Thursday, 17 December 2015

💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    


📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 2⃣5⃣

🌿भक्ति अमर है 🌿

🌻अमृतस्वरूपा 🌻

🌞नारद भक्ति सूत्र का दूसरा सूत्र है । जिसके अनुसार भक्ति अमृत स्वरुप है,  अथवा अमृत है। अमृत यानी अ + मृत जो मृत नहीं होती, जिसका नाश नहीं होता,  जो सदैव है, अमर है ।

🏂इस जन्म में जितनी भक्ति करोगे,  जितनी सीढ़ी चढ़ोगे, मृत्यु के साथ वह समाप्त नहीं होगी,  अगले जन्म में अगले सीढ़ी से प्रारंभ करना होगा।

🔕पिछली सीढ़ियां अमर है,  हर जन्म में जुड़ती जाएंगी। भक्ति का नाश नहीं,  न ही भक्त का नाश है -

🎐'न मे भक्तः प्रणशयति'

💀जबकि कर्म का फल भोग या  मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है ।

🙏अतः इस भक्ति अमृत का अवश्य पान करो । जितना हो उतना करो- यह आगे जुड़ता रहेगा।

 🌿काली और वैष्णव 🌿

🌑काली, महाकाल श्री विष्णु की ही एक शक्ति है - ऐसा सोच कर यदि कोई काली की उपासना करता है तो काली भी अपने स्वामी श्री विष्णु या कृष्ण की और उसे उन्मुख करती है ।

🐃 काली को पशु बलि दे कर स्वतंत्र मान कर जो उनकी उपासना करता है वह वैष्णवता से पतित होकर  तामसिक पूजक ही कहलाता है।

 📌वैष्णव नहीं रह जाता

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू

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