Friday, 29 April 2016

✅ संख्या सहित नाम जप ✅


✅ संख्या सहित नाम जप ✅

संख्या सहित नाम जप

प्रायः वैष्णव यह पूछते हैं कि एक निश्चित संख्या में माला करने की क्या आवश्यकता है ,हमें तो जब समय मिलता है तब माला कर लेते हैं कभी 10 कभी 30 कभी 50

मैं स्वयं ही कुछ वर्ष पूर्व तक यही सोचता था। और ऐसे ही करता था। लेकिन आज बात कुछ और है एक और भी प्रेग्नेंट है जो यह कहता है । एक और भी सैगमैण्ट है,कि माला की जरुरत ही क्या है?

हम तो हर समय मुख में नाम करते रहते हैं । कुछ तो यह भी कहते है। कि मन बहुत चंचल है । थोड़ा स्थिर हो तो माला करें ।ऐसी माला करने से क्या फायदा ,जो मन कहीं और भटके और माला कहीं।

आदि आदि अनेक पक्ष हैं ।पहली बात तो यह है कि मन की चंचलता जितनी माला करने से दूर होती है ,किसी और साधन से नहीं होती ।यदि मन की चंचलता ही दूर हो गई तो फिर बात ही क्या है?

दूसरी बात यह है की आपने यदि श्री चैतन्य चरितामृत पड़ी है वह तो महाप्रभु की आज्ञा थी कि जो प्रतिदिन एक लाख नाम करता है मैं उसी के घर भिक्षा करूंगा।

यदि संख्या सहित नाम का महत्व नहीं होता तो महाप्रभु यह बात कभी न कहते हैं श्री हरिदास जी तो प्रतिदिन तीन लाख नाम करते थे ।यह सर्वविदित ही है ।देखिये!जिस प्रकार हम अपने सब कर्मों में अनुशासन रखते हैं ।वैसे ही हमें अपने भजन में भी अनुशासन रखना होगा।

जैसे हम समय पर दुकाने ऑफिस जाते हैं और समय पर घर आते हैं -उसी प्रकार एक निश्चित संख्या में माला करने पर , करने से पहले ये भाव,ये दबाव रहेगा कि माला करनी है और करने के बाद ये संतुष्टि रहेगी कि आज माला कर ली।

कदाचित् किसी दिन न हो पायेगी तो पश्चाताप रहेगा । कि नियम की माला भी नहीं हो पायी।ऐसे में अगले दिन कल के नियम को पूरा करना चाहिए ।देखीये!आप कहीं नौकरी करें और मालिक कहे  कि भईया जैसी आमदनी होती चलेगी हम तुम को पैसे देते चलेंगे ।तुम अपने हो चिंता ना करो।

और वह कभी हजार कभी दस हजार तुम्हें देता जाये तो क्या आपकी संतुष्टि होगी। वह भले ही ₹10000 महीना दे। लेकिन एक संख्या तो फिक्स करनी ही पड़ेगी ना भले ही वह हर महीने एक्स्ट्रा दस-पांच हजार और दे दे। वह बोनस है।

इस प्रकार हमें भी प्रतिदिन एक संख्या निश्चित करनी होगी। इतनी तो करनी ही है । फिर उसके बाद आप मन- मन में करो माला सहित करो या बिना माला के करो। जब तक संख्या निश्चित नहीं होगी आपकी प्रगति कैसे आंकी  जायेगी ।और संख्या  भी16 माला प्रचलित है।

यह कम से कम है ।और यदि अधिक लगती है तो दो-चार-छः से शुरु करो और धीरे -धीरे सोलह तक लाओ एक ठीक-ठाक मध्यम वैष्णव  को 64 माला यानी एक लाख नाम तो रोज करना ही बनता है ।चाहिए ही । प्रायः वैष्णव गुरुदेव, विद्वान्,से आप मिलोगे तो वह यही पूछते है-कितनी माला करते हो यदि संख्या नहीं तो क्या जवाब दोगे।

और आपको खुद भी पता नहीं चलेगा ।लेकिन यह भी संख्या होगी। तो  आप खुद ही जान जाओगे कि मैं पांच माला से शुरू किया था, और अब बीस करता हूँ।और यही संख्या जब  25,30,40 पर पहुंचेगी तो आपको लगेगा कि मेरा भजन बढ़ रहा है ।ठीक उसी प्रकार जैसे  कर्मचारी की सैलरी बढ़ती है वह बताता है दूसरे भी संतुष्ट होते है वह खुद भी संतुष्ट होता है।

इसके बदले में यदि वह कोई संख्या बता ही ना पाए तो लोग समझते ही बे-रोजगार है या पता नहीं यार इसकी बात हमें तो समझ नहीं आती। अतः यदि भजन के प्रति भक्ति के प्रति भगवत् प्रेम के प्रति आप सीरियस में कुछ पाना चाहते हैं -आज से ही अनुशासित होना पड़ेगा। पांच माला से ही प्रारम्भ करो नियम पूरा होने पर माला को प्रणाम करके


बाकी की और करो। फिर कुछ दिन बाद पांच से छः या सात कर दी। इस प्रकार  साल दो चार साल में 64 पर आकर रुको ।अवश्य अंतर महसूस होगा ऐसा लगेगा कुछ प्राप्त हो रहा है ।माला हेतु नाम मंत्र हरे कृष्ण महामंत्र सभी जानते है।

अपनी सम्प्रदाय के अनुसार श्री गुरुदेव या वरिष्ठ गुरुभ्राता  से पूछकर नाम मंत्र करना चाहिए यह भी बताता चलूँ कि नाम करने में यथाम्भव शुद्धि अशुद्धि का ध्यान रखें -लेकिन इसमें शर्त नहीं है ।आप नहाये, बिना नहाये, खाते-पीते ,सोते जागते ,ट्रेन में घर में ,दुकान पर, जूते पहने किसी भी स्थिति में नाम कर सकते हैं।नाम में इतनी शक्ति है कि  सर्वावस्थ में आपकी शुद्धि रखेगा।नाम या माला कभी अशुद्ध नहीं होता।

लगले में पहने कण्ठी शौचालय में जाने पर अशुद्ध नहीं होती जान बूझकर लापरवाही ना बरतें ।लेकिन इस बात का बहाना बनाकर नाम को टाले नहीं महिलाएं मासिक में भी नाम कर सकती है ।नाम की माला वह मंत्र की माला प्रथक रखते हैं नाम में सब छूट है। गुरु मंत्र में सब ध्यान रखना है इसलिए माला अलग-अलग

🐚 ॥ जय श्री राधे 🐚
🐚 ॥ जय निताई   🐚


सम्पादकीय - श्रीहरिनाम पत्रिका (अंक 45/10/522 , अक्टूबर , 2015 ) 

श्रीहरिनाम पत्रिका (अंक 45/10/522 , अक्टूबर , 2015 )

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