Thursday 13 November 2014

344. LATEST UPDATES




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youtube par shravan ka anand len
youtube : dasabhas

Saturday 21 June 2014

343. lagaataar fel kyon ? 11350



लगातार फेल क्यों ?


एक विद्यार्थी विद्यालय में 

एक दिन भी लेट नहीं होता है 
कोई भी बदमाशी नहीं करता है 
किसी भी साथी को तंग नहीं करता है 
किसी भी अद्यापक को परेशान नहीं करता है 
अर्थात वो ऐसा कोई भी काम नहीं करता है जो नहीं करना चाहिए 

लेकिन जो करना चाहिए-पढ़ाई , उस पर उसका फोकस 
नहीं है, और वो ३ साल से  फेल हो रहा है 

इसी प्रकार केवल पाप, अपराध न करने से काम  नहीं  चलेगा 
पुण्य व भजन करना ही पडेगा , अन्यथा फेल 

फोकस भजन पर ही रखना होगा, ये सब निषेध हमारा टारगेट नहीं ,
ये हमारे टारगेट के सहायक या उपाय हैं 

टारगेट है  पुण्य या भजन = विधि  न कि निषेध। 

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA

Friday 6 June 2014

342. mandir m musalman, mil gaya samaadhan 11002



मंदिर में मुसलमान 
मिल गया समाधान 



इसमें कण भर भी संदेह नहीं की शंशय की स्थिति में सदा ही 
शास्त्र के  आदेश को पालन करना चाहये 

१ शहद - मक्खियों का थूक ही है 
२ गोमूत्र  - मूत्र ही है 
३ शंख - एक हड्डी ही है 
४ गोबर -  मल  ही है 
५ ढोलक में जीव की खाल का प्रयोग है 

लेकिन शास्त्र  आदेश के कारण ही इनका प्रयोग वर्जित नहीं है 
अपितु भगवद सेवा में होता है 

साथ ही शास्त्र का  भाव व आदेश  को मानने व समझने का 
सभी का स्तर अलग-अलग है 

एक प्रामाणिक पुस्तक में अध्यापक ने लिखा 
यदि ४८ का पहाड़ा याद नहीं होगा तो तुम गणित में फ़ैल हो जाओगे 

कक्षा ३ या ४ के विद्यार्थी के लिए ये आदेश पालनीय है 
कक्षा १२ के विद्यार्थी के लिए इसका कोई अर्थ नहीं हैं 

इसी प्रकार मंदिर का अपवित्र होने के , उस व्यक्ति के पवित्र होने के 
मंदिर के यथावत पवित्र रहने के , इससे कोई फर्क न पड़ने के 
अनेक  उदाहरण व आदेश शास्त्र में हं। 

हम अपने - अपने स्तर के  आदेशों को महत्व देते हैं 
स्तर  बढ़ने पर आगे भी बढ़ते   हैं। 

सभी के विचारों से अभिभूत हूँ।  सभी को प्रणाम

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

Thursday 5 June 2014

341. mandir m musalman



मंदिर में मुसलमान



आज सुबह से मेरे ठाकुर के 
मंदिर में एक कारीगर लगा हुआ था  

आते समय राधे-राधे , जाते समय राधे-राधे बोल रहा था।  
बहुत बढ़िया काम किया।  बहुत सज्जन था 

जाते समय  पता चला की वह एक मुस्लिम था
 
प्रश्न यह है कि  मंदिर में उसके प्रवेश  से मेरा मंदिर 
अपवित्र  हो गया या वह मुस्लिम पवित्र हो गया 

क्या सोचते हैं ?आप ?? 

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
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Friday 30 May 2014

340. karpentar nd manushya 11049



कारपेंटर एवं मनुष्य 


एक मनुष्य यदि यह कहे कि 
कुछ भी कर सकता हूँ , लेकिन 
मै भजन नहीं कर सकता 

यह बात लगभग ऐसे ही है जैसे 
एक कारपेंटर कहे कि कुछ भी करा लो,
लेकिन मैं लकड़ी व फर्नीचर का काम नहीं कर सकता हूँ 

जिस प्रकार लकड़ी का काम एक कारपेंटर ही 
कर सकता है - यही उसका मुख्य काम है 
उसी प्रकार पूरी सृष्टी में एक मनुष्य ही है 
जो भजन कर सकता है.

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA

Thursday 22 May 2014

339. PAAP KA FAL 11034


तुम्हारे पाप का फल है ये !


एक व्यक्ति का मकान अचानक चकनाचूर हो गया
वह दुबारा मकान बनाने की स्थिति में नहीं था, अतः झल्लाकर
धर्माचार्यों के पास गया और कहा कि-

आप भगवान् के अति निकट हैं, आप भगवान् से
प्रार्थना करके मेरा मकान दुबारा बनवा दीजिये

धर्माचार्यों ने भगवान् से बात की, और असलियत का पता लगाया
और उस बन्दे को बताया कि -

तुम पिछले जन्म में एक बिल्डर थे, तुमने बहुतों को बेघर किया था
तुम्हे उस पाप कि सज़ा मिली है, और अब तुम्हे भी पूरे जीवन
इधर-उधर भटकना होगा, अब तुम्हारे भाग्य में मकान नहीं है

वह बन्दा झल्ला गया, बोला में पिछले जन्म को नहीं मानता हूँ
धर्माचार्यों ने कहा, ठीक है, तो भगवान् को भी मत मानो
पिछ्ला जन्म, भगवान्, धर्म, शास्त्र, कर्म, पाप, पुण्य आदि यह पूरा package  है मानो तो पूरा, न मानो तो पूरा मत मानो,

नहीं मानते तो फिर तुम्हारा मकान गिरा, 
तुम जानो, इससे धर्म का , भगवान् का क्या मतलब ???

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA

Saturday 15 March 2014

338. holi - bhang - kalpana

holi - bhang - kalpana



होली - भंग - कल्पना 



मेरी एक प्रेयसी मुझसे ख़फ़ा  होगयी एवं 
झल्ला कर मुझ से बोली 
'आखिर तुम किस मिट्टी से बने हो ?'

मेने कहा-
मै ब्रजवासी हूँ, ब्रज में जन्मा हूँ, ब्रज में पाला हूँ 
ब्रज में ही बड़ा हुआ हूँ।  में  ब्रजकी उस मिट्टी से  बना हू 

जिसे खाकर - 
मेरा कन्हैया माखन की चोरी करने लगा 
एवं माखन चोर कहाया 

जिसे खाकर - 
मेरे कृष्ण ने दुष्टों को मारा एवं कंस - निकंदन कहलाये 

जिसे खाकर - 
गोपाल ने छल पूर्वक अनेक बार गोपियों को छला 
एवं छलिया कहलाये 

जिसे खाकर - 
माधव ने गोपियों के साथ रास रचाया और 
लम्पट कहलाये 

जिसे खाकर - 
मेरे कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया 
और सारथी कहलाये 

जिसे खाकर - 
मेरे गोविन्द ने गिरिराज धारण किया और 
गिरिधारी कहलाये 

जिसे खाकर - 
मेरे द्वारकाधीश ने सोलह हज़ार एक सौ आठ 
रानियों के साथ विवाह किया और योगेश्वर कहलाये 

अभी में और भी  बहुत कुछ कहने को था कि , वह 
खिलखिला कर हस गयी एवं मुझे कंठ लगा लिया 

बोली - में समझ गयी तुम सब ब्रजवासी ब्रज रज से 
बने हो, तभी तो कृष्ण को परम - प्रिय हो !

नोट - यह होली की भंग पीने के बाद की कल्पना है 
कृपया इसके प्रेयसी वाले अंशों को कोरी कल्पना ही समझें 
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA