Thursday, 17 December 2015

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💐💐ब्रज की उपासना💐💐

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🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

       क्रम संख्या 10

   🔴सार का सार🔴

🌹किसने स्थापित की🌹

🌷यह जो रमणीक एवं चमत्कारपूर्ण  दुर्लभ उपासना है इसकी शुरुआत कहाँ से हुई ?

🌷तो कहते हैं- 'व्रजवधू' । यानि  व्रज के जो गोप हैं, उनकी वधू यानी पत्नियों द्वारा यह उपासना प्रारंभ की गई ।

🌷 यहाँ यदि 'कृष्ण-वधू' कहा होता तो यह उपासना स्वकीया होती है।

 🌷लेकिन 'व्रज-वधू' से स्पष्ट उद्घोष है कि यह उपासना 'परकीया  भावमयी' उपासना है।

🌷साथ ही 'व्रजवधू' मात्र ही नहीं कहा। साथ में कहा है 'वर्गेण' अर्थात केवल किसी एक गोप की पत्नी ने यह उपासना नहीं की अपितु  'वर्गण'  अर्थात एक पूरा का पूरा झुंड़ या समूह यानि ब्रजवधुओं के एक पूरे समूह ने यह उपासना प्रतिष्ठापित  की ।

🌷अर्थात अष्टसखी सहित श्री राधा एवं अन्य यूथेश्वरी मंजरी गण द्वारा जो उपासना सर्वप्रथम की गई है- वह परकीया भावमयी ब्रजेंद्रनंदन श्रीकृष्ण की  मधुर रागानुगा उपासना ही हमारी उपासना है।

यहाँ ये समझना है कि
उपास्य कृष्ण । राधा नही
धाम वृन्दाबनं । बरसाना नही
उपासना वो जो राधादि ने की
प्रमाण भागवत । अन्य पुराण नही
मत चैतन्य का । माध्व का नही

प्रिया जी वाली उपासना पकड़नी है । इसलिए आनुगत्य प्रिया जी का । उनके धाम का । उनकी सखी वृन्द का। मञ्जरी वृन्द का
लेकिन उपास्य ब्रजेन्द नंदन कृष्ण
     
  क्रमशः.........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠

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