💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 2⃣5⃣
🌿भक्ति अमर है 🌿
🌻अमृतस्वरूपा 🌻
🌞नारद भक्ति सूत्र का दूसरा सूत्र है । जिसके अनुसार भक्ति अमृत स्वरुप है, अथवा अमृत है। अमृत यानी अ + मृत जो मृत नहीं होती, जिसका नाश नहीं होता, जो सदैव है, अमर है ।
🏂इस जन्म में जितनी भक्ति करोगे, जितनी सीढ़ी चढ़ोगे, मृत्यु के साथ वह समाप्त नहीं होगी, अगले जन्म में अगले सीढ़ी से प्रारंभ करना होगा।
🔕पिछली सीढ़ियां अमर है, हर जन्म में जुड़ती जाएंगी। भक्ति का नाश नहीं, न ही भक्त का नाश है -
🎐'न मे भक्तः प्रणशयति'
💀जबकि कर्म का फल भोग या मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है ।
🙏अतः इस भक्ति अमृत का अवश्य पान करो । जितना हो उतना करो- यह आगे जुड़ता रहेगा।
🌿काली और वैष्णव 🌿
🌑काली, महाकाल श्री विष्णु की ही एक शक्ति है - ऐसा सोच कर यदि कोई काली की उपासना करता है तो काली भी अपने स्वामी श्री विष्णु या कृष्ण की और उसे उन्मुख करती है ।
🐃 काली को पशु बलि दे कर स्वतंत्र मान कर जो उनकी उपासना करता है वह वैष्णवता से पतित होकर तामसिक पूजक ही कहलाता है।
📌वैष्णव नहीं रह जाता
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 2⃣5⃣
🌿भक्ति अमर है 🌿
🌻अमृतस्वरूपा 🌻
🌞नारद भक्ति सूत्र का दूसरा सूत्र है । जिसके अनुसार भक्ति अमृत स्वरुप है, अथवा अमृत है। अमृत यानी अ + मृत जो मृत नहीं होती, जिसका नाश नहीं होता, जो सदैव है, अमर है ।
🏂इस जन्म में जितनी भक्ति करोगे, जितनी सीढ़ी चढ़ोगे, मृत्यु के साथ वह समाप्त नहीं होगी, अगले जन्म में अगले सीढ़ी से प्रारंभ करना होगा।
🔕पिछली सीढ़ियां अमर है, हर जन्म में जुड़ती जाएंगी। भक्ति का नाश नहीं, न ही भक्त का नाश है -
🎐'न मे भक्तः प्रणशयति'
💀जबकि कर्म का फल भोग या मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है ।
🙏अतः इस भक्ति अमृत का अवश्य पान करो । जितना हो उतना करो- यह आगे जुड़ता रहेगा।
🌿काली और वैष्णव 🌿
🌑काली, महाकाल श्री विष्णु की ही एक शक्ति है - ऐसा सोच कर यदि कोई काली की उपासना करता है तो काली भी अपने स्वामी श्री विष्णु या कृष्ण की और उसे उन्मुख करती है ।
🐃 काली को पशु बलि दे कर स्वतंत्र मान कर जो उनकी उपासना करता है वह वैष्णवता से पतित होकर तामसिक पूजक ही कहलाता है।
📌वैष्णव नहीं रह जाता
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
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