Sunday, 6 December 2015

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

💐श्री  राधारमणो विजयते 💐

       क्रम संख्या 1⃣5⃣

   🌿 🌿 किसमें कौन हूं मैं 🌿🌿

☀सब प्राणियों में स्थित -आत्मा
प्राणियों का -  आदि,  मध्य, अंत यानी
👶🏻   जन्म
👥   जीवन
💀   मृत्यु

☀   अदिति के बारह पुत्रों में  
          विष्णु        
🌅   ज्योतियों  में - सूर्य
🌝   उनचाश देवताओं में - तेज
🌙   नक्षत्रों का अधिपति - चंद्र
🐚   वेदो में - सामदेव
🎼   इंद्रियों में - मन
🎭   प्राणियों में -जीवन शक्ति
🙌   एकादश रुद्रों में - शंकर
💶   यक्ष - राक्षसों में- कुबेर
🔥   आठ  वसुओं में - अग्नी
🗻   पर्वतों में - सुमेरु
🌾   पुरोहितों में - वृहस्पति
👮🏻   सेनापति में - स्कन्द
🌁   जलाशयों में - समुद्र
👳🏻   महर्षियों में - भृगु
📖   शब्दों में -ऊँ
🌇   यज्ञों में - जप यज्ञ
🗾   स्थिर रहने वालों में-
        हिमालय
🎄   वृक्षों में - पीपल
🎅   देवऋषियो  में - नारद

🌿 कौन क्या चाहता है 🌿

👳🏻 योगी -
        आत्म स्वरूप का दर्शन
👤 कर्मी - स्वर्ग
📚 ज्ञानी - ब्रह्म में लींन
🙏 भक्त - प्रभु की सेवा।

🌕अब जब यह समझ आ गया कि मैं शरीर नहीं हूँ। मैं ईश्वर की अंशभूत एक शक्ति हूँ; तो प्रश्न उठता है कि मुझे क्या प्राप्त करना है और कैसे? मेरा कार्यक्षेत्र क्या है?

💐 यही सबसे कठिन बात है। इसे समझना ही आवश्यक है। एक जीव को जो प्राप्त करना है उसे हम 'साध्य' कहते हैं । और उस 'साध्य' को जिसके द्वारा प्राप्त किया जाएगा- उसे कहते हैं 'साधन' ।

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।

🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू

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