज्ञ द्वारा
द्वापर में सेवा द्वारा
जो प्राप्त होता है । कलियुग में वाही का वही फल श्री हरि के नाम संकीर्तन या जप द्वारा प्राप्त होता है ।

कलौ तद् हरि कीर्तनात

अतः नाम का आश्रय । नाम जप से ही हम लौकिक कामना एवम् पंचम पुरुषार्थ श्री कृष्ण प्रेम को प्राप्त कर सकते हैं ।

👼तुम दीनन के प्रतिपाल सदा
✨तुम भक्तन के रखवारे हो
🐚तुम नटवर कृष्ण मुरारे हो

         
🍃अब छोड़ दिया इस जीवन का 👏सब भार तुम्हारे हाथों में
🙌नित नाम जपूं नित कृष्ण रटूं
🙉अब क्या रखा सब बातों में


♻बातों में जीवन बीत गया
🙏वर्षों गए हाथ ही हाथों में 🌟सुबह शाम जपूं, दिन-रात जपूं🎇'गिरि' नाम जपूं मैं रातों में

🌿हरिनाम को ही बस🌿

नहीं चित्र लखा, न चरित्र लिखा
बस नाम को ही सब मानता हूँ मैं
नामी अरू नाम अभिन्न सदा,
बस नाम को ही पहचानता हूँ मैं
हरिनाम लिखूं, हरिनाम पढ़ूं
हरिनाम को ही बस चाहता हूँ मैं
हरि नाम से बढ़कर और किसी,
साधन को 'गिरि'नहीं मानता हूँ मैं

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

लेखक
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू

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