📚🍵 ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣7⃣
🌿भक्त चार प्रकार के🌿
✔🍁 आर्त- जो अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए भक्ति करते हैं ।
✔🍁जिज्ञासु - जो कृष्ण को जानने के लिए । केवल जानकारी के लिए भक्ति करते हैं ।
✔🍁अर्थार्थी- जो अर्थ, यश, पुत्र, व्यापार या किसी लौकिक कामना के लिए भक्ति करते हैं ।
✔🍁ज्ञानी - जो कृष्ण की प्रीति, उनकी अनुकूलतामयी सेवा या ये कहिए की भक्ति के लिए भक्ति करते हैं,
न कोई कामना, ना दुख की निवृत्ति - ये विशुद्ध भक्त है ।
📗अनपढ़ से चार क्लास पढ़ा होना अच्छा है,
अभक्त से कोई भी भक्त होना अच्छा है ।लेकिन क्लास आगे और भी है चलते रहिए।
🌿🌿श्रद्धा 🌿🌿
📃श्री कृष्ण - प्रेम प्राप्त करने की प्रथम सीढ़ी है। श्रद्धा अनेक प्रकार की है । श्रद्धा का वर्णन शास्त्रों में मिलता ।
🙌 श्रीकृष्ण की पूजा करने से समस्त देवताओं की पूजा हो जाती है, किसी और की पूजा की कोई आवश्यकता ही नहीं रह जाती ।
जैसे पेड़ की जड़ में जल देने से उस पेड़ का तना, शाखा, फूल, फल सब तृप्त हो जाते हैं , सब को अलग अलग जल देने की जरूरत नहीं है ।
🙏ऐसी यह श्रद्धा ही कृष्ण प्रेम भक्ति प्राप्ति की प्रथम सीढ़ी है। इस श्रद्धा के बाद- साधु संग भजन करना, अनर्थों की समाप्ति, निष्ठा, रुचि, आसक्ति, भाव एवं अंत में प्रेम की प्राप्ति हो जाती है।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
क्रम संख्या 1⃣7⃣
🌿भक्त चार प्रकार के🌿
✔🍁 आर्त- जो अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए भक्ति करते हैं ।
✔🍁जिज्ञासु - जो कृष्ण को जानने के लिए । केवल जानकारी के लिए भक्ति करते हैं ।
✔🍁अर्थार्थी- जो अर्थ, यश, पुत्र, व्यापार या किसी लौकिक कामना के लिए भक्ति करते हैं ।
✔🍁ज्ञानी - जो कृष्ण की प्रीति, उनकी अनुकूलतामयी सेवा या ये कहिए की भक्ति के लिए भक्ति करते हैं,
न कोई कामना, ना दुख की निवृत्ति - ये विशुद्ध भक्त है ।
📗अनपढ़ से चार क्लास पढ़ा होना अच्छा है,
अभक्त से कोई भी भक्त होना अच्छा है ।लेकिन क्लास आगे और भी है चलते रहिए।
🌿🌿श्रद्धा 🌿🌿
📃श्री कृष्ण - प्रेम प्राप्त करने की प्रथम सीढ़ी है। श्रद्धा अनेक प्रकार की है । श्रद्धा का वर्णन शास्त्रों में मिलता ।
🙌 श्रीकृष्ण की पूजा करने से समस्त देवताओं की पूजा हो जाती है, किसी और की पूजा की कोई आवश्यकता ही नहीं रह जाती ।
जैसे पेड़ की जड़ में जल देने से उस पेड़ का तना, शाखा, फूल, फल सब तृप्त हो जाते हैं , सब को अलग अलग जल देने की जरूरत नहीं है ।
🙏ऐसी यह श्रद्धा ही कृष्ण प्रेम भक्ति प्राप्ति की प्रथम सीढ़ी है। इस श्रद्धा के बाद- साधु संग भजन करना, अनर्थों की समाप्ति, निष्ठा, रुचि, आसक्ति, भाव एवं अंत में प्रेम की प्राप्ति हो जाती है।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
लेखकः-
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन ।
🌞प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
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