📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣5⃣
🌿 🌿 किसमें कौन हूं मैं 🌿🌿
☀सब प्राणियों में स्थित -आत्मा
प्राणियों का - आदि, मध्य, अंत यानी
👶🏻 जन्म
👥 जीवन
💀 मृत्यु
☀ अदिति के बारह पुत्रों में
विष्णु
🌅 ज्योतियों में - सूर्य
🌝 उनचाश देवताओं में - तेज
🌙 नक्षत्रों का अधिपति - चंद्र
🐚 वेदो में - सामदेव
🎼 इंद्रियों में - मन
🎭 प्राणियों में -जीवन शक्ति
🙌 एकादश रुद्रों में - शंकर
💶 यक्ष - राक्षसों में- कुबेर
🔥 आठ वसुओं में - अग्नी
🗻 पर्वतों में - सुमेरु
🌾 पुरोहितों में - वृहस्पति
👮🏻 सेनापति में - स्कन्द
🌁 जलाशयों में - समुद्र
👳🏻 महर्षियों में - भृगु
📖 शब्दों में -ऊँ
🌇 यज्ञों में - जप यज्ञ
🗾 स्थिर रहने वालों में-
हिमालय
🎄 वृक्षों में - पीपल
🎅 देवऋषियो में - नारद
🌿 कौन क्या चाहता है 🌿
👳🏻 योगी -
आत्म स्वरूप का दर्शन
👤 कर्मी - स्वर्ग
📚 ज्ञानी - ब्रह्म में लींन
🙏 भक्त - प्रभु की सेवा।
🌕अब जब यह समझ आ गया कि मैं शरीर नहीं हूँ। मैं ईश्वर की अंशभूत एक शक्ति हूँ; तो प्रश्न उठता है कि मुझे क्या प्राप्त करना है और कैसे? मेरा कार्यक्षेत्र क्या है?
💐 यही सबसे कठिन बात है। इसे समझना ही आवश्यक है। एक जीव को जो प्राप्त करना है उसे हम 'साध्य' कहते हैं । और उस 'साध्य' को जिसके द्वारा प्राप्त किया जाएगा- उसे कहते हैं 'साधन' ।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣5⃣
🌿 🌿 किसमें कौन हूं मैं 🌿🌿
☀सब प्राणियों में स्थित -आत्मा
प्राणियों का - आदि, मध्य, अंत यानी
👶🏻 जन्म
👥 जीवन
💀 मृत्यु
☀ अदिति के बारह पुत्रों में
विष्णु
🌅 ज्योतियों में - सूर्य
🌝 उनचाश देवताओं में - तेज
🌙 नक्षत्रों का अधिपति - चंद्र
🐚 वेदो में - सामदेव
🎼 इंद्रियों में - मन
🎭 प्राणियों में -जीवन शक्ति
🙌 एकादश रुद्रों में - शंकर
💶 यक्ष - राक्षसों में- कुबेर
🔥 आठ वसुओं में - अग्नी
🗻 पर्वतों में - सुमेरु
🌾 पुरोहितों में - वृहस्पति
👮🏻 सेनापति में - स्कन्द
🌁 जलाशयों में - समुद्र
👳🏻 महर्षियों में - भृगु
📖 शब्दों में -ऊँ
🌇 यज्ञों में - जप यज्ञ
🗾 स्थिर रहने वालों में-
हिमालय
🎄 वृक्षों में - पीपल
🎅 देवऋषियो में - नारद
🌿 कौन क्या चाहता है 🌿
👳🏻 योगी -
आत्म स्वरूप का दर्शन
👤 कर्मी - स्वर्ग
📚 ज्ञानी - ब्रह्म में लींन
🙏 भक्त - प्रभु की सेवा।
🌕अब जब यह समझ आ गया कि मैं शरीर नहीं हूँ। मैं ईश्वर की अंशभूत एक शक्ति हूँ; तो प्रश्न उठता है कि मुझे क्या प्राप्त करना है और कैसे? मेरा कार्यक्षेत्र क्या है?
💐 यही सबसे कठिन बात है। इसे समझना ही आवश्यक है। एक जीव को जो प्राप्त करना है उसे हम 'साध्य' कहते हैं । और उस 'साध्य' को जिसके द्वारा प्राप्त किया जाएगा- उसे कहते हैं 'साधन' ।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
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