Thursday, 17 December 2015

[09:40, 12/14/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:

दुनिया में रहने की सबसे अच्छी दो जगह ‘किसी के दिल में’ या ‘किसी की दुआओं में’ !!

[09:40, 12/14/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:

जय हो
दोनों में स्वार्थ है
जब तक उसका फेवर करते रहोगे तब तक दिल में जगह मिलेगी और दुआ भी मिलेगी
सच भी हो लेकिन फेवर म न हो तो दोनों खत्म ।
अतः सबसे उत्तम स्थान
श्याम सुन्दर के चरणों में
जय श्री राधे । जय निताई


[09:40, 12/14/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:


💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 2⃣2⃣

🌿 काम, क्रोध, लोभ,मोह 🌿

😡किसी वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा का नाम है - काम

उस वस्तु के प्राप्त न होने पर क्रोध होता है।

उस वस्तु को और अधिक - अधिक चाहने का नाम लोभ है।

💦 वे वस्तुएं कम न हो, नष्ट न हो, यह भाव मोह है ।

उन वस्तुओं के कारण जो श्रेष्ठत्व का भाव् है, वह है मद ।

जितनी वस्तुएं या धन संपत्ति मेरे पास है,  उतनी दूसरे के पास क्यों है। यह है मात्सर्य । ईर्ष्या ।

💚 प्रेम इन सबसे अलग एक श्रेष्ठ भाव है। प्रेम और मोह का दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं। मोह में नष्ट न होने का भाव् है।  प्रेम में अपने बारे में कुछ सोचना ही नहीं है। हमेशा और हमेशा प्रियतम के हित,  सुख की बात करनी है ।

🍄अपनी बात आते ही प्रेम; काम या कामना बन जाता है।  एक और बहुत पक्की बात है जो 99.9 प्रतिशत लोगों को समझ में नहीं आती है ।

यदि कृष्ण से है तो वह है प्रेम,  किसी भी और से हो तो वह है काम या कामना या स्वार्थ ।

🙌क्योंकि प्रेम के विषय एकमात्र श्रीकृष्ण ही है

अन्य संसारिक लोग या वस्तु नहीं

     🌿सच्चा प्रेम 🌿

📖 श्री मदभागवत की
'अजातपक्षा; इव' शलोक में एक चिड़िया के बच्चे का उदाहरण दिया गया है।

🐥जिसमें बच्चे के पंख नहीं है । और गिद्ध की दृष्टि उस पर पड़़ जाती है। वह माँ - माँ  पुकार रहा है । इसमें मां को याद करने का उद्देश्य अपने जीवन की रक्षा की चाह है।

 🐄 दूसरा उधारण है बछड़े का। उसे घास दो।  नहीं ले रहा, कुछ भी खाने को दो नहीं खा रहा । वह तो केवल माँ -माँ पुकार रहा है इसमें भी अपनी भूख मिटाने हेतु माँ- माँ करना है।

👰🏻 तीसरा उदाहरण है नवविवाहिता नारी का,  जो है तो पीहर में लेकिन अपने प्रियतम  की समृति में क्षीण हुई जा रही है। और चाहती है कि मैं अपने पति के पास जाऊं और  उनकी यथोचित सेवा करूं।

🙇 मेरे बिना वह कष्ट पा रहे होंगे। यह भाव् स्वामी सेवा के लिए उपयुक्त है

इसमें अपने सुख कामना नहीं है। एक साधक की यह एक प्रेमी की यही भावना ही सच्चा प्रेम है।

💧अन्यथा सब स्वार्थ ही  है

🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

लेखक
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू


[09:40, 12/14/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia:


किसी ने मुझसे कहा आपकी आँखें बहुत खूबसूरत हैं;

मैंने कहा ये रोज बिहारी जी को देखती है...🌹👣😊

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