[09:43, 12/14/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: @🌿﹏*))🌸((*﹏🌿@
1⃣4⃣*1⃣2⃣*1⃣5⃣
सोमवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष तृतीया
★
◆~🌸~◆
◆!🌿जयनिताई🌿!◆
•🌸 गौरांग महाप्रभु 🌸•
◆!🌿 श्री चैतन्य 🌿!◆
◆~🌸~◆
★
❗जन्म❗
🌿 श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव संवत् 1542 फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन नवद्वीप में हुआ l इनके पिता का नाम पंo श्री जगन्नाथ मिश्र था और माता का नाम श्री शचीदेवी था l यह दम्पति परम सदाचारी और भगवद्भक्त था l
❗ इनका जन्मनाम विश्वम्भर था l माता पिता इन्हें निमाई नाम से पुकारते थे l इनका शरीर सोने के समान अति कान्तिमय था अतः इन्हें गौर या गौरांग भी कहते हैं ❗
🌿 इनके बडे भाई का नाम विश्वरूप था l विश्वरूप कम उम्र में ही सब विद्या में पारंगत हो गए थे और इन्हें संसार से वैराग्य हो गया l एक दिन विश्वरूप माता पिता और छोटे भाई को छोड़कर चल दिये और सन्यासी हो गये l
🌿 उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•🌿@🌿•
•🌸सुप्रभात🌸•
🌿श्री कृष्णायसमर्पणं🌿
•🌸जैश्रीराधेश्याम🌸•
•🌿@🌿•
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
@🌿﹏*))🌸((*﹏🌿@
गहनो कर्मणा गति
अर्थात कर्म एवम् फल की गति
अति गहन एवम् सूक्ष्म है
इसे अदृष्ट भी कहा गया है अतः
वैष्णवों को इस पर चर्चा करने को भी मना किया गया ह
अनेक बार प्रयास करने पर भी शुभ कर्म नही हो पाता है एवम्
बिना प्रयास के पाप हो जाता ह
कर्म हो या फल कुछ भी पूरी तरह से हाथ में नही ।
जन हमारे हाथ में नही तो क्यों व्यर्थ समय गवाया जाय । हाथ में है भजन । इसलिए एक वैष्णव को सदा पाप पुण्य की चर्चा से बच कर भजन में लगना चाहिए । पापों से बचना चाहिए
समस्त वैष्णवजन के श्रीचरणों में सादर प्रणाम । जयश्री राधे जय निताई
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सोमवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष तृतीया
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◆!🌿जयनिताई🌿!◆
•🌸 गौरांग महाप्रभु 🌸•
◆!🌿 श्री चैतन्य 🌿!◆
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❗जन्म❗
🌿 श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव संवत् 1542 फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन नवद्वीप में हुआ l इनके पिता का नाम पंo श्री जगन्नाथ मिश्र था और माता का नाम श्री शचीदेवी था l यह दम्पति परम सदाचारी और भगवद्भक्त था l
❗ इनका जन्मनाम विश्वम्भर था l माता पिता इन्हें निमाई नाम से पुकारते थे l इनका शरीर सोने के समान अति कान्तिमय था अतः इन्हें गौर या गौरांग भी कहते हैं ❗
🌿 इनके बडे भाई का नाम विश्वरूप था l विश्वरूप कम उम्र में ही सब विद्या में पारंगत हो गए थे और इन्हें संसार से वैराग्य हो गया l एक दिन विश्वरूप माता पिता और छोटे भाई को छोड़कर चल दिये और सन्यासी हो गये l
🌿 उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
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•🌸सुप्रभात🌸•
🌿श्री कृष्णायसमर्पणं🌿
•🌸जैश्रीराधेश्याम🌸•
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गहनो कर्मणा गति
अर्थात कर्म एवम् फल की गति
अति गहन एवम् सूक्ष्म है
इसे अदृष्ट भी कहा गया है अतः
वैष्णवों को इस पर चर्चा करने को भी मना किया गया ह
अनेक बार प्रयास करने पर भी शुभ कर्म नही हो पाता है एवम्
बिना प्रयास के पाप हो जाता ह
कर्म हो या फल कुछ भी पूरी तरह से हाथ में नही ।
जन हमारे हाथ में नही तो क्यों व्यर्थ समय गवाया जाय । हाथ में है भजन । इसलिए एक वैष्णव को सदा पाप पुण्य की चर्चा से बच कर भजन में लगना चाहिए । पापों से बचना चाहिए
समस्त वैष्णवजन के श्रीचरणों में सादर प्रणाम । जयश्री राधे जय निताई
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