[13:14, 12/4/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: °
🔔🌿◆!◆🌹◆!◆🌿🔔°
4⃣◆1⃣2⃣◆1⃣5⃣
शुक्रवार मार्गशीर्ष
कृष्णपक्ष नवमी
5⃣6⃣
❗यथाशक्ति महोत्सव❗
🔔 जिस प्रकार हम अपने जन्मदिन व् पार्टियाँ मनाते है उसी प्रकार हमें यथाशक्ति ठाकुर के उत्सवों को भी मनाना चाहिये l इससे भगवद् स्मृति बढ़ती है l हमारे साथ ठाकुर भी आनन्दित होते हैं l
🎉श्रावण में ठाकुर को झूले में विराजमान करना l होली में रंगों का खेल l गर्मियों में फूल बंगले सजाना l रथयात्रा में रथ पर विराजमान करना आदि उत्सव सदैव मनाने चाहिये l🎉
🔔 साथ ही अपने जन्मदिन मैरिज एनीवर्सरी वाले दिन भी ठाकुर के लिए भई विशेष भोग श्रृंगार की व्यवस्था करके उन्हें भी शामिल करना चाहिये l प्रभु के इन उत्सवो को मनाने से भगवदभक्ति पुष्ट होती है l प्रभु प्रसन्न होते हैं हमे और आपको सात्विक आनन्द की प्राप्ति होती है l
🔔 उपरोक्त सार डॉ दासाभास जी द्वारा प्रस्तुत ब्रजभक्ति के चौसठ अंग से लेते हुए हम सबका जीवन भी प्रभु की भक्ति से प्रकाशित हो यही प्रार्थना है राधेश्याम के चरणों में l 👣👣
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
•🌿🔔🌿•
"🌹सुप्रभात 🌹"
◆🔔श्री कृष्णायसमर्पणं🔔◆
"🌹जैश्रीराधेकृष्ण🌹"
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[13:14, 12/4/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌱🌱ब्रज की वार्ता 🌱🌱
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌹 निताई गौर हरिबोल🌹
🌻🌻 नाम संख्या 🌻🌻
👀 वैष्णवों में दोष देखना
कोई अच्छा वैष्णव ही ना दीखना दूसरों की आलोचना आत्मनिरीक्षण का अभाव
संप्रदाय, सिद्धांत ,एवं अन्य मतों के प्रति दुर्भाव, द्वेष ,
अपनी लापरवाही का दोष कलयुग, समय, देश ,काल, पर मड़ना, तथा
सामान्य ,लोकिक राग, द्वेष ,अहंकार, कटुता, दुष्टता, एवं
😎 ग्रुप में महत्वपूर्ण एवं अलग दिखने की बढती चाह का एक ही कारण है ।
🌚 हमारे चित की मलिनता ।
हमारे चित्त पर जमी हुई जन्म जन्मांतर की मैल से हमारा चित मैला हो चुका है । गंदगी की अनेक परतों से दूषित हो चुका है हमारा चित ।
🌕 कोई चिंता नहीं,
मैला हुआ है तो डिटर्जेंट भी है । श्री चैतन्य महाप्रभु ने उपाय भी बताया है
" चेतो दर्पण मार्जन" ।
वह उपाय हैं नाम संकीर्तन ।।
🎼 नाम संकीर्तन से भी सरल उपाय है_ नाम जप
नाम जप और वह भी यदि संख्या सहित किया जाए तो चित् की मलिनता दूर होकर चित् शुद्ध हो जाता हैl और सारी कुटिलताए दूर होकर आत्म निरीक्षण होने लगता है..
🔜 नाम जप की संख्या में 16 माला तो कम से कम है.| भले ही दो चार माला का नियम लो लेकिन नियम अवश्य लो। उसे पूरा करो और यदि पूरा होने लगे तो धीरे-धीरे बढ़ाते जाओ और जहां तक ले जा सको ले जाओ।
😳 और संख्या पूर्वक एवं बिना संख्या पूर्वक नाम जप का अन्तर अनुभव करो।
✔🍁यह निश्चित है - यह होगा संख्या पूर्वक से । बिना नियम एवं संख्या के करने से पहले संख्या में निष्ठा होगी।
🔒फिर कल्याण होगा बिना संख्या के होगा तो सही -समय अनेक गुना लगेगा । आज से ही संख्या निश्चित करके जप शुरु कर दो, फिर देखो कमाल।।
🏠जैसे घरों में दिन में एक बार मार्जन #पोछा लगता है और एयरपोर्ट व हॉस्पिटल में पूरे दिन पोछा लगता है।
1⃣6⃣ इसी प्रकार 16 माला तो रोज़ होनी ही है।- रोज की गंदगी को साफ करने के लिए । अधिक सफाई करनी है तो अधिक माला करनी होगी। यह निश्चित है कि गंदगी# मलिनता बहुत अधिक है।।
✅ इसका तात्पर्य यह है कि हमें जप तो करना ही है लेकिन संख्या सहित ।संख्या निर्धारित करने पर संख्या बढ़ाते रहना है । एक ही संख्या पर रुकना नहीं बल्कि संख्या बढ़ाते हुए जप को बढ़ाते हुए अपनी स्प्रिचुअल ग्रोथ को आगे बढ़ाना है।।
🌺जय श्री राधे
🌺जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन.
प्रस्तुति 🔔 श्यामा किंकरी शालू
[18:19, 12/5/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
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🌱🌱ब्रज की वार्ता 🌱🌱
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌹 निताई गौर हरिबोल🌹
🌻🌻 नाम संख्या 🌻🌻
👀 वैष्णवों में दोष देखना
कोई अच्छा वैष्णव ही ना दीखना दूसरों की आलोचना आत्मनिरीक्षण का अभाव
संप्रदाय, सिद्धांत ,एवं अन्य मतों के प्रति दुर्भाव, द्वेष ,
अपनी लापरवाही का दोष कलयुग, समय, देश ,काल, पर मड़ना, तथा
सामान्य ,लोकिक राग, द्वेष ,अहंकार, कटुता, दुष्टता, एवं
😎 ग्रुप में महत्वपूर्ण एवं अलग दिखने की बढती चाह का एक ही कारण है ।
🌚 हमारे चित की मलिनता ।
हमारे चित्त पर जमी हुई जन्म जन्मांतर की मैल से हमारा चित मैला हो चुका है । गंदगी की अनेक परतों से दूषित हो चुका है हमारा चित ।
🌕 कोई चिंता नहीं,
मैला हुआ है तो डिटर्जेंट भी है । श्री चैतन्य महाप्रभु ने उपाय भी बताया है
" चेतो दर्पण मार्जन" ।
वह उपाय हैं नाम संकीर्तन ।।
🎼 नाम संकीर्तन से भी सरल उपाय है_ नाम जप
नाम जप और वह भी यदि संख्या सहित किया जाए तो चित् की मलिनता दूर होकर चित् शुद्ध हो जाता हैl और सारी कुटिलताए दूर होकर आत्म निरीक्षण होने लगता है..
🔜 नाम जप की संख्या में 16 माला तो कम से कम है.| भले ही दो चार माला का नियम लो लेकिन नियम अवश्य लो। उसे पूरा करो और यदि पूरा होने लगे तो धीरे-धीरे बढ़ाते जाओ और जहां तक ले जा सको ले जाओ।
😳 और संख्या पूर्वक एवं बिना संख्या पूर्वक नाम जप का अन्तर अनुभव करो।
✔🍁यह निश्चित है - यह होगा संख्या पूर्वक से । बिना नियम एवं संख्या के करने से पहले संख्या में निष्ठा होगी।
🔒फिर कल्याण होगा बिना संख्या के होगा तो सही -समय अनेक गुना लगेगा । आज से ही संख्या निश्चित करके जप शुरु कर दो, फिर देखो कमाल।।
🏠जैसे घरों में दिन में एक बार मार्जन #पोछा लगता है और एयरपोर्ट व हॉस्पिटल में पूरे दिन पोछा लगता है।
1⃣6⃣ इसी प्रकार 16 माला तो रोज़ होनी ही है।- रोज की गंदगी को साफ करने के लिए । अधिक सफाई करनी है तो अधिक माला करनी होगी। यह निश्चित है कि गंदगी# मलिनता बहुत अधिक है।।
✅ इसका तात्पर्य यह है कि हमें जप तो करना ही है लेकिन संख्या सहित ।संख्या निर्धारित करने पर संख्या बढ़ाते रहना है । एक ही संख्या पर रुकना नहीं बल्कि संख्या बढ़ाते हुए जप को बढ़ाते हुए अपनी स्प्रिचुअल ग्रोथ को आगे बढ़ाना है।।
🌺जय श्री राधे
🌺जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन.
प्रस्तुति 🔔 श्यामा किंकरी शालू
[18:19, 12/5/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
📚🍵 ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣3⃣
🌿सृष्टि के आधार-
श्रीबलराम 🌿
🙌 🌹बलराम जी प्रेमाभक्ति का मूर्तिमान विग्रह है। श्री कृष्ण के वस्त्र, अस्त्र, आसन, शय्या, पादुका के रूप में बलराम ही है। साथ ही इस समस्त सृष्टि का सीधा संपर्क भी बलराम जू से है ।
☀ श्रीकृष्ण चार रूपों में स्वयं को प्रकट करते हैं ।
🌸वासुदेव
🌸बलराम
🌸प्रद्युमन
🌸अनिरुद्ध
🌝इसमें से बलराम के अंश है ।
कारण समुद्र -शायी
कारण समुद्र- शायी के अंश है ।
गर्भोदक शायी - गर्भोदक शायी के अंश है क्षीरोदक शायी - विष्णु एवम् ब्रह्मा, महेश जो सृष्टि का पालन करते है।
🙏सृष्टि के प्रधान तत्व व् प्रेमभक्ति के मूर्तिमान स्वरुप श्री बलराम जू को कोटि-कोटि प्रणाम व कृपा की याचना
💂दाऊ दयाल बिरज के राजा, भंग पियो तो ब्रिज में आजा ।
🍁बलदाऊ जी की आरती🍁
🍃बलदाऊ की आरती कीजै
🍂कृष्ण कन्हैया को दादा भैया,
🍃अति प्रिय जाकी रोहिणी मैया
🍂श्री वासुदेव पिता सो जीजै....
🍃नंद को प्राण, यशोदा प्यारो, 💧तीन लोक सेवा में न्यारो
🍂कृष्ण सेवा में तन-मन भीजै....
🍃हलदर भैया, कृष्ण कन्हैया, 💧दुष्टन के तुम नाश करैया
🍂रेवती, वारुणी ब्याह रचीजें..
🍃दाऊदयाल बिरज के राजा, 💧भंग पिए नित खाए खाजा
🍂नील वस्त्र नित ही धर लीजे..
🍃जो कोई बल की आरती गावे, 💧निश्चित कृष्ण चरण रज पावे।
🍂बुद्धि,भक्ति 'गिरि'
नित नित लीजे.....
💧बलदाऊ जी की आरती कीजे
🌟🙌🏻 जय श्री राधे ।जय निताई🙌🏻🌟
✏....लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[18:19, 12/5/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
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5⃣◆1⃣2⃣◆1⃣5⃣
शनिवार मार्गशीर्ष
कृष्णपक्ष दशमी
5⃣7⃣
❗कार्तिक व्रत❗
🌿 कार्तिक मास को दामोदर मास भी कहते हैं l इस मास में विशेष व्रत नियम ग्रहण करना और उसे निभाना भी भक्ति का एक अंग हैं l यह दामोदर मास आदर पूर्वक थोड़े से भजन नियम को बहुत मानकर भगवान की बड़ी भारी अमूल्य भक्ति सम्पति को प्रदान कर देता है l
🌿 एक माह के लिये कुछ नियम लेने चाहिए जिनसे भजन निष्ठा में वृद्धि हो l और हम एक और सोपान चढ़ने में सफल हो सके l
1⃣ यथा सम्भव वृन्दावन या राधा कुण्ड में वास l
2⃣ नाम की संख्या में वृद्धि और प्रतिदिन कुण्ड स्नान यमुना स्नान या परिक्रमा का नियम ले l
3⃣ बाहर रहने वाले मानसिक रूप से प्रतिदिन वृन्दावन आएं l
4⃣ आँगन में तुलसी जी विराजमान कर 108 परिक्रमा करें l
5⃣ किसी सद्ग्रन्थ का प्रतिदिन पाठ l
6⃣ यथा सम्भव हल्का सात्विक आहार ले l
7⃣ एकादशी व्रतों का निष्ठा सहित पालन करे l केवल भूखा रहना या कुछ न खाने का नाम एकादशी नहीं है l
🍓सात्विकता रखकर अधिकाधिक नाम भजन करना एकादशी व्रत है l🍓
🌿 उपरोक्त सार डॉ दासाभास जी द्वारा प्रस्तुत ब्रजभक्ति के चौसठ अंग से लेते हुए हम सबका जीवन भी प्रभु की भक्ति से प्रकाशित हो यही प्रार्थना है राधेश्याम के चरणों में l 👣👣
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•🌿🔃🌿•
"🌸सुप्रभात 🌸"
*🔃श्रीकृष्णायसमर्पणं🔃*
"🌸जैश्रीराधेकृष्ण🌸"
•🌿🔃🌿•
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
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[12:32, 12/6/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
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🌱🌱ब्रज की वार्ता 🌱🌱
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌹 निताई गौर हरिबोल🌹
🌻 भक्ति करते हुए
होने वाले 8 अनर्थ🌻
1⃣ निषिद्ध आचरण
जीव हिँसा ,
मुक्ति,
पूजा ,
प्रतिष्ठा ,
लाभ ,
भोग ,
कुतर्क
दो माला जप किया नहीं की हम अपने आप को भक्त समझने लगते हैं और तो और अपने आसपास के लोगों को भक्त बनाने की फैक्ट्री खोलने लग जाते हैं।
और भक्ति जात अनर्थों में फँस जाते हैं। बहुत सूक्षम चिंतन हैं। अतः चेष्टा पूर्वक इन से बचते हुए एकान्तिक रूप से भजन में लगना चाहिए
🙏 हम अपना कल्याण कर ले इतना बहुत है । लोगों के कल्याण की चिंता करने वाला स्वयं करेगा
💥 निषिद्ध आचरण।💥
शास्त्रों में दो प्रकार से आदेश दिए गए है 🔓🔒
✅ यह करो (विधि )
❎ यह मत करो (निषेध) ।
🏂 दोनों प्रकार के निर्देशों का साधको को पालन करना ही चाहिए तभी वह अगली सीढ़ियों चढ़ता हुआ अपने साध्य की ओर बढ़ता चला जाता है ।
2⃣🚶 भक्ति करते-करते कभी कभी आलस्य वश निषेध करने वाला आचरण भी कर लिया जाता है।
🚗 जैसे शास्त्रों में कहा है कि मंदिर दर्शन हेतु यथासंभव पैदल ही जाना चाहिए ।रिक्शा या कार को बिल्कुल मंदिर द्वार तक नहीं लेकर जाना चाहिए।
3⃣📃 लेकिन यह सोच कर कि अब यह सब हमारे लिए थोड़े ही लिखा है। हम तो अब भक्त है
🌇 भगवान से हमारी घनिष्टता है। भक्त या विशेषकर जो भक्ति के आचार्य बने हैं वह इन निषिद्ध कार्यों को करते हैं ।जिससे अवश्य ही अनर्थ उत्पन्न होते हैं।
4⃣ 🙎 किसी भक्ति पथ पथिक को एकांत में स्त्री से बात नहीं करनी चाहिए। ऐसा आदेश है लेकिन इसका पालन न के बराबर होता है ।और अनर्थ उत्पन्न होते हैं
5⃣ ⛪ मंदिर में शिष्य से पैर नहीं पूजवाने चाहिए ।आशिर्वाद नहीं देना चाहिए -लेकिन होता है। और अनर्थ भी होता है ।
6⃣ ⛺ बहुत शिष्य , मंदिर ,मठ , आश्रम , नहीं बनाने चाहिए- लेकिन बन रहे हैं -और अनर्थ हो रहे हैं ।
🔎 परिणाम भी सामने हैं कि पंडित बाबा एवं अन्य प्राचीन संतो जैसे संत वैष्णव आज नहीं है
🔒आज के अधिकतर संतो ,आचार्यों के पास भक्ति का बल कम, शिष्य आश्रम, प्रसाद ,प्रचार-, प्रसार, होडिंग ,रंगीन कार्डों का बल अधिक है।।
7⃣ 👳🏻यदि इस पर ध्यान दिया जाए तो आज भी पंडित बाबा जैसे अन्य अनेक संत हो सकते हैं। इसमें कोई संशय नहीं और विरले आज भी होंगे ही उनका पता नहीं है प्रचार नहीं है इस प्रकार हमें निषिद्ध आचरण से बचना चाहिए
🌺जय श्री राधे
🌺जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन.
प्रस्तुति 🔔 श्यामा किंकरी शालू
[12:32, 12/6/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣4⃣
🌿 क्रोध कैसे कम हो ?🌿
🐝मधुमक्खियां जिस बाग़ से मधु एकत्र करती हैं, उस बाग में यदि नीम के पेड़ अधिक है तो उस मधु में नीम के गुण भी आ जाते हैं। मधु के गुण तो होते ही हैं।
🌹इसी प्रकार गुलाब के, गेंदा के, अथवा अन्य किसी के गुण उस मधु में होते हैं। साधारणतया वह मधु ही है। लेबोरेटरी में इस सूक्ष्मता का पता चलता है।
💥इसी प्रकार हमारे शरीर में बहने वाला रक्त साधारणतया एक जैसा ही लगता है । लेकिन जो भोजन हम करते हैं, उसका प्रभाव उस रक्त पर पड़ता है, अपितु उसी भोजन का वैसा ही रक्त बनता है ।
🍲यदि भोजन तामसिक है तो रक्त तामसिक बनेगा । रक्त तामसिक होगा तो हमारा आचरण, सोच , बर्ताव , क्रिया सभी कुछ तामसिक होगा । सभी कुछ तामसिक होने पर क्रोध होगा ही । अतः क्रोध या तमोगुण कम करना है तो अपने भोजन को ठीक करना होगा।
👀 और हमे सर्वप्रथम यह भी देखना है कि हमारा धन शुद्ध है कि नहीं । यह न्याय से अर्जित है या रिश्वत से । आटे में नमक है या भैंस समेत खोया ?
🔎अतः हम सदैव चेष्टाशील रहे की हमारा धन शुद्ध हो । धन शुद्ध होगा तो अन्न शुद्ध होगा। अन्न शुद्ध होगा तो मन वातावरण सब शुद्ध होगा । और होगा सर्वत्र आनंद ही आनंद।
📌इस प्रकार हमारी इस कथा का संक्षेप में यही अर्थ है कि भाई
💵जैसा होगा धन
🍲वैसा होगा अन्न और
💝वैसा होगा मन
बहुत पुरानी कहावत है
जय श्री राधे। जय निताई
लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
🔔🌿◆!◆🌹◆!◆🌿🔔°
4⃣◆1⃣2⃣◆1⃣5⃣
शुक्रवार मार्गशीर्ष
कृष्णपक्ष नवमी
5⃣6⃣
❗यथाशक्ति महोत्सव❗
🔔 जिस प्रकार हम अपने जन्मदिन व् पार्टियाँ मनाते है उसी प्रकार हमें यथाशक्ति ठाकुर के उत्सवों को भी मनाना चाहिये l इससे भगवद् स्मृति बढ़ती है l हमारे साथ ठाकुर भी आनन्दित होते हैं l
🎉श्रावण में ठाकुर को झूले में विराजमान करना l होली में रंगों का खेल l गर्मियों में फूल बंगले सजाना l रथयात्रा में रथ पर विराजमान करना आदि उत्सव सदैव मनाने चाहिये l🎉
🔔 साथ ही अपने जन्मदिन मैरिज एनीवर्सरी वाले दिन भी ठाकुर के लिए भई विशेष भोग श्रृंगार की व्यवस्था करके उन्हें भी शामिल करना चाहिये l प्रभु के इन उत्सवो को मनाने से भगवदभक्ति पुष्ट होती है l प्रभु प्रसन्न होते हैं हमे और आपको सात्विक आनन्द की प्राप्ति होती है l
🔔 उपरोक्त सार डॉ दासाभास जी द्वारा प्रस्तुत ब्रजभक्ति के चौसठ अंग से लेते हुए हम सबका जीवन भी प्रभु की भक्ति से प्रकाशित हो यही प्रार्थना है राधेश्याम के चरणों में l 👣👣
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
•🌿🔔🌿•
"🌹सुप्रभात 🌹"
◆🔔श्री कृष्णायसमर्पणं🔔◆
"🌹जैश्रीराधेकृष्ण🌹"
•🌿🔔🌿•
¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
°🔔🌿◆!◆🌹◆!◆🌿🔔°
[13:14, 12/4/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
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🌱🌱ब्रज की वार्ता 🌱🌱
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌹 निताई गौर हरिबोल🌹
🌻🌻 नाम संख्या 🌻🌻
👀 वैष्णवों में दोष देखना
कोई अच्छा वैष्णव ही ना दीखना दूसरों की आलोचना आत्मनिरीक्षण का अभाव
संप्रदाय, सिद्धांत ,एवं अन्य मतों के प्रति दुर्भाव, द्वेष ,
अपनी लापरवाही का दोष कलयुग, समय, देश ,काल, पर मड़ना, तथा
सामान्य ,लोकिक राग, द्वेष ,अहंकार, कटुता, दुष्टता, एवं
😎 ग्रुप में महत्वपूर्ण एवं अलग दिखने की बढती चाह का एक ही कारण है ।
🌚 हमारे चित की मलिनता ।
हमारे चित्त पर जमी हुई जन्म जन्मांतर की मैल से हमारा चित मैला हो चुका है । गंदगी की अनेक परतों से दूषित हो चुका है हमारा चित ।
🌕 कोई चिंता नहीं,
मैला हुआ है तो डिटर्जेंट भी है । श्री चैतन्य महाप्रभु ने उपाय भी बताया है
" चेतो दर्पण मार्जन" ।
वह उपाय हैं नाम संकीर्तन ।।
🎼 नाम संकीर्तन से भी सरल उपाय है_ नाम जप
नाम जप और वह भी यदि संख्या सहित किया जाए तो चित् की मलिनता दूर होकर चित् शुद्ध हो जाता हैl और सारी कुटिलताए दूर होकर आत्म निरीक्षण होने लगता है..
🔜 नाम जप की संख्या में 16 माला तो कम से कम है.| भले ही दो चार माला का नियम लो लेकिन नियम अवश्य लो। उसे पूरा करो और यदि पूरा होने लगे तो धीरे-धीरे बढ़ाते जाओ और जहां तक ले जा सको ले जाओ।
😳 और संख्या पूर्वक एवं बिना संख्या पूर्वक नाम जप का अन्तर अनुभव करो।
✔🍁यह निश्चित है - यह होगा संख्या पूर्वक से । बिना नियम एवं संख्या के करने से पहले संख्या में निष्ठा होगी।
🔒फिर कल्याण होगा बिना संख्या के होगा तो सही -समय अनेक गुना लगेगा । आज से ही संख्या निश्चित करके जप शुरु कर दो, फिर देखो कमाल।।
🏠जैसे घरों में दिन में एक बार मार्जन #पोछा लगता है और एयरपोर्ट व हॉस्पिटल में पूरे दिन पोछा लगता है।
1⃣6⃣ इसी प्रकार 16 माला तो रोज़ होनी ही है।- रोज की गंदगी को साफ करने के लिए । अधिक सफाई करनी है तो अधिक माला करनी होगी। यह निश्चित है कि गंदगी# मलिनता बहुत अधिक है।।
✅ इसका तात्पर्य यह है कि हमें जप तो करना ही है लेकिन संख्या सहित ।संख्या निर्धारित करने पर संख्या बढ़ाते रहना है । एक ही संख्या पर रुकना नहीं बल्कि संख्या बढ़ाते हुए जप को बढ़ाते हुए अपनी स्प्रिचुअल ग्रोथ को आगे बढ़ाना है।।
🌺जय श्री राधे
🌺जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन.
प्रस्तुति 🔔 श्यामा किंकरी शालू
[18:19, 12/5/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌱🌱ब्रज की वार्ता 🌱🌱
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
🌹 निताई गौर हरिबोल🌹
🌻🌻 नाम संख्या 🌻🌻
👀 वैष्णवों में दोष देखना
कोई अच्छा वैष्णव ही ना दीखना दूसरों की आलोचना आत्मनिरीक्षण का अभाव
संप्रदाय, सिद्धांत ,एवं अन्य मतों के प्रति दुर्भाव, द्वेष ,
अपनी लापरवाही का दोष कलयुग, समय, देश ,काल, पर मड़ना, तथा
सामान्य ,लोकिक राग, द्वेष ,अहंकार, कटुता, दुष्टता, एवं
😎 ग्रुप में महत्वपूर्ण एवं अलग दिखने की बढती चाह का एक ही कारण है ।
🌚 हमारे चित की मलिनता ।
हमारे चित्त पर जमी हुई जन्म जन्मांतर की मैल से हमारा चित मैला हो चुका है । गंदगी की अनेक परतों से दूषित हो चुका है हमारा चित ।
🌕 कोई चिंता नहीं,
मैला हुआ है तो डिटर्जेंट भी है । श्री चैतन्य महाप्रभु ने उपाय भी बताया है
" चेतो दर्पण मार्जन" ।
वह उपाय हैं नाम संकीर्तन ।।
🎼 नाम संकीर्तन से भी सरल उपाय है_ नाम जप
नाम जप और वह भी यदि संख्या सहित किया जाए तो चित् की मलिनता दूर होकर चित् शुद्ध हो जाता हैl और सारी कुटिलताए दूर होकर आत्म निरीक्षण होने लगता है..
🔜 नाम जप की संख्या में 16 माला तो कम से कम है.| भले ही दो चार माला का नियम लो लेकिन नियम अवश्य लो। उसे पूरा करो और यदि पूरा होने लगे तो धीरे-धीरे बढ़ाते जाओ और जहां तक ले जा सको ले जाओ।
😳 और संख्या पूर्वक एवं बिना संख्या पूर्वक नाम जप का अन्तर अनुभव करो।
✔🍁यह निश्चित है - यह होगा संख्या पूर्वक से । बिना नियम एवं संख्या के करने से पहले संख्या में निष्ठा होगी।
🔒फिर कल्याण होगा बिना संख्या के होगा तो सही -समय अनेक गुना लगेगा । आज से ही संख्या निश्चित करके जप शुरु कर दो, फिर देखो कमाल।।
🏠जैसे घरों में दिन में एक बार मार्जन #पोछा लगता है और एयरपोर्ट व हॉस्पिटल में पूरे दिन पोछा लगता है।
1⃣6⃣ इसी प्रकार 16 माला तो रोज़ होनी ही है।- रोज की गंदगी को साफ करने के लिए । अधिक सफाई करनी है तो अधिक माला करनी होगी। यह निश्चित है कि गंदगी# मलिनता बहुत अधिक है।।
✅ इसका तात्पर्य यह है कि हमें जप तो करना ही है लेकिन संख्या सहित ।संख्या निर्धारित करने पर संख्या बढ़ाते रहना है । एक ही संख्या पर रुकना नहीं बल्कि संख्या बढ़ाते हुए जप को बढ़ाते हुए अपनी स्प्रिचुअल ग्रोथ को आगे बढ़ाना है।।
🌺जय श्री राधे
🌺जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन.
प्रस्तुति 🔔 श्यामा किंकरी शालू
[18:19, 12/5/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
📚🍵 ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣3⃣
🌿सृष्टि के आधार-
श्रीबलराम 🌿
🙌 🌹बलराम जी प्रेमाभक्ति का मूर्तिमान विग्रह है। श्री कृष्ण के वस्त्र, अस्त्र, आसन, शय्या, पादुका के रूप में बलराम ही है। साथ ही इस समस्त सृष्टि का सीधा संपर्क भी बलराम जू से है ।
☀ श्रीकृष्ण चार रूपों में स्वयं को प्रकट करते हैं ।
🌸वासुदेव
🌸बलराम
🌸प्रद्युमन
🌸अनिरुद्ध
🌝इसमें से बलराम के अंश है ।
कारण समुद्र -शायी
कारण समुद्र- शायी के अंश है ।
गर्भोदक शायी - गर्भोदक शायी के अंश है क्षीरोदक शायी - विष्णु एवम् ब्रह्मा, महेश जो सृष्टि का पालन करते है।
🙏सृष्टि के प्रधान तत्व व् प्रेमभक्ति के मूर्तिमान स्वरुप श्री बलराम जू को कोटि-कोटि प्रणाम व कृपा की याचना
💂दाऊ दयाल बिरज के राजा, भंग पियो तो ब्रिज में आजा ।
🍁बलदाऊ जी की आरती🍁
🍃बलदाऊ की आरती कीजै
🍂कृष्ण कन्हैया को दादा भैया,
🍃अति प्रिय जाकी रोहिणी मैया
🍂श्री वासुदेव पिता सो जीजै....
🍃नंद को प्राण, यशोदा प्यारो, 💧तीन लोक सेवा में न्यारो
🍂कृष्ण सेवा में तन-मन भीजै....
🍃हलदर भैया, कृष्ण कन्हैया, 💧दुष्टन के तुम नाश करैया
🍂रेवती, वारुणी ब्याह रचीजें..
🍃दाऊदयाल बिरज के राजा, 💧भंग पिए नित खाए खाजा
🍂नील वस्त्र नित ही धर लीजे..
🍃जो कोई बल की आरती गावे, 💧निश्चित कृष्ण चरण रज पावे।
🍂बुद्धि,भक्ति 'गिरि'
नित नित लीजे.....
💧बलदाऊ जी की आरती कीजे
🌟🙌🏻 जय श्री राधे ।जय निताई🙌🏻🌟
✏....लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[18:19, 12/5/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
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5⃣◆1⃣2⃣◆1⃣5⃣
शनिवार मार्गशीर्ष
कृष्णपक्ष दशमी
5⃣7⃣
❗कार्तिक व्रत❗
🌿 कार्तिक मास को दामोदर मास भी कहते हैं l इस मास में विशेष व्रत नियम ग्रहण करना और उसे निभाना भी भक्ति का एक अंग हैं l यह दामोदर मास आदर पूर्वक थोड़े से भजन नियम को बहुत मानकर भगवान की बड़ी भारी अमूल्य भक्ति सम्पति को प्रदान कर देता है l
🌿 एक माह के लिये कुछ नियम लेने चाहिए जिनसे भजन निष्ठा में वृद्धि हो l और हम एक और सोपान चढ़ने में सफल हो सके l
1⃣ यथा सम्भव वृन्दावन या राधा कुण्ड में वास l
2⃣ नाम की संख्या में वृद्धि और प्रतिदिन कुण्ड स्नान यमुना स्नान या परिक्रमा का नियम ले l
3⃣ बाहर रहने वाले मानसिक रूप से प्रतिदिन वृन्दावन आएं l
4⃣ आँगन में तुलसी जी विराजमान कर 108 परिक्रमा करें l
5⃣ किसी सद्ग्रन्थ का प्रतिदिन पाठ l
6⃣ यथा सम्भव हल्का सात्विक आहार ले l
7⃣ एकादशी व्रतों का निष्ठा सहित पालन करे l केवल भूखा रहना या कुछ न खाने का नाम एकादशी नहीं है l
🍓सात्विकता रखकर अधिकाधिक नाम भजन करना एकादशी व्रत है l🍓
🌿 उपरोक्त सार डॉ दासाभास जी द्वारा प्रस्तुत ब्रजभक्ति के चौसठ अंग से लेते हुए हम सबका जीवन भी प्रभु की भक्ति से प्रकाशित हो यही प्रार्थना है राधेश्याम के चरणों में l 👣👣
क्रमशः........
✏ मालिनी
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"🌸सुप्रभात 🌸"
*🔃श्रीकृष्णायसमर्पणं🔃*
"🌸जैश्रीराधेकृष्ण🌸"
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[12:32, 12/6/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
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🌱🌱ब्रज की वार्ता 🌱🌱
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🌹 निताई गौर हरिबोल🌹
🌻 भक्ति करते हुए
होने वाले 8 अनर्थ🌻
1⃣ निषिद्ध आचरण
जीव हिँसा ,
मुक्ति,
पूजा ,
प्रतिष्ठा ,
लाभ ,
भोग ,
कुतर्क
दो माला जप किया नहीं की हम अपने आप को भक्त समझने लगते हैं और तो और अपने आसपास के लोगों को भक्त बनाने की फैक्ट्री खोलने लग जाते हैं।
और भक्ति जात अनर्थों में फँस जाते हैं। बहुत सूक्षम चिंतन हैं। अतः चेष्टा पूर्वक इन से बचते हुए एकान्तिक रूप से भजन में लगना चाहिए
🙏 हम अपना कल्याण कर ले इतना बहुत है । लोगों के कल्याण की चिंता करने वाला स्वयं करेगा
💥 निषिद्ध आचरण।💥
शास्त्रों में दो प्रकार से आदेश दिए गए है 🔓🔒
✅ यह करो (विधि )
❎ यह मत करो (निषेध) ।
🏂 दोनों प्रकार के निर्देशों का साधको को पालन करना ही चाहिए तभी वह अगली सीढ़ियों चढ़ता हुआ अपने साध्य की ओर बढ़ता चला जाता है ।
2⃣🚶 भक्ति करते-करते कभी कभी आलस्य वश निषेध करने वाला आचरण भी कर लिया जाता है।
🚗 जैसे शास्त्रों में कहा है कि मंदिर दर्शन हेतु यथासंभव पैदल ही जाना चाहिए ।रिक्शा या कार को बिल्कुल मंदिर द्वार तक नहीं लेकर जाना चाहिए।
3⃣📃 लेकिन यह सोच कर कि अब यह सब हमारे लिए थोड़े ही लिखा है। हम तो अब भक्त है
🌇 भगवान से हमारी घनिष्टता है। भक्त या विशेषकर जो भक्ति के आचार्य बने हैं वह इन निषिद्ध कार्यों को करते हैं ।जिससे अवश्य ही अनर्थ उत्पन्न होते हैं।
4⃣ 🙎 किसी भक्ति पथ पथिक को एकांत में स्त्री से बात नहीं करनी चाहिए। ऐसा आदेश है लेकिन इसका पालन न के बराबर होता है ।और अनर्थ उत्पन्न होते हैं
5⃣ ⛪ मंदिर में शिष्य से पैर नहीं पूजवाने चाहिए ।आशिर्वाद नहीं देना चाहिए -लेकिन होता है। और अनर्थ भी होता है ।
6⃣ ⛺ बहुत शिष्य , मंदिर ,मठ , आश्रम , नहीं बनाने चाहिए- लेकिन बन रहे हैं -और अनर्थ हो रहे हैं ।
🔎 परिणाम भी सामने हैं कि पंडित बाबा एवं अन्य प्राचीन संतो जैसे संत वैष्णव आज नहीं है
🔒आज के अधिकतर संतो ,आचार्यों के पास भक्ति का बल कम, शिष्य आश्रम, प्रसाद ,प्रचार-, प्रसार, होडिंग ,रंगीन कार्डों का बल अधिक है।।
7⃣ 👳🏻यदि इस पर ध्यान दिया जाए तो आज भी पंडित बाबा जैसे अन्य अनेक संत हो सकते हैं। इसमें कोई संशय नहीं और विरले आज भी होंगे ही उनका पता नहीं है प्रचार नहीं है इस प्रकार हमें निषिद्ध आचरण से बचना चाहिए
🌺जय श्री राधे
🌺जय निताई
लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन.
प्रस्तुति 🔔 श्यामा किंकरी शालू
[12:32, 12/6/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣4⃣
🌿 क्रोध कैसे कम हो ?🌿
🐝मधुमक्खियां जिस बाग़ से मधु एकत्र करती हैं, उस बाग में यदि नीम के पेड़ अधिक है तो उस मधु में नीम के गुण भी आ जाते हैं। मधु के गुण तो होते ही हैं।
🌹इसी प्रकार गुलाब के, गेंदा के, अथवा अन्य किसी के गुण उस मधु में होते हैं। साधारणतया वह मधु ही है। लेबोरेटरी में इस सूक्ष्मता का पता चलता है।
💥इसी प्रकार हमारे शरीर में बहने वाला रक्त साधारणतया एक जैसा ही लगता है । लेकिन जो भोजन हम करते हैं, उसका प्रभाव उस रक्त पर पड़ता है, अपितु उसी भोजन का वैसा ही रक्त बनता है ।
🍲यदि भोजन तामसिक है तो रक्त तामसिक बनेगा । रक्त तामसिक होगा तो हमारा आचरण, सोच , बर्ताव , क्रिया सभी कुछ तामसिक होगा । सभी कुछ तामसिक होने पर क्रोध होगा ही । अतः क्रोध या तमोगुण कम करना है तो अपने भोजन को ठीक करना होगा।
👀 और हमे सर्वप्रथम यह भी देखना है कि हमारा धन शुद्ध है कि नहीं । यह न्याय से अर्जित है या रिश्वत से । आटे में नमक है या भैंस समेत खोया ?
🔎अतः हम सदैव चेष्टाशील रहे की हमारा धन शुद्ध हो । धन शुद्ध होगा तो अन्न शुद्ध होगा। अन्न शुद्ध होगा तो मन वातावरण सब शुद्ध होगा । और होगा सर्वत्र आनंद ही आनंद।
📌इस प्रकार हमारी इस कथा का संक्षेप में यही अर्थ है कि भाई
💵जैसा होगा धन
🍲वैसा होगा अन्न और
💝वैसा होगा मन
बहुत पुरानी कहावत है
जय श्री राधे। जय निताई
लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
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