Thursday, 15 September 2016

क्या करना । क्या नही करना

​​​​✔  *क्या करना । क्या नही करना *    ✔

▶ भक्ति रसामृत सिंधू बिंदु में भक्ति के 64 अंग बताए गए हैं । जिनमें से पहले 10 अंग ऐसे हैं जो करने हैं

▶ पहला है गुरु पादआश्रय अर्थात शिक्षा और दीक्षा गुरु धारण करना ।

▶ दूसरा है इन गुरुदेव से भजन की शिक्षा प्राप्त करना

▶ तीसरा है गुरुदेव की सेवा करना ।

▶ चौथा है जिन साधनों से हमारे पूर्ववर्ती आचार्य ने भक्ति की है उन्ही साधनो का पालन करना मनमानी नहीं करना

▶ पांचवा है भजन के बारे में गुरुजनों से एवं श्रेष्ठ सजातीय वैष्णवों से प्रश्न करना

▶ छठा है कृष्ण भजन के लिए सुख सुविधा जिव्हा का रस आदि का त्याग करना

▶ सातवां है धार्मिक एवं सात्विक नगरों में वास करना

▶ आठवां है भजन बनता रहे इसके लिए भोजन आदि स्वीकार करना

▶ नोवां है एकादशी व्रत और दसवां है
आवला तुलसी पीपल आदि गो  ब्राह्मण का सम्मान

▶ यह दस अंग भक्ति के द्वार कहे हैं । यह  स्वयं सिद्ध भक्ति नहीं है ।

▶ इन से होकर भक्ति तक जाना पड़ता है । इसके बाद 10 ऐसी चीजें कहीं हैं जो एक भक्त को नहीं करनी है

▶ पहला है असाधु संग त्याग

▶ दूसरा है अधिक शिष्य करण त्याग । अर्थात बहुत शिष्य या बहुत बड़ा अपना फेन फॉलोवर्स नहीं बनाना

▶ तीसरा है सांसारिक आरंभों का त्याग । कोई नया सांसारिक प्रोजेक्ट शुरू नहीं करना

▶ चौथा है शास्त्रों की व्याख्या और विवाद का त्याग

▶ पांचवा है व्यवहार में कंजूसी का त्याग

▶ छथा है शोक और क्रोध का त्याग

▶ सातवां है अन्य अन्य देवताओं की निंदा का त्याग

▶ आठवां है प्राणी मात्र के प्रति हिंसा या उद्वेग का त्याग

▶ 9वां है सेवा अपराध एवं नाम अपराधों का त्याग

▶ और 10 वां है गुरु । कृष्ण । भक्त । शास्त्र की निंदा के सहन का त्याग ।

▶ अर्थात हमारी कोई निंदा करे तो दैन्य दिखाना भी है और सहन करना भी है । लेकिन यदि कोई हमारे गुरुदेव । हमारे शास्त्र । हमारे इष्ट की निंदा करें तो सहन नहीं करना है

▶ देश काल परिस्थिति के अनुसार उसका विरोध
करना ही ह ।

▶ इस प्रकार भक्ति के भवन में प्रवेश करने के बाद इन 10 बातों का त्याग होने के पश्चात ही भक्ति का आचरण शुरू होता है

▶ यदि इन बातों पर लापरवाही हुई तो भक्ति प्रारंभ होने में अभी देर लगेगी ओर ये भी ध्यान रहे ये सब साक्षात भक्ति नहीं हैं । ये भक्ति के लिए योग्यताएं एलिजिबिलिटी हैं । इतना हम यदि कर रहे हैं तो अभी प्री एंट्रेन्स चल रहा है ।

▶ अतः आत्म निरीक्षण करते रहें हम लोग

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

क्या करना । क्या नही करना

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