Thursday 14 June 2018

Kaliya Naag ka swbhav | कलिया नाग का स्वभाव


🎲 कलिया नाग का स्वभाव 🎲

🎲 कालिया नाग ने
प्रभु की स्तुति की
और कहा -
प्रभु ये मेरा स्वभाव है,
आपने ही बनाया है
और स्वभाव छूटता
नहीं है ।

🎲 भगवान ने कहा कि
ठीक है, कोई और कहे
जो स्वभावानुकूल
आचरण में लगा हो।
तुम अनेक समय
से धाम में हो !
यमुना के जल में हो !
आज मेरे चरणों का
स्पर्श भी तुम्हे
प्राप्त हो गया ।
फिर भी तुम
अपने स्वभाव का रोना
रो रहे हो तो तुम्हे
धाम में रहने का
अधिकार नहीं ।

🎲 एक साधक भी
यदि इतना सब पाकर
अपना स्वभाव नहीं
बदलता अपितु,
उसकी आड़ लेता है
तो उसे भी धामवास का
अधिकार नहीं ।
भागो यहाँ से !

🙏 समस्त वैष्णव वृंन्द को मेरा सादर प्रणाम

🐚 ।। जय श्री राधे ।। 🐚
🐚 ।। जय  निताई ।। 🐚

🖋 लेखक
दासाभास डॉ गिरिराज
LBW - Lives Born Works at Vrindabn
समस्त वैष्णववृन्द को दासाभास का प्रणाम

धन्यवाद!!
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Tuesday 12 June 2018

Bhakti Course - Class ke lakshan | भक्ति कोर्स - क्लास के लक्षण

Bhakti Course - Class ke lakshan | भक्ति कोर्स - क्लास के लक्षण
Bhakti Course - Class ke lakshan | भक्ति कोर्स - क्लास के लक्षण 

🔰 भक्ति कोर्स 🔰
  क्लास के लक्षण

🔰 कक्षा 1⃣ : श्रद्धा
अर्थात मन-बुद्धि हृदय से स्वीकृति

🔰 कक्षा 2⃣ : वैष्णव संग
भजन करने वालों के साथ उठना।बैठना
और भजन। भगवान की बातें । घर
गृहस्थी की नहीं ।

🔰 कक्षा 3⃣ : भजन क्रिया
अर्थात 24 में से कम से कम 6 घंटे या
अधिक एकांत भजन में समय लगाना।

🔰 कक्षा 4⃣ : अनर्थ नाश
घर। परिवार के क्लेश या तो होंगे नहीं ।
होंगे तो हमारे चित्त पर प्रभाव नहीं
होगा उनका ।

🔰 कक्षा 5⃣ : निष्ठा
अर्थात दृढ़ विश्वास । पत्थर छाप।
अविचलित होकर भजन करना । संशय
की एक बूँद नहीं ।

🔰 कक्षा 6⃣ : रुचि
अर्थात घूम फिर कर बार बार भजन।
भक्ति । एडिक्शन ।

🔰 कक्षा 7⃣ : आसक्ति
भीषण एडिक्शन। जी न पाना। खा न
पाना। रह न पाना। भजन। भगवत्
चर्चा के बिना ।

🔰 कक्षा 8⃣ : प्रेम
श्रीकृष्ण के हृदय में विराजने योग्य
विशुद्ध सत्व की प्राप्ति और श्रीकृष्ण का
हृदय में होने का आभास सर्वथा
आभास । दर्शन । अनुभूति ।

🙏 समस्त वैष्णव वृन्द को मेरा सादर प्रणाम


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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Monday 11 June 2018

Mukhya Baat | मुख्य बात

Mukhya Baat | मुख्य बात


🏅 मुख्य बात 🏅

🎖श्री  रघुनाथ दास गोस्वामी को
उपदेश देते समय कहा था -

🥇अच्छे वस्त्र नहीं पहनना ,
🥈अच्छा भोजन नहीं करना
🥉सांसारिक बातें न करना
न सुनना।  सांसारिक=विशेषकर स्त्री प्रसंग

🎖इतना तो सब को पता है , लेकिन
जो मुख्य बात है , वह है -
'कृष्ण नाम सदा लबे' 

🎖अर्थात सदा , सदैव कृष्ण नाम लेना
कृष्ण नाम होता रहे - ये बात मुख्य है
नाम होता रहे , उसके लिए ये चार बातें हैं
टारगेट नाम है , न की ये चार बातें
समस्त वैष्णववृन्द को दासाभास का प्रणाम

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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Friday 8 June 2018

Kaaran Ya Bhav | कारण या भाव

कारण या भाव

🌀 कारण या भाव 🌀

🌀 किसी भी कार्य के करने में हमारा भाव
ही महत्वपूर्ण है फल का निर्धारण भी
भाव के अनुसार होता है ।
हम भजन को ही ले भजन करते हुए
हम पहचान चाहते हैं तो पहचान
मिलेगी, भगवान नहीं ।
अनेक बार बाहर से एक सी क्रिया
होने पर भी फल भाव के अनुसार
अलग दीखता है ।

🌀 मन्दिर का एक पेड पुजारी
तनखाह के लिए काम करता है ।
उसका सुंदर श्रृंगार करना
उसकी एक्सपर्टता है, भाव नहीं ।
इसलिए वह हजार रुपये अधिक मिलने
पर दूसरे मन्दिर में चला जाता है ।
अतः हमें भी सदा अपने को टटोलते
रहना चाहिए । हम जो कर रहे हैं
वह मूल उद्देश्य के लिए है
जो दिख रहा है या दिल में कोई
छिपा उद्देश्य भी है ।
छिपा उद्देश्य यदि है
तो यह कपट है ।
और कपट चाहे लोक में हो
या भजन में हो कभी भी
सफलता नहीं मिलेगी ।

🌀 अतः शुद्ध मन से कपट
रहित होकर भजन में लगना चाहिए ।
भजन में लगने का कारण
भजन अर्थात श्रीकृष्ण-सुख ही
होना चाहिए । यहाँ तक कि अपने
दुखों की मुक्ति-मोक्ष
को भी कपट ही कहा गया है ।

🙏 समस्त वैष्णव वृन्द को मेरा सादर प्रणाम

🐚 ।। जय श्री राधे ।। 🐚
🐚 ।। जय  निताई ।। 🐚

🖋लेखक
दासाभास डॉ गिरिराज
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Sunday 3 June 2018

Paise wali । पैसे वाली

Paise wali । पैसे वाली


🌲 पैसे वाली 🌲

🌲संसार में सदा अपने समान
या अपने से कम स्तर वाले
लोगों के सम्पर्क में रहो।
बड़े लोगों के सम्पर्क में
आने से आत्म सम्मान
को ठेस लगेगी ।
एक काम होगा कि,
उनके पास जो सुख सुविधा है,
उन्हें प्राप्त करने की
वासना उदित होगी।

🌲मन में कहीं न कहीं
ये भाव घर करेगा कि
'पैसे वाली होगी तो अपने लिए'।
और यदि किसी कारण से
सम्पर्क में आना ही पड़े तो
ईमानदारी से हृदय में
पूरे पक्की तरह
ये भावना बनाकर रखो कि-
ये हमसे अधिक धनवान है,
श्रेष्ठ है, न हम हैं,
न हमें इनकी बराबरी करनी है ।
इनके साथ सदा जूनियर
बनकर ही रहना है ।
ये थोड़ा कठिन भी है ।
ये लौकिक पक्ष है ।

🌲भजन के पक्ष में सदा
अपने से श्रेष्ठतर
वैष्णव का संग करना चाहिए ।
उसके अधिक भजन व भाव को
देखकर हमें भी वैसा भजन या
भाव प्राप्त करने की इच्छा होगी

🌲एक ही भाव :  लोक में हानिकर । भजन में लाभकारी ।

🙏 समस्त वैष्णव वृंद को मेरा सादर प्रणाम

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Sunday 27 May 2018

Fislan । फिसलन



☑️ फिसलन ☑️

☑️ अड़चानानंद जी ने
लिखा
न मैं कोई आचार्य हूँ,
न गोस्वामी,
न ब्राह्मण, न सन्त,
मैं तो आप सब
जैसा ही एक
साधक हूँ ।
आप फिर भी
सुरक्षित हो

☑️ लोग मुझे
श्रेष्ठ समझने लगे हैं ।
मेरे इर्द गिर्द
बहुत फिसलन है ।
पता नहीं कब
इसमें मैं
फिसल जाऊँ
और स्वयं
अपने हाथ से
निकल जाऊँ ।

☑️ अतः आपकी
सबसे बड़ी सेवा
यही है कि मुझको
संभाले रहें ।
मुझे फिसलने से
बचाते रहें ।
मैं फिसलूँ ही नहीं
यदि एक बार
फिसल गया तो फिर
संभल नहीं पाऊँगा।

🙏 समस्त वैष्णव वृन्द को मेरा सादर प्रणाम

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🖋लेखक
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Wednesday 23 May 2018

Initiation - A Divine Knowledge । दीक्षा - एक दिव्य ज्ञान


🌎  दीक्षा  -  दिव्य ज्ञान  🌎

🌎 जगत में जिस प्रकार उपनयन ( जनेऊ) के बिना ब्राह्मण को
अपने कर्म, यज्ञ, अध्ययन आदि कर्मों का अधिकार नहीं रहता,
उपनयन के बाद अधिकार होता है, इसी प्रकार अदीक्षित मनुष्यों
का भी भगवत् मंत्र अर्चनादि में अधिकार नहीं है । इसलिए अपने को दीक्षित करना चाहिए ।।

🌎 जो व्यक्ति विष्णु दीक्षा को
प्राप्त नहीं होते, अथवा जो जनार्दन की पूजा नहीं करते, जगत में
उन्हीं को 'पशु' कहा जाता है । उनके जीवन धारण का क्या फल
है ?

🌎 जो दिव्य ज्ञान प्रदान करती है और पापसमूह को नाश करती
है, तत्व - कोविद गुरुजनों ने उसका नाम "दीक्षा" कहा गया ।।

🌎 जिस प्रकार रस ( पारे) के विधान द्वारा कांसा भी सोना बन जाता
है, अर्थात यथा विधि पारे के संयोग से काँसा भी सुवर्ण बन जाता
है। इसी प्रकार दीक्षा- विधि से मनुष्यों में भी द्विजत्व उत्पन्न हो
आता है । दीक्षित व्यक्ति का शरीर भजन के उपयोगी अप्राप्त शरीर
को प्राप्त करता है ।

🙏 समस्त वैष्णव वृन्द को मेरा सादर प्रणाम

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