Thursday, 17 December 2015

भक्ति या भजन

को कभी भी इगो
या अपनी महानता
या अपनी पहचान
बनाते हुए
जब हम अपने
दायित्वों से
भागते हैं तो
घर गृहस्थी में
क्लेश होता। है

प्रारम्भिक स्तर
पर अपने दायित्वों
के साथ साथ भजन
भक्ति की जानी
चाहिए ।

बाद में परिपक्वता
आने पर
सब छूट जाता है
छोड़ना नही पड़ता

24 में से 10 घंटे
काम नौकरी
6 या 8 घण्टे सोने के
फिर भी 6 घण्टे बचते हैं
3 बीबी बच्चों
माता पिता को देदो
फिर भी 3 बचते हैं

इन 3 घण्टों को
भजन भक्ति में लगाना ह
फालतू चैटिंग
इधर उधर की बातें
तेरी मेरी
राजनीति क्रिकेट
लेना एक न देना दो
वाली बातों को छोड़ कर
भजन करना है
न कि माता पिता
बीबी बच्चों से भागकर

फालतू समय का सदुपयोग
करते करते आनंद
प्राप्त होगा
क्लेश नही होगा ।

समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम । जय श्रीराधे । जय निताई

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