Sunday 21 February 2016

[15:59, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कल एकादशी है ।
  हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।

     व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।

कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌹    श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾

श्रीप्रबोधानंद सरस्वती पाद कहते हैं कि....

🌴कृपा निधान अपार कृष्ण व्रज युवतिन नागर
🌱उनसों कातर विनय नमन मैं करों निरंतर।
🌴कब ह्वै हों रतिनिष्ठ--धाम श्री--परम प्रेममय
🌱रस सिन्धु जो प्रलय बीच हूँ होत नहीं लय॥

🌳अपार करुणाकर व्रजविलासिनी--श्रीराधानागर--श्रीकृष्ण को बारम्बार अतिशय विनयपूर्वक प्रणाम करते हुए मैं यही प्रार्थना करता हूँ कि निरंतर महाप्रणय-अमृत समुद्र प्रवाही इस भौम श्रीवृंदावन में किसी भी जन्म में मुझे (रति) प्रेम ही प्राप्त हो।

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 7⃣2⃣

🌿 मोक्ष या मुक्ति 🌿

🌹मोक्ष यानी मुक्ति !

मुक्ति यानी दुःखो की निर्विति ।  धर्म -अर्थ - काम मे लगते - लगते हैं दूसरे पुरुषों को लगे देखकर , उनके दु:ख, टेंशन, परेशानी, को देख कर कुछ पुरुष इन दुःखो के मूल कारण शरीर के जन्म होने से ही मुक्ति चाहते हैं।

👤 ये आत्मा ना शरीर धारण करेगी और न दुख होगा -यह सोचकर वे भुक्ति या कामना की श्रेणी में ही रखा जाता है। ' भुक्ति - मुक्ति स्पृहा यावत् पिशची ह्रदि वर्तते '

👥 भोग या कामना या भुक्ति ये तीनो पिशची है। ये निवृति परक अवश्य है,  लेकिन इसमें भी अपने लिए कुछ चाहना तो है ही, कामना तो है । हाँ कुछ पाने की नहीं, छूटने की।

👿 अपने दुख से छूट भी गए तो वैसे ही है जैसे बैंक का लोन उतर जाने का अर्थ ऍफ़.डी. बनना नही है। दुख समाप्ति का सुख प्राप्ति नहीं है ।

📌 सुख प्राप्ति कुछ और ही है। मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणो में।

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

🌿 काम 🌿

🎎 सृष्टि में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो काम यानी कामना । इच्छा । चाहे वह शरीर सुख भोग से संबंधित हो या यश, मान, प्रतिष्ठा,  भौतिक सुख सुविधाओं से संबंधित हो, जीवन भर अपनी कामनाओं की पूर्ति में येन - केन प्रकारेण लगे रहते है ।

💰 इसके लिए वे धन कमाते भी है।  धन मारते भी है, ऋण भी लेते हैं अन्याय अधर्म करते हैं।  कैसे भी यह इच्छा पूरी हो बस ! लुट जाए , पिट जाएँ, ऋणम् कृत्वा धृतम पिबेत् उत्तम कामना भी एक ऐसी चीज है कि पूर्ण हुई, दूसरी खड़ी हो गई।

👻 दूसरी पूर्ण हुई, तीसरी खड़ी हो गई।  कामनाओं का अंत नहीं है । अर्थ -धर्म- काम ये तीन प्रवृति परक है आगे मोक्ष पर विचार करेंगे। धर्म पूर्वक अर्थ उपार्जन करके अपनी उचित कामनाओं को पूर्ण कर उनसे मोक्ष पाना ही बात नहीं है इसके आगे भी है।

🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐

🌿अरे बाबा कुछ करो 🌿

🙌 यदि भगवान चाहते कि हम कुछ न करें तो हमें एक गोल पत्थर बना कर हिमालय के ऊपर रख देते।  हमें आंख,  नाक, कान, हाथ, मन, मस्तिक, बुद्धि, वाणी, आदि आदि देकर सब तरह से लैंस करके किस लिए भेजा ???

😒 खाली बैठकर प्रारब्ध - प्रारब्ध रोने के लिए नहीं अपितू कुछ करने के लिए सब दिया है। दिए हुए को उपयोग नही करोगे तो अगले जन्म में नहीं मिलेगा । मिलेगा भी तो बंदर की तरफ आंख , नाक आदि सब हैं , लेकिन किसी काम का नहीं है अतः कुछ करो ।बहुत ही अच्छा हो कि भजन करो।

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🎗



◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗


🌺    सन्त जन कहते है कि एक भक्त जो कुछ भी हो रहा है उसमे श्री हरि की कृपा को देखता है l भक्त का अर्थ है सकारात्मक सोच l

🌺     कभी कभी संसार में पिता सज्जन है और पुत्र दुर्जन होता है l सज्जन भक्त पिता की सोच कि भगवान ने मुझे दुष्ट पुत्र इसलिए दिया है कि मैं पुत्र में आसक्त न हो जाऊँ l यह मेरे प्रभु की मुझ पर कृपा है यदि पुत्र अच्छा होता तो मुझे आसक्ति हो जाती l

🌺     भक्ति का अर्थ है सदैव सकारत्मक सोच ठाकुर जी जो करते है हमारी भलाई के लिये करते है l प्रभु वो नहीं देते जो हमको अच्छा लगता है अपितु प्रभु वो सब देते है जो हमारे लिये अच्छा होता है l
                       ✏ मालिनी
 
       &﹏*))🌺((*﹏&
             •🌿ω🌿•
      •🎗कृष्णमयरात्रि🎗•
   🌺श्री कृष्णायसमर्पणं🌺
      •🎗जैश्रीराधेकृष्ण🎗•
              •🌿ω🌿•
          &﹏*))🌺((*﹏&
   
🎗◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



लम्बे अंतराल के बाद

~~~ दासाभास कहिन ~~~

 धाम की  चाह ~ एक चर्चा  ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-chaahcharcha

धाम कि महिमा  ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-mahima

हरि हराए (भजन) ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/hari-haraye-bhajan

हे वृषभानु सुते (भजन) ~~~ > http://yourlisten.com/Dasabhas/he-vrushbhanu-sute-bhajan

जगन्नाथ  मन्दिर सम्बन्धि ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/jagannath-mandir-me-ger-hindu



कुरुक्षेत्र से ब्रज वापसी  ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/kurukshetra-se-braj-vapisi

साबूदाना ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/sabu-dana

मंदिर और   नकारातमक सोच ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/mandir-me-negative-soch-na-ho

खंड पीठ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/khand-peeth-kya

गौडीय ग्रन्थ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/godiya-grnth
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 4⃣0⃣
   
     🎼भजन क्रिया🎼

🎶 भजन-क्रिया अर्थात् भजन करना। 👳🏻साधु- वैष्णव अथवा📚 सद्ग्रंथों के अध्ययन का परिणाम होता है कि वह भजन की बातों के साथ-साथ भजन करना भी प्रारम्भ कर देता है।

🔱भजन या भक्ति के चौंसठ अंग हैं। अपनी रुचि स्थिति, परिस्थिति के अनुसार उनमें से एक या अनेक अंगों का आश्रय लेकर भजन किया जा सकता है।

 💂साधुसंग
 🎤नामसंकीर्तन
📖श्रीमद्भागवत पाठ या श्रवण  उनके अर्थो को  समझ- समझकर।
🌎 मथुरा-मंडल (व्रज) वास ❄श्रीमूर्ति की श्रद्धासहित सेवा।

 5⃣ये पांच अंग प्रमुख हैं इनका सभी का या किसी एक अंग का श्रद्धा सहित आश्रय  लेने से ही अवश्य ही प्रेम  प्राप्ति होती है।

🌈इन पांचों में से यदि 'व्रजवास' कर लिया जाए तो श्रीविग्रह-सेवा तो होगी ही, स्वभाविक रुप से साधु-संग, श्रीमद्भागवत-पाठ और नाम सकीर्तन भी स्वत: प्राप्त हो जाएगा।

🌠 व्रज या वृंदावन में और है ही क्या?चारों तरफ- संकीर्तन🎹, मंदिरों की आरती की ध्वनि🔔,नियमित पाठ📕 और साधु-वैष्णव👳🏻 ही सहज मिलते हैं, जबकि अन्य नगरों में ये ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते।

 यदि अन्य नगरों में है तो,

1.संकीर्तन कर सकते हैं।
2. साधुसंग के रुप में ग्रंथ अध्ययन करके,
3. श्रीमद्भागवतादि पाठ भी पूर्ण हो जाता है।

🔮 श्रीविग्रह प्रत्येक वैष्णव के घर में है ही।रही व्रजवास की बात, तो एकान्त चित होकर मानसिक रुप से यह चिंतन करें कि मैं ब्रज में विचरण कर रहा हूँ। मंदिर जा रहा हूँ। आदि-आदि। तो यह व्रजवास भी हो जायेगा।

 इसके अतिरिक्त

👂श्रवण,
🎶 कीर्तन,
😇स्मरण,
👣चरण सेवा,
🌻 पूजा,
🎄वंदना,
🎅 दास्य सेवा,
🎈सख्य सेवा,
🌈आत्म समर्पण के नौ रंग है।

 क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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       1⃣7⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
              बुधवार माघ
            शुक्लपक्ष दशमी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
    !*! 〰〰〰〰〰 !*!
 
                     7⃣
               
❗श्री राधाविनोद गोकुलानंद मन्दिर❗

🌹      यह मन्दिर पटना वाली कुंज के सामने स्थित है l इस प्राचीन मन्दिर में श्री राधाविनोद एवम् श्री गोकुलानंद के दो विग्रह सेवित हैं l श्री लोकनाथ स्वामी श्री नरोत्तम दास ठाकुर और श्री विश्वनाथ चक्रवर्ती की समाधियों के दर्शन भी यहाँ प्राप्त हैं l

🌹    श्री लोकनाथ गोस्वामी का मन श्री चैतन्य देव के प्रति आकर्षित था l घरबार छोड़कर श्री महाप्रभु के दर्शन हित नवद्वीप पहुंचे l महाप्रभु ने श्री वृन्दावन जाने का आदेश दिया lकुछ समय पश्चात महाप्रभु के दर्शन के लिए चित्त व्याकुल हो उठा lसुना कि महाप्रभु आजकल दक्षिण भारत की यात्रा पर गये है तो आप दक्षिण गये l वहां दर्शन न हुआ महाप्रभु वृन्दावन आ चुके थे l वे वृन्दावन आये तो महाप्रभु  प्रयाग जा चुके थे lमहाप्रभु ने स्वप्न में आदेश दिया कि आप ब्रज को छोड़कर मत जाओ l

🌹     स्थिर होकर ब्रज में भ्रमण करते रहे l एक दिन किशोरी कुण्ड पर श्री कृष्ण विरह में व्याकुल होकर रोते हुए सोच रहे थे कि मेरे पास  कोई श्री विग्रह भी तो नहीं है जिसकी सेवा कर कुछ धीरज हो l

🌹   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l

                 क्रमशः.........
                        ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
             •🔔★🔔•
         •☘सुप्रभात☘•
   •🌹श्रीकृष्णायसमर्पणं🌹•
       •☘जैश्रीराधेश्याम☘•
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[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कुछ लोगों का
वॉट्सएप्प के साथ
इतना आत्मसात है कि

घर में कुछ भी
ऊँची नीची बात होने पर

सबसे पहले ग्रुप
लेफ्ट करते हैं

फिर पर्सनल पर देखते हैं
कि किसने किसने
पूछा कि क्या हुआ

😂😳😂😳😂😳
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💧💧💧💧💧💧💧💧

पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🍁1⃣9⃣ 🌷इष्ट -निष्ठा🌷🍁

🌷🌷इष्ट-निष्ठा🌷🌷

🌷जाकूँ अपनौ सब कुछ मान लें।उन पै ही पूर्ण निर्भरता है जाय।वे ही हैं इष्ट।

🌼जा के ताँई अपनौ समग्र जीवन ही समर्पित कर देय-अपनौ सर्वस्व बलिदान कर देय।

🍀अपने ने लिये कछु न राखै कछु न चाहै अन्य काहू कौ आश्रय न होय सब कुछ ये ही रह जायँ

🌜जाहि न चाहिअ कबहुँ कछु तुम सन सहज सनेहु 🌛

➡ याही कूँ इष्ट निष्ठा के नाम सों कह बैठे है।

⚡है यह आगे की कक्षा :-

⬇यही साध्य है।

⬇यही लक्ष्य है।

⬇यही प्रेमावस्था है ।

⬇यही परमधर्म है।

⬇यही परम कर्तव्य है।

⭐या अवस्था की प्राप्ति के ताई सतत् जुटे रहनौ  यही तौ साधक कौ सबसों ऊँचा साधन है।

⚡या अवस्था के प्राप्त करवे के ताई आवश्यकता है-

🍓१).पूर्ण श्रद्धा की

🍓२).पूर्ण सदाचार की

🍓३).पूर्ण साधन की

🍓४).पूर्ण वैराग्य की

🍓५).वासना केवल प्रेम की

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📕संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कल एकादशी है ।
  हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।

     व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।

कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



वर्षा

जैसे वर्षा का जल तो प्रत्येक स्थान पर एक जैसा बरसता है परंतु उसका पूरा-पूरा लाभ तो हरे-भरे पौधे

नदियां । तालाब । पोखर । कुण्ड ही उठा पाते हैँ ।

इसी प्रकार भगवत्कृपा तो हर किसी पर होती है

पर उसे अपने आंचल मेँ वे ही भर पाते हैँ जिन्हेँ प्रभु-प्रेम की तीव्र अभिलाषा है

प्रभु प्रेम की पात्रता है
और पात्रता आती ह नाम से

जय श्री राधे । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
       
✏क्रमश से आगे.....2⃣9⃣

🌿🌷तब श्रीमन्महाप्रभु ने श्रीमुकुन्द को कीर्तन करने की आज्ञा दी। फिर क्या था? कहां तो गये न्यासी-शिरोमणि प्रभु के दण्ड और कमण्डलु, उन्मत हो उठे और श्रीभारती जी को आलिंगन कर नृत्य करने लगे। प्रभु की ऐसी कृपा प्राप्त करते ही श्रीभारतीजी में विशुद्ध-भक्ति का आविर्भाव हो उठा। उन्होंने दण्ड-कमण्डलु को दूर फैंका और 'हरि-हरि'बोल कर नाचने लगे। प्रेमावेश में इन्हें शरीर की सुध-बुध न रही, वस्त्र तक सम्भालना भी मुश्किल हो गया। इस प्रकार श्रीभारतीजी ने श्रीमन्महाप्रभु के साथ नृत्य-गान में रात्रि बितायी।

🌿🌷सवेरे जब श्रीप्रभु ने उनसे विदा मांगी, तो ये अधीर हो उठे।-"कृष्णचैतन्य। मुझे छोड़कर अब तुम कहाँ जाओगे ? मेरे प्राणों का सहारा क्या रहेगा ?" ऐसा कहते हुए श्रीभारतीजी रोने लगे और प्रभु के साथ ही चल दिये। बोले-"श्रीकृष्णचैतन्य" मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा और कृष्ण-कथा-संकीर्तन का आनन्द लूंगा।" थोड़ी दूर तक श्रीभारतीजी प्रभु के साथ रहे, फिर प्रभु ने इन्हें प्रणाम कर वापिस कण्टक नगर भेज दिया।

🌿🌷श्रीभारती जी जब नगर में आये, तो अनेक नर-नारी जो श्रीमहाप्रभु की संन्यास लीला के रहस्य तथा उनके स्वरूप ज्ञान से शून्य थे। इनसे बड़ा दुख मान गये। जिस समय से संन्यास प्रदान कर रहे थे, उस समय भी कण्टक नगर के नर-नारी श्रीमन्महाप्रभु के श्री अंग की शोभा देख-देखकर श्रीभारतीजी को मन-मन में कोस रहे थे-"कैसा कठिन हृदय है इस भारती का ? हाय ! हाय !! यह बालक को संन्यासी बना रहा है, यह कोई संन्यास धर्म का पालन थोड़े हो रहा है, एक उपहास हो रहा है।' श्रीप्रभु के मुखचन्द्र को देख-देखकर कण्टक नगरवासी श्रीभारती को गालियां ही दे रहे थे। जब यह लौटकर नगर में आये, तो सब ने एक स्वर में कहा-श्रीचैतन्य मंगल-

🌿कठिन अन्तर इहार दयाहीन जय।
🌿नगरे ना राखि इहार कहिल कथन।।

🌿🌷"यह संन्यासी अति कठोर हृदय है। इसे जरा भी दया नहीं, इसे नगर में मत रहने दो, बाहर निकाल दो"-भारती जी तो हृदय में जान ही रहे थे कि मेरे प्रभु ने ही मुझ से ऐसा कार्य कराया है। उनकी यह लीला है जगत् के जीवों के उद्घार के लिये। श्रीभारती जी ने सबको प्रणाम किया और कहा-अहो ! धन्य है आप सब, जो श्रीप्रभु के प्रति आप में ऐसा अहैतुक स्नेह उदय हुआ है। श्रीभारतीजी ने फिर श्रीमन्महाप्रभु के स्वरूप का परिचय दे-देकर नगरवासिओं को उनकी लीला का रहस्य बताया।

✏क्रमश......3⃣0⃣


📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जय श्री राधे । जय निताई

🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित

💫💫क्रम 3⃣💫💫


श्लोक 0⃣1⃣

जयति तेऽधिकं जन्मना ब्रजः
श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि।
दयित दृश्यतां दिक्षु तावका
स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते॥


भावार्थ:- हे प्रियतम प्यारे! तुम्हारे जन्म के कारण वैकुण्ठ आदि लोको से भी अधिक ब्रज की महिमा बढ गयी है, तभी तो सौन्दर्य और माधुर्य की देवी लक्ष्मी जी स्वर्ग छोड़कर यहाँ की सेवा के लिये नित्य निरन्तर यहाँ निवास करने लगी हैं। हे प्रियतम! देखो तुम्हारी गोपीयाँ जिन्होने तुम्हारे चरणों में ही अपने प्राण समर्पित कर रखे हैं, वन-वन मे भटककर तुम्हें ढूँढ़ रही हैं।

🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟

क्रमशः4⃣
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



हरे कृष्ण
परमपूज्य गौडियग्रंथप्रदाता वैष्णवशिरोमणि श्री श्यामदास जी के
अविर्भावदिवस पर सभी वैष्णवजनो
को हार्दिक बधाई।
श्री श्यामदास जी के चरणों में नमन
और सादर अभिनन्दन।
🌸🌸🌸🌸🌸
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡!🌸★🔔☘🔔★🌸!¡•

       1⃣8⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
                गुरुवार माघ
            शुक्लपक्ष एकादशी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
    !*! 〰〰〰〰〰 !*!
 
                     7⃣
               
❗श्री राधाविनोद गोकुलानंद मन्दिर❗

🌸      इतने में ही एक गोप बालक एक दिव्य श्री विग्रह लेकर आया और बोला बाबा ❗लो इस श्री मूर्ति की आप सेवा किया करना इसका नाम है राधाविनोद गोस्वामी जी ठगे से रह गये l श्री विग्रह तो हाथ में लिया परन्तु श्री विग्रह देने वाला जाने कहाँ खो गया l तब स्वयं राधाविनोद बोले गोस्वामी तुम तो मेरे लिये उत्कण्ठित एवं व्याकुल थे l मैं स्वयं इस किशोरी कुण्ड की कुंज से निकल कर तुम्हारे पास आ गया हूँ l

🌸    श्री गोस्वामी प्रेम मुग्ध हो कुछ कहना चाहते थे कि श्री राधाविनोद ठाकुर बोले गोस्वामी बातों में समय नष्ट न करो मुझे बहुत भूख लगी है कुछ खाने को दे दो l झट साग राँधा और भोग निवेदन किया l श्री ठाकुर ने पेट भरकर साग खाया l इन्होने पुष्पो की शय्या बिछायी और उन्हें शयन करा दिया l

🌸     कोई मन्दिर नहीं कोई कुटिया नहीं वृक्षों के नीचे ही जीवन कट रहा था l सोच सोचकर कपडे का झोला बनाया और उसमें श्री राधाविनोद को डालकर गले में लटकाये घूमा करते l श्री राधाविनोद भी उस अद्भुत झूलन को पाकर आनंद में सदा झूमते रहते l

🌸   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
                 क्रमशः.........
                        ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
             •🔔★🔔•
         •☘सुप्रभात☘•
   •🌸श्रीकृष्णायसमर्पणं🌸•
       •☘जैश्रीराधेश्याम☘•
              •🔔★🔔•
          ¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
   
•¡!🌸★🔔☘🔔★🌸!¡•
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
       
✏क्रमश से आगे.....3⃣0⃣

🌿🌷जब श्रीमन्महाप्रभु वृन्दावन न जाकर रामकेलि ग्राम से शान्तिपुर श्रीअद्वैताचार्य के घर पधारे तो दैवयोग से वहां एक श्रेष्ठ संन्यासी भी आ पहुंचा। श्रीआचार्य ने उन्हें भिक्षा की प्रार्थना की। वह संन्यासी बोला, "मैं भिक्षा तो आपके घर करूंगा ही, किन्तु मुझे पहले आप मेरे एक प्रश्न का उत्तर दीजिये।" श्रीआचार्य ने कहा-"सुन्दर है, आप पहले प्रसाद पाइये फिर मैं आपके प्रश्न का उत्तर दूँगा।" किन्तु वह संन्यासी महोदय जिद्द पर अड़ गये-"पहले उत्तर पीछे प्रसाद श्रीआचार्य को हार माननी पड़ी। उन्होंने कहा, "महोदय ! पूछिये, क्या पूछना चाहते हैं"? संन्यासी ने कहा-"आचार्य ! मुझे यह बताईये श्रीकेशव भारती में श्रीमन्महाप्रभु का क्या सम्बन्ध है ?"

🌿🌷श्रीअद्वैताचार्य मन में सोचने लगे कि इस विषय में दो पक्ष है एक तो व्यावहारिक पक्ष है, दूसरा पारमार्थिक। श्रीमहाप्रभु का श्रीभारती जी से दोनों प्रकार का सम्बन्ध है। लौकिक-लीला या व्यावहारिक पक्ष मे श्रीभारती जी श्रीमहाप्रभु के गुरु है, और पारमार्थिक पक्ष में श्रीमहाप्रभु जगद्गुरु सर्वेश्वर हैं, अत:श्रीप्रभु ही भारती के गुरू है।"श्रीआचार्य प्रभु स्पष्ट बोले-"सुनिये महाशय ! श्रीभगवान् का कोई माता-पिता गुरू नहीं है, वे ईश्वर, अनादि एवं अजन्मा हैं। तथापि उन्हें यशोदानन्दन, वासुदेव-पुत्र कहा ही जाता है। इसी प्रकार पारमार्थिक पक्ष में श्रीमन्महाप्रभु का कोई गुरू न होकर भी व्यावहारिक पक्ष में श्रीकेशवभारती श्रीमहाप्रभु के गुरू है।"

🌿🌷'श्रीपाद केशव भारती श्रीमन्हाप्रभु के गुरू हैं"-श्रीअद्वैतचार्य प्रभु के पाँच वर्षीय बालक अच्युतानन्द ने यह सुना। वह उस समय आंगन में खेल रहा था। वह दौड़ कर पिता-श्रीअद्वैतप्रभु के पास आया और बोला-पिता जी ! आपने क्या कहा?'केशव भारती श्रीमहाप्रभु के गुरु है"श्रीचैतन्यप्रभु का भी कोई गुरू हो सकता है, किस बल पर आपने यह कहा है? मालूम होता है यहाँ भी कलियुग का प्रवेश हो गया है। अथवा श्रीचैतन्य की दुस्तर माया, जो ब्रह्म-शिव को भी मोहित कर देती है, आपके ऊपर भी उसका प्रभाव छा गया है। श्रीचैतन्य-परमेश्वर हैं, जगद्गुरू हैं, उनका भी कोई गुरू ? कदापि नहीं।" इतना कहकर श्रीअच्युत-सिर झुकाकर चुप हो गया।

✏क्रमश......3⃣1⃣


📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



चैतन्य भक्तगाथा 3⃣0⃣
इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें एवम् समझें कृपया । हमारे सम्प्रदाय प्रवर्तक श्री चैतन्य ने पहले भारती को मन्त्र दिया । फिर लोक लीला के लिए उनसे मन्त्र लिया ।

ऐसा ही ईश्वरपुरी के साथ हुआ । ये छोटे छोटे प्रसंग विशेष रूप से हृदयंगम करने के लिए हैं । ये बेसिक्स हैं । ये समझना आवश्यक है जी । जय हो
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जय श्री राधे । जय निताई

🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित

💫💫क्रम 4⃣💫💫


श्लोक 0⃣2⃣

शरदुदाशये साधुजातसत् सरसिजोदरश्रीमुषा दृशा।
सुरतनाथ तेऽशुल्कदासिका वरद निघ्नतो नेह किं वधः॥

भावार्थ:- हे हमारे प्रेम पूरित हृदय के स्वामी! हम तुम्हारे बिना मोल की दासी हैं, तुम शरद ऋतु के सुन्दर जलाशय में से चाँदनी की छटा के सौन्दर्य को चुराने वाले नेत्रों से हमें घायल कर चुके हो। हे प्रिय! अस्त्रों से हत्या करना ही वध होता है, क्या इन नेत्रों से मारना हमारा वध करना नहीं है।

🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟

क्रमशः5⃣
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 7⃣3⃣

🌿 वृंदावन के वृक्ष 🌿

📕विज्ञान के सिद्धांत पहले हम पुस्तको में पड़ते हैं, फिर उन्ही सिद्धांतों को प्रयोगशाला में जाकर प्रेक्टिकल करते हैं। ऐसा करने से वह सिद्धांत सत्य सिद्ध तो होता ही है, साथ ही हमारे दिल - दिमाग में पक्की तरह बैठ भी जाता है।

 📖 श्रीमद्भागवत में वर्णन है की उद्धव ने वृंदावन में गुल्म, लता, औषधि के रूप में अपना जन्म मांगा है। उद्धव के साथ -साथ अनेक संतो ने भी ऐसा मांगा होगा और उन्हें लता औषधी, पौधे के रूप में जन्म मिला भी होगा।

🔆 इस थ्योर्टिकल बात का प्रैक्टिकल यदि देखना है तो भगवतभक्ति प्राप्त संतों का संग प्राप्त करना होगा । बाबा श्री चंद्रशेखर जी ने अपने दातुन के लिए भी कभी किसी वृक्ष को नहीं तोड़ा ।

🎌 प्रथम तो अनेक वर्षों तक ब्रज रज से ही मंजन करते रहे।  बाद में बाजार से लाए पाउडर से मंजन किया। भक्ति -विषयक सिद्धांतों को प्रयोगशाला है-  भगवतभक्ति प्राप्त साधु -वैष्णव संत जन इनका प्रकष्ट संग करने से ही सभी सिद्धांतों का प्रैक्टिकल स्वतः हो जाता है।

🎅 संतों का संग करने पर फिर

वृंदावन के वृक्ष को
मर्म न जाने कोय,
डाल- डाल अरु पात -पात
पर राधे-राधे होय'

🎈इस बात पर कोई संशय नहीं रहता और वृक्ष ' राधे-राधे' कैसे बोलते हैं यह बात समझ आ जाती है
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🌿गन्दी बातें🌿

💣 गंदी बातों की प्रशंसा करो या विरोध -दोनों स्थितियों में  नेगेटिव वाइब्रेशन प्रचारित होती हैं।  भ्रष्टाचार का विरोध तो जो हुआ, सो हुआ, इससे भ्रष्टाचार का प्रचार अधिक हुआ है। जिन्हें पता नहीं था, उन्हें भी पता चल गया और शायद वह भी अब बिना डरे भ्रष्टाचार का आश्रय लेंगे ।

अतः केवल व् केवल अच्छी बातों के बारे में ही बात होनी चाहिए ।

📼 गंदी बातें सदा से थी, सदा रहेंगी इन्हे दफनाते रहना चाहिए।

 🙌🏻जय श्री राधे।जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[22:31, 2/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🍁 2⃣0⃣🌺 इष्ट के स्वरुप कौ निश्चय🌺 🍁

🍒१.सबकी यही मान्यता है कि श्री भगवान् स्वयं ही कृपा करकें साधक के ह्रदय में प्रकट होय हैं।

🍓तथापि साधक कौ हू कर्तव्य तौ है ही कि-वह श्री प्राणवल्लभ की चाह करै ।

🍒२.पूर्व जन्मार्जित भक्ति संस्कार एवं सद्गुरु कृपा सों प्राप्त साधन के द्वारा अन्तः करण की निर्मलता सम्पन्न हैवे पै स्वयं ही ह्रदय में इष्ट के स्वरुप कौ अविभार्व होय है।

🍓जब निर्मल एवं द्रवित चित्त में इनके स्वरुप की छाप पर जाय है वह आमिट होय है। तबी वाकी विस्मृति नहीं होय है।

🍒३.इष्ट चिन्तन में जब प्रगाढ़ता बन जाय है तब प्रेम प्राप्ति के अभीप्सु साधक के ह्रदय में श्री जीवन धन की ओर सों एक भाव (सम्बन्ध) की प्राप्ति होय है।

🍓४.पूर्व जन्मन की साधना के परिणामस्वरूप बाल्यकाल सों ही अथवा काहू समय विशेष में;

🍒महापुरषन के जीवन में ये बातें स्वतः प्रकट है जाय हैं। या के लिये जीवन में काहू विशेष साधना की अपेक्षा नहीं रहै है।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[22:31, 2/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



राधेश्याम जी 🙏

 
श्री नित्यानन्द प्रभु त्रयोदशी आविर्भाव महोत्सव,
पंचामृत अभिषेक, भोग, तिलक व आरती 20 फ़रवरी
सभी वैष्णव जनों का व्रत रहेगा।

 व्रत का पारण अगले दिन 7से10 बजे तक । अभिषेक के बाद भी पारण हो सकता ह ।
[22:31, 2/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
       
✏क्रमश से आगे.....3⃣1⃣

🌿🌷श्रीअद्वैताचार्य अपने पाँच वर्ष के शिशु से श्रीमन्महाप्रभु का तत्व सुनकर विस्मित हो उठे और आनन्द विभोर भी, नेत्रों से आनन्द के आँसू झरने लगे, अच्युत को गोद में उठाकर बार-बार चुम्बन किया। रोते-रोते बोले-अच्युत ! तुम मेरे पिता हो आज से और मैं तुम्हारा पुत्र, श्रीमन्महाप्रभु की तत्व शिक्षा देने के लिए ही तुम मेरे पुत्र रूप में आविभूर्त हुए हो। हे वत्स ! तुम मुझे क्षमा कर दो, आज के बाद फिर मैं ऐसी बात कभी न कहूँगा।" संन्यासी महोदय बाप-बेटा के कथोनपकथन को सुन रहे थे, उनके मुख से और कोई बात न निकली। उन्होंने उठकर श्रीअच्युत के चरण पकड़ लिये और प्रणाम करते हुए इतना कह पाये-"मैं तो आया था श्रीअद्वैतप्रभु की महिमा देखने, यहाँ तो पिता-पुत्र एक दूसरे से बढ़कर निकले।" एकमात्र ईश्वरकृपा का चमत्कार जान कर वह संन्यासी वहाँ से विदा होकर चला गया।

🌿🌷एक दिन श्रीमहाप्रभु जी ने अपने गुरूदेव श्रीकेशव भारती जी से पूछा-"गुरूदेव ! यह बताईये, भक्ति और ज्ञान में क्या श्रेष्ठ हैं ?" श्रीभारती जी ने कहा-"कृष्णचैतन्य।" मैं मन में खूब विचार करके कहता हूँ कि ज्ञान से भक्ति अति श्रेष्ठ है।" प्रभु ने पूछा-"ज्ञान से भक्ति श्रेष्ठ कैसे ? संन्यासीगण तो ज्ञान को भक्ति से बड़ा या श्रेष्ठ मानते है ?" श्रीभारती जी बोले-"ऐसा कहने वाले विचारपूर्वक नहीं कहते, केवल गुरू-परम्परा से ऐसा मानते-कहते आ रहे है, वस्तुतः भक्ति ज्ञान से अति श्रेष्ठ है। ब्रह्म, शिव, नारद, प्रहलाद, व्यास, शुकदेव, सनकादिक, श्रीनन्द, युधिष्ठिर, ध्रुव, अक्रूर एवं उद्घव आदि जितने महापुरुष हुए है, वे सदा श्रीभगवान् की भक्ति की प्रार्थना करते है, वे मुक्ति देने पर भी उसे स्वीकार नहीं करते। एक मात्र श्रीभगवान् के चरणकमलों की सेवा की ही प्रार्थना करते रहते है। चैतन्य ! ब्रह्म जी के इन वचनों को ही मैं सार वचन मानता हुँ।

🌿🌷हे भगवान् ! मुझे तो ऐसा महान् सौभाग्य प्रदान कीजिये कि चाहे इस ब्रह्म-जन्म में हो अथवा किसी और जन्म में, यहाँ तक कि पशु-वृक्ष आदि तिर्यक योनि में जन्म लेकर भी आप के भक्तों में एक क्षुद्र सेवक बनकर आपके चरणकमलों की सेवा प्राप्त कर सकूँ।

🌿🌷श्रीभारती जी के मुख से भक्ति का महत्व सुनकर प्रभु 'हरि-हरि' बोलकर नाचने लगे, और बोले प्रभो ! यदि आप ज्ञान को भक्ति से श्रेष्ठ बताते तो मैं आज ही समुद्र में कूद पड़ता। आपने परम सत्य वचन कहे है।" श्रीभारती जी ने श्रीमहाप्रभु को आलिंगन किया। दोनों आनन्द में विभोर हो गये। ऐसे अद्भुत चरित्र हैं श्रीपाद भारतीजी के।

🌷🙌🏻श्री चैतन्यमहाप्रभु की जय..!!

🌷🙏🏾श्रीपाद केशव भारतीजी की जय..!!

✏क्रमश......3⃣2⃣


📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जय श्री राधे । जय निताई

🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित

💫💫क्रम 5⃣💫💫


श्लोक 0⃣3⃣

विषजलाप्ययाद्‍ व्यालराक्षसाद्वर्षमारुताद्‍ वैद्युतानलात्।
वृषमयात्मजाद्‍ विश्वतोभया दृषभ ते वयं रक्षिता मुहुः॥


भावार्थ:- हे पुरुष शिरोमणि! यमुना जी के विषैले जल से होने वाली मृत्यु, अज़गर के रूप में खाने वाला अधासुर, इन्द्र की बर्षा, आकाशीय बिजली, आँधी रूप त्रिणावर्त, दावानल अग्नि, वृषभासुर और व्योमासुर आदि से अलग-अलग समय पर सब प्रकार भयों से तुमने बार-बार हमारी रक्षा की है।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟

क्रमशः6⃣
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



"चैन से जीने के लिए चार रोटी और दो कपड़े काफ़ी हैं l
पर बेचैनी से जीने के लिए चार मोटर, दो बंगले और तीन प्लॉट भी कम हैं !!

आदमी सुनता है मन भर'.
 सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर;
और खुद ग्रहण नही करता कण भर"...!!
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



आज श्री नित्यानंद प्रभु जयंती है श्री नित्यानन्द प्रभु अभिषेक के दर्शन 💦💦💦

🍁केसर दुग्ध
 🍁सादा दूध
🍁दही से
 🍁मधु । (शहद से )
 🍁घी से
🍁चन्दन से
🍁कुमकुम से
🍁 अर्घ्य से
🍁 तिल और जौ
🍁हल्दी से
🍁 राधाकुण्ड जल गंगाजल से
🍁 चरण दर्शन
🍁 श्रृंगार दर्शन
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



अर्घ्य क्या ह
Ek kalash mein Tirtho ka jal yatha Gangajal yamuna jal aur Radhakund jal k sath jau (Barley), Chaval (Rice), Haldi, Chandan, kesar,  Kusha, Durba, Gau mutra, Pushpa, Gulab jal, tulsi aur anya Sughandhit Darvyo ko eksath milakar taiyar kiya tha panchamrit abhishek ke uprant ubtan aur is jal se sri thakur ji ka snan
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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       2⃣0⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
                शनिवार माघ
            शुक्लपक्ष त्रयोदशी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
    !*! 〰〰〰〰〰 !*!
 
                     8⃣
               
❗श्री  गोकुलानंद मन्दिर❗

🌸     श्री  गोकुलानंद जी श्री विश्वनाथ चक्रवर्ती जी के सेवित विग्रह है l श्री  गोकुल की बाल्य लीलाओं ने इनके चित्त को ऐसा मुग्ध किया कि हर पल एक मधुरतम आर्त ध्वनि उनके मुख से मुखरित होती l हे गोकुलानंद कहाँ पाऊँ आपके चरण कमल ❓

🌸    एक दिन राधा कुण्ड में स्नान करते समय आपके हाथ में एक श्री विग्रह पड़ा उसे देखते ही आप बेसुध होकर आलिंगन करके पड़े रहे l चेतना आने पर आपने जान लिया कि श्री  गोकुलानंद ने दास का मनोभीष्ट पूर्ण किया l इन्ही की सेवा करते रहे l लीला में प्रविष्टि होने पर श्री  गोकुलानंद विग्रह इसी मन्दिर में प्रतिष्ठित और सेवित रहा l

🌸     श्री पाद विश्वनाथ चक्रवर्ती ने पच्चीस से भी अधिक मूल ग्रन्थ एवम् टीकाओं की रचना की l वे जिस खुले स्थान पर बैठकर लिखते थे उस समय मूसलाधार वर्षा आ जाने पर भी इनके हस्त लिखित पृष्ठों पर एक बूँद पानी न पड़ता l ऐसे महासिद्ध आचार्य थे आप l यहाँ अब उनकी प्रतिभू श्री विग्रह है lमूल श्री विग्रह यवनों के आक्रमण के समय जयपुर में ले जाया गया था l जो आज भी वहाँ विराजमान है l

🌸   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
                 क्रमशः.........
                        ✍🏻 मालिनी
 
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         •☘सुप्रभात☘•
   •🌸श्रीकृष्णायसमर्पणं🌸•
       •☘जैश्रीराधेश्याम☘•
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          ¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
   
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[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



श्री नित्यानंद त्रयोदशी --

गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के अनेक आचार्यों में से एक श्रील नरोत्तम दास ठाकुर भगवान की स्तुति में लिखते हैं कि जब कोई भगवान श्री नित्यानंद प्रभु के चरणकमलों का आश्रय लेता है तो उसे सहस्त्र चंद्रमाओं की शीतलता का आभास होता है । यदि कोई वास्तव में राधा-कृष्ण की नृत्य-मंडली में प्रवेश करना चाहता है तो उसे दृढ़ता से उनके(नित्यानंद प्रभु के) चरण-कमलों को पकड़ लेना चाहिए ।
कलियुग में भगवान श्री कृष्ण इस भौतिक जगत में श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में अवतरित होते हैं और उनके साथ बलराम जी, श्री नित्यानंद प्रभु के रूप में आते हैं । भगवान नित्यानंद, निताई, नित्यानंद प्रभु और नित्यानंद राम के नाम से भी पुकारे जाते हैं । उन्होंने श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रधान पार्षद की भूमिका में भगवान श्री कृष्ण के पवित्र-नाम को हरिनाम-संकीर्तन द्वारा प्रचार करने का उत्तरदायित्व उठाया था ।

उन्होंने सामूहिक रूप से भगवान के पवित्र-नाम का कीर्तन करके भौतिक जगत के पतित एवं बद्ध जीवों के मध्य भगवान श्री कृष्ण की कृपा को वितरित किया । हमारे पूर्वाचार्यों की शिक्षाओं के अनुसार ब्रह्माण्ड के आदि (मूल) गुरु, श्री नित्यानद प्रभु का आश्रय लिए बिना श्री चैतन्य महाप्रभु तक पहुँचना या उन्हें समझना असंभव है । वे श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके भक्तों के बीच एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं । वे भगवान का प्रथम विस्तार हैं, जो श्री कृष्ण के संग बलराम, श्री राम के संग लक्ष्मण एवं श्री चैतन्य महाप्रभु के सं नित्यानंद प्रभु के रूप में प्रकट होते हैं ।

वे भगवान कृष्ण की सेवा के लिए पांच अन्य रूप लेते हैं । वे स्वयं भगवान कृष्ण की लीलाओं में सहायता करते हैं तथा वासुदेव, संकर्षण, अनिरुद्ध और प्रद्युम्न के चतुर्व्यूह रूप में सृष्टि के सृजन में सहायता करते हैं । वे अनंत-शेष के रूप में भगवान की अन्य कई सेवाएं करते हैं । हर रूप में वे भगवान कृष्ण की सेवा का दिव्य-आनंद का अनुभव करते हैं ।

Wednesday 17 February 2016

[21:47, 2/16/2016] स ग 2 अनंत हरिदास: लम्बे अंतराल के बाद

~~~ दासाभास कहिन ~~~

 धाम की  चाह ~ एक चर्चा  ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-chaahcharcha

धाम कि महिमा  ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-mahima

हरि हराए (भजन) ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/hari-haraye-bhajan

हे वृषभानु सुते (भजन) ~~~ > http://yourlisten.com/Dasabhas/he-vrushbhanu-sute-bhajan

जगन्नाथ  मन्दिर सम्बन्धि ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/jagannath-mandir-me-ger-hindu



कुरुक्षेत्र से ब्रज वापसी  ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/kurukshetra-se-braj-vapisi

साबूदाना ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/sabu-dana

मंदिर और   नकारातमक सोच ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/mandir-me-negative-soch-na-ho

खंड पीठ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/khand-peeth-kya

गौडीय ग्रन्थ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/godiya-grnth
[15:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कल एकादशी है

हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।

     व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।

कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 🌹    श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾

श्रीप्रबोधानंद सरस्वती पाद कहते हैं कि....

🌴कृपा निधान अपार कृष्ण व्रज युवतिन नागर
🌱उनसों कातर विनय नमन मैं करों निरंतर।
🌴कब ह्वै हों रतिनिष्ठ--धाम श्री--परम प्रेममय
🌱रस सिन्धु जो प्रलय बीच हूँ होत नहीं लय॥

🌳अपार करुणाकर व्रजविलासिनी--श्रीराधानागर--श्रीकृष्ण को बारम्बार अतिशय विनयपूर्वक प्रणाम करते हुए मैं यही प्रार्थना करता हूँ कि निरंतर महाप्रणय-अमृत समुद्र प्रवाही इस भौम श्रीवृंदावन में किसी भी जन्म में मुझे (रति) प्रेम ही प्राप्त हो।

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 7⃣2⃣

🌿 मोक्ष या मुक्ति 🌿

🌹मोक्ष यानी मुक्ति !

मुक्ति यानी दुःखो की निर्विति ।  धर्म -अर्थ - काम मे लगते - लगते हैं दूसरे पुरुषों को लगे देखकर , उनके दु:ख, टेंशन, परेशानी, को देख कर कुछ पुरुष इन दुःखो के मूल कारण शरीर के जन्म होने से ही मुक्ति चाहते हैं।

👤 ये आत्मा ना शरीर धारण करेगी और न दुख होगा -यह सोचकर वे भुक्ति या कामना की श्रेणी में ही रखा जाता है। ' भुक्ति - मुक्ति स्पृहा यावत् पिशची ह्रदि वर्तते '

👥 भोग या कामना या भुक्ति ये तीनो पिशची है। ये निवृति परक अवश्य है,  लेकिन इसमें भी अपने लिए कुछ चाहना तो है ही, कामना तो है । हाँ कुछ पाने की नहीं, छूटने की।

👿 अपने दुख से छूट भी गए तो वैसे ही है जैसे बैंक का लोन उतर जाने का अर्थ ऍफ़.डी. बनना नही है। दुख समाप्ति का सुख प्राप्ति नहीं है ।

📌 सुख प्राप्ति कुछ और ही है। मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणो में।

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

🌿 काम 🌿

🎎 सृष्टि में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो काम यानी कामना । इच्छा । चाहे वह शरीर सुख भोग से संबंधित हो या यश, मान, प्रतिष्ठा,  भौतिक सुख सुविधाओं से संबंधित हो, जीवन भर अपनी कामनाओं की पूर्ति में येन - केन प्रकारेण लगे रहते है ।

💰 इसके लिए वे धन कमाते भी है।  धन मारते भी है, ऋण भी लेते हैं अन्याय अधर्म करते हैं।  कैसे भी यह इच्छा पूरी हो बस ! लुट जाए , पिट जाएँ, ऋणम् कृत्वा धृतम पिबेत् उत्तम कामना भी एक ऐसी चीज है कि पूर्ण हुई, दूसरी खड़ी हो गई।

👻 दूसरी पूर्ण हुई, तीसरी खड़ी हो गई।  कामनाओं का अंत नहीं है । अर्थ -धर्म- काम ये तीन प्रवृति परक है आगे मोक्ष पर विचार करेंगे। धर्म पूर्वक अर्थ उपार्जन करके अपनी उचित कामनाओं को पूर्ण कर उनसे मोक्ष पाना ही बात नहीं है इसके आगे भी है।

🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐

🌿अरे बाबा कुछ करो 🌿

🙌 यदि भगवान चाहते कि हम कुछ न करें तो हमें एक गोल पत्थर बना कर हिमालय के ऊपर रख देते।  हमें आंख,  नाक, कान, हाथ, मन, मस्तिक, बुद्धि, वाणी, आदि आदि देकर सब तरह से लैंस करके किस लिए भेजा ???

😒 खाली बैठकर प्रारब्ध - प्रारब्ध रोने के लिए नहीं अपितू कुछ करने के लिए सब दिया है। दिए हुए को उपयोग नही करोगे तो अगले जन्म में नहीं मिलेगा । मिलेगा भी तो बंदर की तरफ आंख , नाक आदि सब हैं , लेकिन किसी काम का नहीं है अतः कुछ करो ।बहुत ही अच्छा हो कि भजन करो।

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🎗



◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗


🌺    सन्त जन कहते है कि एक भक्त जो कुछ भी हो रहा है उसमे श्री हरि की कृपा को देखता है l भक्त का अर्थ है सकारात्मक सोच l

🌺     कभी कभी संसार में पिता सज्जन है और पुत्र दुर्जन होता है l सज्जन भक्त पिता की सोच कि भगवान ने मुझे दुष्ट पुत्र इसलिए दिया है कि मैं पुत्र में आसक्त न हो जाऊँ l यह मेरे प्रभु की मुझ पर कृपा है यदि पुत्र अच्छा होता तो मुझे आसक्ति हो जाती l

🌺     भक्ति का अर्थ है सदैव सकारत्मक सोच ठाकुर जी जो करते है हमारी भलाई के लिये करते है l प्रभु वो नहीं देते जो हमको अच्छा लगता है अपितु प्रभु वो सब देते है जो हमारे लिये अच्छा होता है l
                       ✏ मालिनी
 
       &﹏*))🌺((*﹏&
             •🌿ω🌿•
      •🎗कृष्णमयरात्रि🎗•
   🌺श्री कृष्णायसमर्पणं🌺
      •🎗जैश्रीराधेकृष्ण🎗•
              •🌿ω🌿•
          &﹏*))🌺((*﹏&
   
🎗◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 4⃣0⃣
   
     🎼भजन क्रिया🎼

🎶 भजन-क्रिया अर्थात् भजन करना। 👳🏻साधु- वैष्णव अथवा📚 सद्ग्रंथों के अध्ययन का परिणाम होता है कि वह भजन की बातों के साथ-साथ भजन करना भी प्रारम्भ कर देता है।

🔱भजन या भक्ति के चौंसठ अंग हैं। अपनी रुचि स्थिति, परिस्थिति के अनुसार उनमें से एक या अनेक अंगों का आश्रय लेकर भजन किया जा सकता है।

 💂साधुसंग
 🎤नामसंकीर्तन
📖श्रीमद्भागवत पाठ या श्रवण  उनके अर्थो को  समझ- समझकर।
🌎 मथुरा-मंडल (व्रज) वास ❄श्रीमूर्ति की श्रद्धासहित सेवा।

 5⃣ये पांच अंग प्रमुख हैं इनका सभी का या किसी एक अंग का श्रद्धा सहित आश्रय  लेने से ही अवश्य ही प्रेम  प्राप्ति होती है।

🌈इन पांचों में से यदि 'व्रजवास' कर लिया जाए तो श्रीविग्रह-सेवा तो होगी ही, स्वभाविक रुप से साधु-संग, श्रीमद्भागवत-पाठ और नाम सकीर्तन भी स्वत: प्राप्त हो जाएगा।

🌠 व्रज या वृंदावन में और है ही क्या?चारों तरफ- संकीर्तन🎹, मंदिरों की आरती की ध्वनि🔔,नियमित पाठ📕 और साधु-वैष्णव👳🏻 ही सहज मिलते हैं, जबकि अन्य नगरों में ये ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते।

 यदि अन्य नगरों में है तो,

1.संकीर्तन कर सकते हैं।
2. साधुसंग के रुप में ग्रंथ अध्ययन करके,
3. श्रीमद्भागवतादि पाठ भी पूर्ण हो जाता है।

🔮 श्रीविग्रह प्रत्येक वैष्णव के घर में है ही।रही व्रजवास की बात, तो एकान्त चित होकर मानसिक रुप से यह चिंतन करें कि मैं ब्रज में विचरण कर रहा हूँ। मंदिर जा रहा हूँ। आदि-आदि। तो यह व्रजवास भी हो जायेगा।

 इसके अतिरिक्त

👂श्रवण,
🎶 कीर्तन,
😇स्मरण,
👣चरण सेवा,
🌻 पूजा,
🎄वंदना,
🎅 दास्य सेवा,
🎈सख्य सेवा,
🌈आत्म समर्पण के नौ रंग है।

 क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 •¡!🌹★🔔☘🔔★🌹!¡•

       1⃣7⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
              बुधवार माघ
            शुक्लपक्ष दशमी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
    !*! 〰〰〰〰〰 !*!
 
                     7⃣
               
❗श्री राधाविनोद गोकुलानंद मन्दिर❗

🌹      यह मन्दिर पटना वाली कुंज के सामने स्थित है l इस प्राचीन मन्दिर में श्री राधाविनोद एवम् श्री गोकुलानंद के दो विग्रह सेवित हैं l श्री लोकनाथ स्वामी श्री नरोत्तम दास ठाकुर और श्री विश्वनाथ चक्रवर्ती की समाधियों के दर्शन भी यहाँ प्राप्त हैं l

🌹    श्री लोकनाथ गोस्वामी का मन श्री चैतन्य देव के प्रति आकर्षित था l घरबार छोड़कर श्री महाप्रभु के दर्शन हित नवद्वीप पहुंचे l महाप्रभु ने श्री वृन्दावन जाने का आदेश दिया lकुछ समय पश्चात महाप्रभु के दर्शन के लिए चित्त व्याकुल हो उठा lसुना कि महाप्रभु आजकल दक्षिण भारत की यात्रा पर गये है तो आप दक्षिण गये l वहां दर्शन न हुआ महाप्रभु वृन्दावन आ चुके थे l वे वृन्दावन आये तो महाप्रभु  प्रयाग जा चुके थे lमहाप्रभु ने स्वप्न में आदेश दिया कि आप ब्रज को छोड़कर मत जाओ l

🌹     स्थिर होकर ब्रज में भ्रमण करते रहे l एक दिन किशोरी कुण्ड पर श्री कृष्ण विरह में व्याकुल होकर रोते हुए सोच रहे थे कि मेरे पास  कोई श्री विग्रह भी तो नहीं है जिसकी सेवा कर कुछ धीरज हो l

🌹   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l

                 क्रमशः.........
                        ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
             •🔔★🔔•
         •☘सुप्रभात☘•
   •🌹श्रीकृष्णायसमर्पणं🌹•
       •☘जैश्रीराधेश्याम☘•
              •🔔★🔔•
          ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
   
•¡!🌹★🔔☘🔔★🌹!¡•
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 कुछ लोगों का
वॉट्सएप्प के साथ
इतना आत्मसात है कि

घर में कुछ भी
ऊँची नीची बात होने पर

सबसे पहले ग्रुप
लेफ्ट करते हैं

फिर पर्सनल पर देखते हैं
कि किसने किसने
पूछा कि क्या हुआ

😂😳😂😳😂😳
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 💧💧💧💧💧💧💧💧

पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🍁1⃣9⃣ 🌷इष्ट -निष्ठा🌷🍁

🌷🌷इष्ट-निष्ठा🌷🌷

🌷जाकूँ अपनौ सब कुछ मान लें।उन पै ही पूर्ण निर्भरता है जाय।वे ही हैं इष्ट।

🌼जा के ताँई अपनौ समग्र जीवन ही समर्पित कर देय-अपनौ सर्वस्व बलिदान कर देय।

🍀अपने ने लिये कछु न राखै कछु न चाहै अन्य काहू कौ आश्रय न होय सब कुछ ये ही रह जायँ

🌜जाहि न चाहिअ कबहुँ कछु तुम सन सहज सनेहु 🌛

➡ याही कूँ इष्ट निष्ठा के नाम सों कह बैठे है।

⚡है यह आगे की कक्षा :-

⬇यही साध्य है।

⬇यही लक्ष्य है।

⬇यही प्रेमावस्था है ।

⬇यही परमधर्म है।

⬇यही परम कर्तव्य है।

⭐या अवस्था की प्राप्ति के ताई सतत् जुटे रहनौ  यही तौ साधक कौ सबसों ऊँचा साधन है।

⚡या अवस्था के प्राप्त करवे के ताई आवश्यकता है-

🍓१).पूर्ण श्रद्धा की

🍓२).पूर्ण सदाचार की

🍓३).पूर्ण साधन की

🍓४).पूर्ण वैराग्य की

🍓५).वासना केवल प्रेम की

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📕संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कल एकादशी है ।
  हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।

     व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।

कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 वर्षा

जैसे वर्षा का जल तो प्रत्येक स्थान पर एक जैसा बरसता है परंतु उसका पूरा-पूरा लाभ तो हरे-भरे पौधे

नदियां । तालाब । पोखर । कुण्ड ही उठा पाते हैँ ।

इसी प्रकार भगवत्कृपा तो हर किसी पर होती है

पर उसे अपने आंचल मेँ वे ही भर पाते हैँ जिन्हेँ प्रभु-प्रेम की तीव्र अभिलाषा है

प्रभु प्रेम की पात्रता है
और पात्रता आती ह नाम से

जय श्री राधे । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
       
✏क्रमश से आगे.....2⃣9⃣

🌿🌷तब श्रीमन्महाप्रभु ने श्रीमुकुन्द को कीर्तन करने की आज्ञा दी। फिर क्या था? कहां तो गये न्यासी-शिरोमणि प्रभु के दण्ड और कमण्डलु, उन्मत हो उठे और श्रीभारती जी को आलिंगन कर नृत्य करने लगे। प्रभु की ऐसी कृपा प्राप्त करते ही श्रीभारतीजी में विशुद्ध-भक्ति का आविर्भाव हो उठा। उन्होंने दण्ड-कमण्डलु को दूर फैंका और 'हरि-हरि'बोल कर नाचने लगे। प्रेमावेश में इन्हें शरीर की सुध-बुध न रही, वस्त्र तक सम्भालना भी मुश्किल हो गया। इस प्रकार श्रीभारतीजी ने श्रीमन्महाप्रभु के साथ नृत्य-गान में रात्रि बितायी।

🌿🌷सवेरे जब श्रीप्रभु ने उनसे विदा मांगी, तो ये अधीर हो उठे।-"कृष्णचैतन्य। मुझे छोड़कर अब तुम कहाँ जाओगे ? मेरे प्राणों का सहारा क्या रहेगा ?" ऐसा कहते हुए श्रीभारतीजी रोने लगे और प्रभु के साथ ही चल दिये। बोले-"श्रीकृष्णचैतन्य" मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा और कृष्ण-कथा-संकीर्तन का आनन्द लूंगा।" थोड़ी दूर तक श्रीभारतीजी प्रभु के साथ रहे, फिर प्रभु ने इन्हें प्रणाम कर वापिस कण्टक नगर भेज दिया।

🌿🌷श्रीभारती जी जब नगर में आये, तो अनेक नर-नारी जो श्रीमहाप्रभु की संन्यास लीला के रहस्य तथा उनके स्वरूप ज्ञान से शून्य थे। इनसे बड़ा दुख मान गये। जिस समय से संन्यास प्रदान कर रहे थे, उस समय भी कण्टक नगर के नर-नारी श्रीमन्महाप्रभु के श्री अंग की शोभा देख-देखकर श्रीभारतीजी को मन-मन में कोस रहे थे-"कैसा कठिन हृदय है इस भारती का ? हाय ! हाय !! यह बालक को संन्यासी बना रहा है, यह कोई संन्यास धर्म का पालन थोड़े हो रहा है, एक उपहास हो रहा है।' श्रीप्रभु के मुखचन्द्र को देख-देखकर कण्टक नगरवासी श्रीभारती को गालियां ही दे रहे थे। जब यह लौटकर नगर में आये, तो सब ने एक स्वर में कहा-श्रीचैतन्य मंगल-

🌿कठिन अन्तर इहार दयाहीन जय।
🌿नगरे ना राखि इहार कहिल कथन।।

🌿🌷"यह संन्यासी अति कठोर हृदय है। इसे जरा भी दया नहीं, इसे नगर में मत रहने दो, बाहर निकाल दो"-भारती जी तो हृदय में जान ही रहे थे कि मेरे प्रभु ने ही मुझ से ऐसा कार्य कराया है। उनकी यह लीला है जगत् के जीवों के उद्घार के लिये। श्रीभारती जी ने सबको प्रणाम किया और कहा-अहो ! धन्य है आप सब, जो श्रीप्रभु के प्रति आप में ऐसा अहैतुक स्नेह उदय हुआ है। श्रीभारतीजी ने फिर श्रीमन्महाप्रभु के स्वरूप का परिचय दे-देकर नगरवासिओं को उनकी लीला का रहस्य बताया।

✏क्रमश......3⃣0⃣


📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

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Tuesday 16 February 2016

[21:13, 2/13/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 3⃣8⃣

  📚 ग्रंथ भी 👳🏻साधु हैं📚

👱साधु-👳🏻 वैष्णव जन हों या प्रमाणिक- ग्रंथ📚 भागवत, गोस्वामीग्रंथ📕 आदी हों। इन्हें पढ़कर गुजर जाना या दर्शन कर भाग आना पूर्ण साधु संग नहीं है।

1⃣सद्ग्रंथों📖 का पढ़ना, उन्हें समझना, समझ न आने पर पूछना, जिज्ञासा करना, फिर यथासंभव उसमें बताए गए मार्गों पर चलना🚶, चलने का प्रयास करना साधु- संग के अंतर्गत ही है।

2⃣ ध्यान रहे!इधर- उधर के अप्रमाणिक ग्रंथ, कभी जैन तो कभी बौद्ध, कभी निम्बार्क तो कभी गौड़ीय ग्रंथो  को नहीं पढ़ना चाहिए। सदैव श्रेष्ठ वैष्णवों से पूछकर अपने ही मत के ग्रंथों का एक रस अध्ययन- मनन करना चाहिए। अन्यथा संशय होकर पथभ्रष्ट होने का भय है।

💫💫💫💫💫💫💫

     😱असाधु- संग😱

 🌺साधुसंग की पुष्टि हेतु और असाधु- संगत्याग भी परम आवश्यकता है। रोग भागने के लिए दवा💊 तो खानी ही है, साथ ही मिर्च, मसाले, खट्टी चीजें🍇, भोजन आदि में भी परहेज या सावधानी बरतनी है। अतः असाधु- संग त्याग आवश्यक है।

1⃣ दुर्जन, व्यभिचारी, शराबी🍺, मांसाहारी🍖, दूसरे के धन💰 पर बेईमानी पूर्वक मौज करने वाले, कुतर्की, हरामखोर, अवैष्णव, अधार्मिक, नास्तिक, भगवान् को न मानने वाले लोगों का संग तुरन्त त्याग देना चाहिए।

2⃣ श्रीकृष्ण भक्ति की कामना को छोड़कर अन्य कोई और कामना यदि है तो यह अपने आपको धोखा देने वाली बात है-यह अपने आप को धोखा देना भी दुसंग है। अन्य कामना का त्याग भी आवश्यक है।

3⃣ सभी प्रकार के व्यभिचार👹, दुराचार👺, अधर्म😈 आदि का मूल  कारण कामनाएँ ही हैं। यदि केवल श्रीकृष्ण भक्तिकामना रहेगी, अन्य कामना होगी ही नहीं तो दुराचार,व्यभिचार  अधर्म कहाँ से होगा।

4⃣यहाँ तक कि 'मोक्ष'  की कामना भी, अपने दु:ख😟 की निवृत्ति की कामना है। अतः यह भी दुसंग है- इसका भी त्याग करना चाहिए।


 क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[21:13, 2/13/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💧💧💧💧💧💧💧💧

पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🍁 मन 1⃣6⃣ 🍁

🍒१३.साधक कौ चित्त शान्त रहै  या की बड़ी आवश्यकता है।

🍏शान्त चित्त सौं ही साधन है सकै है जिन कारणन सों चित्त अशान्त होतौ होय उनसों दूर रहैं।

🍎देखवे में कितनौ हू ऊँचौ काम होय यदि प्रपञ्च है तौ परिणाम में अशान्ति ही पैदा होयगी ।

🍋अतः ऐसे समस्त कार्यन सों अपने कूँ बचातौ रहै।

🍒१५.ऊँचे से ऊँचे संकल्प बनानौ तथा उनकूँ क्रिया रूप में लानौ यही तौ कारनौ है।

🍒१५.मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।
निवसिष्यसि मय्यवे अत ऊद्धर्वं न संशय।

🍋श्री प्राणनाथ आज्ञा कर रहे हैं अपने मन कूँ मोमें लगाय दें तथा अपनी बुद्धि कूँ हू मो में ही लगाय दें तौ तुम मेरे ही में निवास करौगे कहवे कौ आशय यह  है कि मन कौ काम है

🍓संकल्प बनानौ-अब तुम ऐसौ अभ्यास बनाओ कि जब जब मन में संकल्प उठै वे सवरे केवल मेरे लिये उठैं । बुद्धि सौं हू मेरे लिये ही काम लेव।

🍎बार-बार बुद्धि यही निर्णय करै कि एक भगवान् ही मेरे हैं तथा में इनकौ हूँ।श्री भगवान् के अतिरिक्त मोकूँ कछु नहीं चाहिये बस।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[21:13, 2/13/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:




🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🎉श्रीविष्णुप्रियादेवीजी जन्म-महोत्सव🎉

🌿🌼श्रीभगवान् की अनेक-अनेक शक्तियां है, जो उनकी अवतार-लीला को सम्पन्न करने के लिये उनके साथ-साथ पृथ्वीतल पर आविभूर्त होती हैं, मधुररस-भक्ति की परिकर हैं सब कान्तागण।

🌿🌼श्रीगौरगणोद्देशदीपिका में आपका परिचय इस प्रकार दिया गया हैं-

🌿श्रीसनातनमिश्रो$यं पुरा सत्राजितो नृप:।
🌿विष्णुप्रिया जगन्माता यत्कन्या भूस्वरूपिणी।।

🌿🌼व्रज-लीला में जो राजा सत्राजित है, जिनकी कन्या श्रीसत्यभाभा जी हैं, वे नवद्वीप में श्रीसनातन मिश्र हुए और भू स्वरूपिणी जगन्माता श्रीविष्णुप्रिया जी उनकी कन्यारूप में आविर्भूत हुई।

🌿🌼श्रीचैतन्यदेव पृथ्वी की अंश-रुपिणी श्रीविष्णुप्रिया को अपनी कान्ता जानकर उसका पाणिग्रहण करेगें और फिर जगत् को वैराग्य की शिक्षा देने के लिए स्वयं किशोर अवस्था में संन्यास लेकर उस किशोरी का परित्याग कर देगें। श्रीभगवान् की तीन मुख्य शक्तियां है-श्री शक्ति, भू-शक्ति तथा लीला-शक्ति। सौन्दर्य एवं सम्पत्ति की अधिष्ठात्री शक्ति का नाम है श्रीशक्ति। जगत् की उत्पत्ति स्थिति की अधिष्ठात्री शक्ति का नाम है भू-शक्ति और श्रीनारायण की लीला-विधान करने वाली शक्ति को लीला-शक्ति कहते है। श्रीविष्णुप्रियाजी उस भू-शक्ति अर्थात जगत् की उत्पत्ति तथा स्थिति करने वाली अधिष्ठात्री शक्ति की मूर्तरूप हैं।

🌿🌼श्रीसनातन मिश्र नवद्वीप मे ही रहते है, परम उदार, दयालु एवं परम विष्णुभक्त हैं। सत्यवादी, परोपकार है और 'राजपण्डित' कहलाते है। इनकी पत्नी है परम भाग्यशालिनी महामाया देवी। इनके गर्भ से श्रीविष्णुप्रिया जी ने जन्मलीला सम्पन्न की। अनुमानत:सम्वत् १५५० हैं तप्त स्वर्ण कान्ति की भाँति अति सुन्दर अंग-कान्ति हैं श्रीविष्णुप्रियादेवीजी की।

🎉🎈जन्म-महोत्सव मनाया जा रहा हैं। श्रीसनातन मिश्र के भुवन मे अनेक बाजों की ध्वनि के साथ। श्रीगौंराग शिशु खेल रहे है समवयस्क बालकों के साथ। आनन्द ध्वनि सुनकर सबने कहा-चलो-चलो देखें क्या मंगल हो रहा है आज सनातन जी के घर। श्रीगौंराग तो अन्तर्यामी है, जानते है सब बात। सबसे आगे-आगे भागकर चले। दोनों ने एक दूसरे को सहज नहीं, अभूतपूर्व चितवन से देखा, पहचान गए एक दूसरे को। श्रीगौंराग तो सनातन-आंगन में 'हरिबोल' की उच्च ध्वनि कर बालक मण्डली के साथ नाच रहे है।

🎉🎈श्रीविष्णुप्रियादेवी जन्म-महोत्सव की कोटिश बधाई..!!

📯🎉🎈🎊🎈🙏🎉🎈🎊🎈📯
       
📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:13, 2/13/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 7⃣0⃣

🌿 धर्म 🌿

👨🏻धर्म अर्थ काम ये तीनों प्रवृत्तिपरक पुरुषार्थ कहे गए हैं। पुरुषार्थ यानी पुरुष होने का अर्थ या लक्ष्य या पुरुष को क्या प्राप्त करना है । जिससे उसका पुरुष होना या जीवन सफल माना जाए।

1⃣  धर्म -अपने आश्रम, ग्रहस्थ या वानप्रस्थ या ब्रह्मचर्य या संन्यास के धर्मो, नियमों का पालन करना । अपनी जाति ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, शूद्र के धर्मों का पालन करना, सदाचार, दान, सत्कर्म करना - साधारणतया धर्म कहलाता है इसका पालन करने वाले को स्वर्ग प्राप्त होता हैं।

💢ज्यादा धर्म करने वाले को स्वर्ग में ज्यादा सुविधाएं, कम वाले को कम सुविधाए दी जाती है। फल भोगने के बाद उसे पुनः नीचे के लोको में गिरा दिया जाता है। धर्म अर्थ काम मोक्ष चारों का भगवान के सुख, भगवान के अनुकूलता, भगवान की भक्ति से सीधा कोई संबंध नहीं है।

✂ न ही ये भक्ति के अंग हैं। भक्ति- भजन, वह भी विशुद्ध एक पृथक चीज है।

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

🌿 अर्थ 🌿

👥 कुछ मनुष्य ऐसे होते हैं, जो पैसा कमाना ही जीवन का उद्देश्य समझते हैं उसी में लगे रहते हैं। मैं उसे जीवन को सफल समझते हैं। धन कमाने के लिए ये कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं।

🎎 मान-सम्मान पिता- पुत्र, रिश्ते -नाते, धर्म-अधर्म सब गोण करते हुए पैसा- पैसा करते रहते हैं। जिनका उद्देश्य धन होता है वे शायद उन धन का उपयोग भी नहीं कर पाते हैं।

💰 आज एक लाख, एक करोड़, अब सो करोड़ हो गया।  जान देकर भटकते रहते हैं और उस धन को बिना भोगे या तुलना में कम खर्च करते हुए मृत्यु को प्राप्त होते हैं। धन की तीन गति है ।

1⃣ सर्वोत्तम है दान
2⃣ माध्यम है भव्य स्वयं पर खर्च करना 3⃣ अधम- ना दान दोगे, ना सुख भोगो गे तो जुड़ जाएगा । तो सरकार ले जाएगी या चोर ले जाएंगे या संतान दुरूपयोग करेंगी।

🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋

🌿गुरु मांगता क्यों है 🌿

👳🏻 जो शिष्य से मांगे वह कैसा गुरु ?  जो शिष्य को ज्ञान दे , भक्ति दे , प्रभु से शिष्य को मिला दे।  वह गुरु !

👴🏻 जो शिक्षा दे वह शिक्षा गुरु जो दीक्षा दे। वह दीक्षा गुरु।  जो सर पर हाथ रखकर शिष्य को अपना ले वह सद्गुरु !!!  जो ले या मांगे वह कैसा गुरु ????

💴 जो गुरु धन मांगे वह धनदास । जो गुरू चेला बढ़ाये वो चेला दास ।

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[21:13, 2/13/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 13-2-2016    



राधे राधे
              ॥ आज का भगवद चिन्तन  ॥
 🌿   वस्तुयें बुरी नहीं होती, उनका उपयोग बुरा होता है। विवेकवान पुरुष जिस वस्तु का उपयोग अच्छे कार्य के लिए करते हैं वहीँ विवेकहीन पुरुष उसी वस्तु का उपयोग बुरे कार्य के लिए करते हैं।
🌿   इस दुनिया में वुद्धि के तीन स्तर पर आदमी जीवन जीता है। उसी के अनुसार कर्म करता है। माचिस की एक तीली से एक विवेकवान जहाँ मन्दिर में दीप जलाकर पूजा करता है, वहीँ अँधेरे में दीया जलाकर लोगों को गिरने से भी बचाता है।
      एक सामान्य वुद्धि वाला मनुष्य धूम्रपान के लिए उसका उपयोग करता है। एक कुवुद्धि किसी का घर जलाने के लिए माचिस जलाता है।
🌿   माचिस की तीली का कोई दोष नहीं है। दोष हमारी समझ, हमारी वुद्धि का है। अतः कोई भी वस्तु उपयोगी- अनुपयोगी नहीं है, हम अपनी समझ द्वारा उसे ऐसा बना देते हैं।

               !! संजीव कृष्ण ठाकुर जी  !!
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
[21:13, 2/13/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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       1⃣3⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
              शनिवार माघ
             शुक्लपक्ष षष्ठी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
    !*!〰〰〰〰〰!*!
 
                      4⃣
               
  ❗श्री श्रीराधागोपीनाथ❗
     

☘     श्री प्रभुपाद नित्यानंद की गृहिणी श्री जाहवा ठकुरानी जब वृन्दावन पधारी तो श्री राधागोपीनाथ का दर्शन करने गयी l मन में विचार आया कि यदि राधा जी बड़ी होती तो जोड़ी अति सुंदर लगती l उसी दिन रात को श्री गोपीनाथ जी ने जाहवा जी को स्वप्न दिया कि आप गौड़ देश जाकर मेरे बराबर की एक ऊँची श्री राधा जी का विग्रह निर्माण करके भिजवा देना l

☘     श्री जाहवा ठकुरानी ने नयन नामक भास्कर के द्वारा विग्रह निर्माण कराया l अप्रकट होते समय स्वयं श्री जाहवा जी उस श्री विग्रह प्रविष्टि हो गयी l आदेश था कि मुझे वृन्दावन में गोपी नाथ के साथ विराजमान कर दो l सब पूजारियों को श्री गोपीनाथ जी ने स्वप्नादेश दिया कि यह मेरी प्रिया अनंगमंजरी है lइसे मेरे वाम भाग में प्रतिष्ठित करो और श्री राधा जी को मेरे दक्षिण भाग में l अब तक उसी प्रकार सब श्री विग्रह सेवित हैं l

☘   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l

                क्रमशः.........
                      ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🔔•(*﹏¥
            •🌺★🌺•
         •☘सुप्रभात☘•
 •🔔श्रीकृष्णायसमर्पणं🔔•
     •☘जैश्रीराधेश्याम☘•
             •🌺★🌺•
         ¥﹏*)•🔔•(*﹏¥
   
•¡✽🔔☘◆🌺◆☘🔔✽¡•
[21:13, 2/13/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



रखा करो
नजदीकियां...
ज़िन्दगी का
कुछ भरोसा नहीं...

फिर मत कहना
चले भी गए
और बताया भी नहीं...
[20:37, 2/14/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



तुझे शिकायत है
मोहन
कि मुझे
बदल दिया है
वक़्त ने,

कभी खुद से
भी तो सवाल कर
मोहन
क्या तू वही है

जिसने
छप्पर छाया
ईंट पर खड़ा रहा
लँगोटी धोई
[20:37, 2/14/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌹◆🌹♡🌹◆🌹✽¡•

       1⃣4⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
              रविवार माघ
            शुक्लपक्ष सप्तमी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
   !*! 〰〰〰〰〰 !*!
 
                     5⃣
               
❗मन्दिर श्रीराधारमण जी❗

🌹   श्रीराधारमणजी का मन्दिर श्री वृन्दावन के गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय का सुप्रसिद्ध मन्दिर है l इसके मुख्य द्वार के सामने बहुत बड़ा रासमण्डल बना हुआ है l यहाँ श्री पाद गोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा सेवित श्रीराधारमण ठाकुर जी विराजमान हैं l श्रीराधारमण जी के वाम भाग में गोमती चक्र सेवित है l श्री शालग्राम के साथ गोमती चक्र की सेवा का विधान है l

🌹     श्री पाद गोपाल भट्ट गोस्वामी अपने पिता के अन्तर्धान होने पर वृन्दावन चले आये l यहाँ पर श्री रूप सनातन गोस्वामी पाद के आश्रित रहकर उन्होंने भक्ति शास्त्रों का अध्ययन एवं भजन शिक्षा प्राप्त की l

🌹    संवत् 1590 में तीर्थाटन करते हुए एक गौड़ ब्राह्मण ने उनका आतिथ्य किया और अपनी पहली सन्तान उनके चरणों में समर्पण करने का वचन दिया l श्री गोस्वामी जी गण्डकी नदी पर पधारे स्नान करते समय उनकी अंजुली में बारह शालग्राम की शिलायें आ गयी lउन्हें लेकर यमुना तट स्थित केशीघाट के निकट एक कुटीर में भाव विभोर होकर श्री शालग्राम जी की सेवा करने लगे l

🌹   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l

                 क्रमशः.........
                        ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
             •🌹♡🌹•
         •🌹सुप्रभात🌹•
   •🌹श्रीकृष्णायसमर्पणं🌹•
       •🌹जैश्रीराधेश्याम🌹•
               •🌹♡🌹•
           ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
   
•¡✽🌹◆🌹♡🌹◆🌹✽¡•
[20:37, 2/14/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
       
✏क्रमश से आगे.....2⃣7⃣

🌿🌷क्षौर कर्म कराकर एवं गंगा स्नान पहले ही प्रभु कर चुके है; भारती जी के सामने आसन पर बैठकर संन्यास मन्त्र की प्रतीक्षा में है। श्रीभारती जी के मन में संन्यास-मन्त्र तो स्फुरित हो रहा है, किन्तु उसका अर्थ उद्देश्य प्रभु के मन के भावों के बिल्कुल विपरीत जान रहे है। इसी उहा-पोह में श्रीभारती जी अपने कर्तव्य का कुछ निश्चय न कर पा रहे है। यह तो प्राय: सब जानते है कि संन्यास मन्त्र है-'तत्वमसि'।

🌿🌷श्रीकेशव भारती भी इस संन्यास मन्त्र का यही अर्थ जानते है। परन्तु श्रीमन्महाप्रभु ने पहले ही प्रार्थना की थी कि मैं केवल कृष्ण-दास्य चाहता हूँ, और मुझे कुछ नहीं चाहिये।' इस स्थिति में श्रीभारती कुछ निश्चित न कर पा रहे है कि प्रभु को यह संन्यास मन्त्र कैसे प्रदान करूँ।

🌿🌷श्रीभारती जी के मनोगत भावों को जानकर सर्वज्ञशिरोमणि श्रीमहाप्रभु ने कहा-प्रभो ! एक दिन मुझे एक महापुरुष ने स्वप्न में एक मन्त्र मेरे कान मे कहा था, उसे मैं आपको सुनाता हूँ। प्रभु ने आगे बढ़कर श्रीभारती जी के कान मे (तत्वमसि) मन्त्र कह दिया और बोले-इसका अर्थ भी उन्होंने मुझे बताया कि तत् (तस्य उस ब्रह्म का) त्वम्। (तू जीव)असि (है)-अर्थात तू (जीव) उस (ब्रह्म)का (दास) हैं। क्योंकि जीव स्वरूपत: ब्रह्म-श्रीकृष्ण की तटस्था-शक्ति होने से उनकी सन्तुष्टि सेवा करने वाला है अर्थात श्रीकृष्ण का नित्यदास है।

🌿🌷इतना कहकर प्रभु बोले-हे गुरूदेव ! अब स्वयंवर आप विचार कर देखिये, यह मन्त्र और इसका अर्थ कहां तक संगत है ? उचित हो सो करिये।" श्रीभारतीजी के हृदय-पट खुल गये, चमत्कृत हो उठे इस मन्त्र का वास्तविक अर्थ सुनकर। वह अर्थ केवल श्रीप्रभु के ही भावानुकूल नहीं था, वरन् समस्त जीवों के पक्ष में यही प्रकृत अर्थ था। श्रीमहाप्रभु ने मानों इस बहाने से श्रीभारतीजी को ही अपना शिष्य बना लिया।

✏क्रमश......2⃣8⃣


📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[20:37, 2/14/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 7⃣1⃣

🌿 पन्द्रह अगस्त 🌿

🎉 पंद्रह अगस्त को भारत स्वतंत्र हुआ था।

 पर - तंत्रता
 पर - शासन

✂ समाप्त हुआ था भारत तो स्वतंत्र हो गया लेकिन सर्वतंत्र - स्वतंत्र, परम - स्वतंत्र भगवान श्रीकृष्ण के चरणारविंद को प्राप्त करने की इच्छा को लेकर लोभ, मोह, द्वेष, क्रोध आदि मायिक लौकिक प्रवृतियों से जाने हम कब स्वतंत्र होंगे ।

🙌 इनसे स्वतंत्र होकर भगवत सेवा प्राप्त होने पर ही हम वास्तविक स्वतंत्र होंगे।

💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥

🌿 मरना 🌿

💓 विशुद्ध प्रेम में मरना तो होता ही नहीं अपने प्रियतम के सुख के लिए बस जीना ही जीना।  मरने से तो प्रियतम को अपार दुख होगा , दुख तो क्या,  यदि उनके सुख में भी बाधा हो, वह काम भी नहीं करना उनके प्रेम का अर्थ प्रेमी का सुख !!!

🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟

🌿 मन धन 🌿

💰मन चाहिए या धन ? किसी लौकिक व्यक्ति से हम कहें कि - भैया ! मन से हम तुम्हारे साथ हैं, हमारा मन तुम्हारे साथ हैं, तन असमर्थ हैं,  धन हमारे पास है नहीं तो वह आपको अपने पास फटकने नहीं देगा

👏 और श्रीकृष्ण ! वो तो तन और धन चाहते ही नहीं उंहें तो केवल और केवल मन ही चाहिए।  मन दिया तो सब दिया,  हो गए वह आपके और आप उनके।

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[22:06, 2/15/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 3⃣9⃣

 👏श्रीकृषणं वंदे जगद्गुरुम

 🌷श्रीकृष्ण जगद्गुरु हैं। 🌞सूर्य स्थानीय हैं। अवश्य सूर्य ही मूल कारण है- लेकिन हमारा हित, हमारा काम सूर्य की ही किरणों व प्रकाश से ही होता है। सूर्य की किरणें  ही खिड़कियों  द्वारा हमारे घर में प्रवेश करती हैं, सूर्य नहीं।

💐 इसी प्रकार जगद्गुरु नहीं जगद्गुरु की किरण स्वरूप हमारे श्रीगुरुदेव से ही हमारा हित होता है काम चलता है।

 🌲श्रीगुरुदेव की बजाय श्रीकृष्ण को ही अब गुरु मानेंगे तो किरण या प्रकाश की बजाए सूर्य स्वयं तो खिड़कियों से प्रवेश करने से रहा- किरनों को हम महत्व देंगे नहीं तो हमारा हित नहीं अहित ही होगा।

🌳गंगाजल पीने के लिए एक लुटिया गंगाजल ही चाहिए, संपूर्ण गंगा नदी नहीं। अत: गुरु रुप में (श्रीकृष्ण नहीं) उनकी प्रकाश रूपाशक्ति श्रीगुरुदेव ही उपयुक्त हैं- हमारे लिए।

🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟

 ❓कौन हैं श्रीगुरुदेव👱

🐠मायाबद्ध  जीव की दशा मरुभूमि के जलाशय की उस मछली के समान है, जो जलाशय को छोड़ विपरीत दिशा में चली जा रही है।

👤 वह जितना उस दिशा में आगे बढ़ती जा रही है,  उतना जलाशय से दूर और मृत्यु के निकट होती जा रही है।

💥सूर्य की किरणों से झिलमिल करते बालुका- कण उसे जल के भंडार जैसे प्रतीत हो रहे हैं।

😌वह उस भंडार को प्राप्त कर चिरशांति लाभ करने की आशा से निरंतर आगे बढ़ते जा रही है। वह आँख बंद किए जैसी बढ़ती जा रही है मृत्यु की ओर।

💂यदि कोई दयालु व्यक्ति उसे देख ले और उसका मुख मोड़ दे जलाशय की ओर तभी उसके प्राणों की रक्षा हो सकती है।

मायाबद्ध जीव को भी ऐसे ही एक दयालु व्यक्ति की आवश्यकता है, जो उसका मुख भगवान् रुपी सुख और शांति के जलाशय की ओर मोड़कर  उसे संसार की मृगमरीचिका से बचा ले। ऐसे ही परम दयालु व्यक्ति हैं हमारे श्रीगुरुदेव ।

 क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[22:06, 2/15/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌹◆🌹♡🌹◆🌹✽¡•

       1⃣5⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
              सोमवार माघ
            शुक्लपक्ष अष्टमी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
   !*! 〰〰〰〰〰 !*!
 
                     5⃣
               
❗मन्दिर श्रीराधारमण जी❗

🌹    एक समय वृन्दावन यात्रा में एक सेठ ने आकर समस्त श्री विग्रहों के लिये अनेक प्रकार के बहुमूल्य वस्त्र अलंकार आदि भेंट किये l श्री गोपाल भट्ट जी को भी उसने सब वस्त्रालंकार आदि भेंट किये l किंतु श्रीशालग्राम जी को वे कैसे धारण कराये जाते l मन में विचार उठा कि यदि मेरे आराध्य भी अन्यान्य श्री विग्रहों की भाँति होते तो मैं इन्हें सब वस्त्रालंकारों से विभूषित करता l


🌹     वह रात निकल गयी l प्रातः काल यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शालग्राम एक त्रिभंगललित द्विभुज मुरलीधर मधुर मूर्ति श्याम रूप में आसन पर विराजमान है l आपने श्री रूप सनतान आदि को सूचित किया lसारे ब्रजमण्डल में आनंदोल्लास की लहर छा गयी lवह दिन था वैसाखी पूर्णिमा सन् 1542 का l

🌹     देववंद्य के ब्राह्मण ने अपने वचनानुसार अपने पुत्र श्री गोपीनाथ को श्री गोस्वामी पाद को आकर सौंप दिया l श्री राधारमण जी का सेवा भार उसे सौंप दिया गया l उनके वंशज ही श्री राधारमणीय गोस्वामी वृन्द के रूप में आज तक श्री राधारमण जी की विधिवत् सेवा में निरत चले आ रहे हैं lआज भी अनंत ऐश्वर्य माधुर्य मण्डित श्री जी का दर्शन कर असंख्य भक्त अपना जन्म सार्थक करते हैं l

🌹   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l

                 क्रमशः.........
                        ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
             •🌹♡🌹•
         •🌹सुप्रभात🌹•
   •🌹श्रीकृष्णायसमर्पणं🌹•
       •🌹जैश्रीराधेश्याम🌹•
               •🌹♡🌹•
           ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
   
•¡✽🌹◆🌹♡🌹◆🌹✽¡•
[22:06, 2/15/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💧💧💧💧💧💧💧💧

पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🍁 1⃣7⃣ 💎श्री सद्गुरु तत्त्व💎🍁

💎श्री सद् गुरु तत्त्व💎

🍎श्री सद्गुरु तथा श्री भगवान् एक ही वस्तु हैं।श्री भगवान् ही अपने जिव पै कृपा करकैं श्री सद्गुरु रूप सों प्रकट है

🍋कै जीव कूँ साधन सिखावैं हैं। याके उपदेश के लिये स्वयं साधन करकैं दिखावैं हैं।

🍒जब यही साधक पूरौ पात्र बन जाय है तब इष्ट रूप सों प्रकट है कैं मिल लेय है।

🍓देखवे में अन्तर इतनौ  ही है म वास्तव में श्री सद्गुरु तथा श्री भगवान् में नेक हू भेद नहीं हैं।

🍒"आचार्यं मां विजनियात् "🍒

🍋जो साधक अपने श्रीसद्गुरु में मानव भाव रखै है। वह साध्य की प्राप्ति सों वंचित रह जाय है।

🍏यस्य साक्षात् भगवति ज्ञानदीप-प्रदे गुरौ।।
मत्र्यासद्  धीः श्रुतंत्स्य सर्वं शौचवत् ।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[22:06, 2/15/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जय श्री राधे । जय निताई

🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित

💫💫💫💫💫💫💫💫

मंगलाचरण 1⃣

✨कस्तूरी तिलकं ललाट पटले वक्ष: स्थले कौस्तुभं।✨
✨नासाग्रे वरमौक्तिकं करतले वेणु: करे कंकणं॥✨
💫💫💫💫💫💫💫💫

भावार्थ:-

🌟हे श्रीकृष्ण! आपके मस्तक पर कस्तूरी तिलक सुशोभित है। 🌟
आपके वक्ष पर देदीप्यमान कौस्तुभ मणि विराजित है, 🌟
आपने नाक में सुंदर मोती पहना हुआ है, 🌟
आपके हाथ में बांसुरी है और कलाई में आपने कंगन धारण किया हुआ है।

🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟

क्रमशः2⃣
[22:06, 2/15/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
       
✏क्रमश से आगे.....2⃣8⃣

🌿🌷मन्त्र एवं इसके अर्थ को सुनते ही श्रीभारती जी बोले-

🌿भारती बोलेन- एइ महामन्त्रवर।
🌿कृष्णेर प्रसादे कि तोमार अगोचर।।

🌿🌷इन्होनें कहा-प्रिय निमाई ! यही महामन्त्र है। श्रीकृष्ण कृपा से तुम्हारे लिये क्या अगोचर है? इन्होंने महाप्रभु को, उन्हीं का दिया मन्त्र उनके कान में सुनाया। चारों तरफ श्रीहरिनाम की सुमंगल ध्वनि होने लगी। श्रीभारती जी अब महाप्रभु के लिये संन्यासाश्रमोचित नाम भी ढूँढने लगे, सोचने लगे-

🌿चतुर्दश भुवनेते एमत वैष्णव।
🌿आमार नवने नाहि हय अनुभव।।
🌿एतेके कोथाउ ये ना थाके हेन नाम।
🌿थुइले से इहा, न आमार पूर्ण काम।।

🌿🌷चौदह लोकों में श्रीनिमाई जैसा वैष्णव मैनें आंखों से देखा नहीं, मन से सोचा नहीं। अत: नाम भी इनका ऐसा हो, जो चौदह भुवन में कहीं न सुना-देखा गया हो। 'भारती' का शिष्य 'भारती होता है, किन्तु भारती उपाधियुक्त नाम भी इस निमाई के योग्य नहीं है। यह सोच ही रहे थे कि उसी समय सरस्वती-देवी ने श्रीभारती की जिह्वा पर आविभूर्त होकर कहा-

🌿यत जगतेरे तुमि 'कृष्ण' बोलाइया।
🌿कराइला चैतन्य कीर्तन प्रकाशिया।।
🌿एतेके तोमार नाम "श्रीकृष्णचैतन्य"।
🌿सर्वलोके तोमा हइते याते हैल धन्य।।

🌿🌷हे निमाई ! जगत् के समस्त जीवों को तुम 'कृष्ण' नाम उच्चारण करवाकर, कृष्णनाम का संकीर्तन कराकर चेतनता प्रदान करोगे-भगवद्-बहिमुर्खता की मूर्च्छा से जीव-जगत् को जगाओगे, इसलिए आज से तुम्हारा नाम होगा "श्रीकृष्णचैतन्य"। तुम्हारी कृपा से समस्त विश्व कृतार्थ होगा। श्रीप्रभु का नाम सुनते ही समस्त भक्तवृन्द, काटोयावासी नर-नारी "जय श्रीकृष्ण चैतन्य जय श्रीकृष्णचैतन्य" ध्वनि करते हुए आनन्द विस्मृत हो गये आनन्द-सागर में डूब गये। श्रीभारती जी तो आज जगद्गुरू श्रीभगवान् की गुरुभावमयी सेवा को प्राप्त कर परम कृतार्थ हो गये।

✏क्रमश......2⃣9⃣


📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[15:15, 2/16/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कोई भी व्यक्ति तुम्हारे पास तीन कारणों से आता हे:-

भाव से,
आभाव से
 प्रभाव से ।।

यदि भाव से आया है, तो उसे प्रेम दो।

आभाव में आया है,  तो मदद करो ।

और यदि प्रभाव में आया हे तो  प्रसन्न हो
 जाओ

कि परमात्मा ने तुम्हे इतनी क्षमता दी हे ।

🌹🌹🌹 सुप्रभात 🌹🌹🌹
[15:15, 2/16/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



Medical advise 😊😊


⚡⚡⚡सावधान :::::⚡⚡⚡

 'इबोला वाइरस' से भी ज्यादा खतरनाक वाइरस है -


❗इसनेबोला,
❗उसनेबोला,
❗क्यूँबोला,
❗ कैसेबोला,
❗ कहाँबोला,
❗ यहाँबोला,
❗ वहाँबोला,
❗येबोला,
❗वोबोला,
❗और भी
❗बहुत कुछ बोला,
❗क्या क्या नहींबोला,
❗अच्छा मुझे ऐसाबोला?

ऐसे वाइरसों से हमेशा दूरी रहिये और आपसी संबंधो को मज़बूत बनाएँ रखें😉

वैष्णव संगती मे रहीये
कुंसंग को त्यागे 🙏🏻😊☺
[15:15, 2/16/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💧💧💧💧💧💧💧💧

पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रासद जी के
📘सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🍁 1⃣8⃣ 🙏🏻श्री सद्गुरु सेवा🙏🏻🍁

🙏🏻श्री सद्गुरु सेवा 🙏🏻

🙏🏻श्री सद्गुरु भगवान की आज्ञा पालन ठीक ठाक कर लेनौ,वास्तव में यही सेवा है।

🍒वैसे तौ प्यास में जलसेवा ,

🍒भूख में अन्नसेवा,

🍒रुग्णावस्था में औषधि सेवा

🍒आदिक हू सेवा ही हैं।

⭐तथापि मुख्य सेवा है-इनकी आज्ञा पै ही चलनौ , अपनी बुद्धि सों काम न लैनौ ।

⚡यदि श्री सद्गुरु भगवान् सों दूर रहनौ परै तौ यही ध्यान राखै कि-

🍎मेरे समस्त क्रियान कूँ तथा समस्त विकारन कूँ

🍏श्री सद्गुरु भगवान् देख रहे हैं।अतएव सतत् सावधानता रहै इनकी आज्ञा को उल्लंघन न होन पावै ।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[15:15, 2/16/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡!🌹★🎊☘🎊★🌹!¡•

       1⃣6⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
             मंगलवार माघ
            शुक्लपक्ष नवमी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
    !*! 〰〰〰〰〰 !*!
 
                     6⃣
               
❗मन्दिर श्रीषड्भुज महाप्रभु जी❗

🌹      गोस्वामी श्री अद्वैत चरण जी के स्थान पर श्रीषड्भुज महाप्रभु का विग्रह प्रतिष्ठित है l कलियुग पावनावतार श्री कृष्ण चैतन्य देव ने षड् भुज रूप को भी प्रकटित किया और श्री सार्वभौम भट्टाचार्य को दर्शन कराये lश्री महाप्रभु के श्री मुख से अभिधेय सम्बंध प्रयोजन आदि तत्वों की व्याख्या सुनकर श्री सार्वभौम विस्मित हो उठे थे l


🌹    अपनी निंदा करते हुए वे श्री महाप्रभु के चरणों में पड़ गये थे lतब श्री महाप्रभु ने कृपा करते हुए पहले चतुर्भुज रूप दिखाया l फिर बंशी बजाते हुए द्विभुज रूप के दर्शन कराये lदोनों रूपों को मिलाकर श्री षड्भुज महाप्रभु रूप की भावना की गयी है l

🌹     कहीं कहीं दो हाथों में धनुष बाण या श्री रामरूप दो हाथों से बंशी बजाते हुए श्री कृष्ण तथा दो हाथों में दण्ड कमण्डलु के चित्र भी देखने को मिलते हैं lनिधुवन के पास श्री गोपाल जी के मन्दिर में भी षड्भुज महाप्रभु जी के दर्शन हैं l

🌹   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l

                 क्रमशः.........
                        ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
             •🎊★🎊•
         •☘सुप्रभात☘•
   •🌹श्रीकृष्णायसमर्पणं🌹•
       •☘जैश्रीराधेश्याम☘•
              •🎊★🎊•
          ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
   
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[16:09, 2/16/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जय श्री राधे । जय निताई

🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित

💫💫💫💫💫💫💫💫

मंगलाचरण 2⃣

सर्वांगे हरि चन्दनं सुललितं कंठे च मुक्तावली।
गोपस्त्रीपरिवेष्टितो विजयते गोपाल चूडामणि:॥


भावार्थ:-

हे हरि! आपकी सम्पूर्ण देह पर सुगन्धित चंदन लगा हुआ है और सुंदर कंठ मुक्ताहार से विभूषित है, आप सेवारत गोपियों के मुक्ति प्रदाता हैं, हे गोपाल! आप सर्व सौंदर्य पूर्ण हैं, आपकी जय हो।

🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟

क्रमशः3⃣

Friday 12 February 2016

[20:10, 2/11/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 3⃣6⃣

  📚 ग्रंथ भी 👳🏻साधु हैं📚

 👏दूसरा अंग या 🎢सीढी है- साधु-वैष्णव-संत का संग।

🌼 पहला अंग था, सीढ़ी थी श्रद्धा।

🙏श्रद्धा उदित होने का कारण था पूर्व जन्म का साधु-संग। श्रद्धा होने पर पुन: अपने मूल कारण 'साधु- वैष्णव संग' की ओर जीव खिंचता है।

🌷वह साधु-वैष्णव, श्रीकृष्ण-पूजा, श्रीकृष्ण भक्ति करने वाले वैष्णवों के साथ उठता-बैठता है। आता- जाता है। जिज्ञासा करता है।

 💐अब जब साधुओं के साथ उठेगा- बैठेगा तो साधु उसे 'ताश' खेलना थोड़े ही सिखाएंगे। उसे भजन का उपदेश देंगे।

🔔भजन करना कुछ तो सिखाएंगे कुछ वह देख-देख कर अपने आप सीख जाएगा-और वह पहुँच जाएगा तीसरी सीढ़ी भजन- क्रिया पर।

        ❓साधु कौन?

1⃣ जिसने श्रीभगवान् के श्री चरणों में पूर्णत:  आत्म समर्पण कर दिया है जो विषय, मान प्रतिष्ठा, धन-संपत्ति, आश्रम, ट्रस्ट  से अनासक्त है और आज भी ऐसे साधु बहुत हैं। ढूँढ़ने से मिलते हैं।

2⃣ सर्वत्र समदर्शी हैं। शांत हैं। श्रीभगवान् में निष्ठा प्राप्त कर चुके हैं। क्रोध रहित हैं। सरल हैं। दोषों को नहीं  देखते हैं।

3⃣ शरीर रक्षा व श्रीठाकुर- सेवा हेतु जितने धन साधन की आवश्यकता है उतना ही ग्रहण करते हैं। भगवत्-प्रीति के अतिरिक्त अन्य कोई भी कामना नहीं है।

 क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[20:10, 2/11/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🔔☘◆🌺◆☘🔔✽¡•

       1⃣1⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
              गुरुवार माघ
           शुक्लपक्ष तृतीया

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
      〰〰〰〰〰〰
 
                      3⃣
               
❗श्रीअमिय ➖निमाई महाप्रभु मन्दिर❗    

☘     यह बड़े महाप्रभु जी का मन्दिर नाम से प्रसिद्ध है lइसमें श्री गौरांग महाप्रभु का श्री राधा भाव की झलक वाला श्री विग्रह विराजमान है lयह विग्रह पहले कलकत्ता में एक संतानहीन वैष्णव के घर सेवित था l उन्हें चिंता रहती कि महाप्रभु की सेवा का क्या होगा ❔इक दिन स्वप्न में श्री
 महाप्रभु ने कहा मैं वृन्दावन जाना चाहता हूँ मुझे वहाँ भिजवा दो l उसने अपने श्री गुरुपुत्र श्री कृष्ण चैतन्य गोस्वामी जी को इस विषय का पत्र दिया l

☘      इस बीच उस वृद्ध बंगाली का शरीर पात हो गया और मकान सरकार ने ले लिया l श्री गोस्वामी ने पत्र दिखाकर श्रीमहाप्रभु श्री विग्रह को ले जाने का आदेश प्राप्त किया l उन दिनों श्री रामदास जी महाराज कलकत्ता में शिष्यो के साथ श्रीनाम प्रचार कर रहे थे l गोस्वामी जी ने उनसे सम्पर्क कर सहर्ष श्री विग्रह को वृन्दावन ले आये l

☘     कुछ समय श्री राधारमण मन्दिर के सामने रासमण्डल की तिवारी में आप सेवित हुए l वहाँ से कन्या पाठशाला में सेवित होते रहे lबाबा श्री रामदास जी एवम् बाबा गौरांगदास जी के सहयोग से वर्तमान भव्य मन्दिर गोपीनाथ बाजार में 1940 में गोस्वामी जी के तत्वाधान में निर्मित हुआ lश्री गौरांग जयंती पर महाभिषेक महोत्सव तथा कार्तिक में श्री महाप्रभु वृन्दावन आगमन महोत्सव मनाये जाते हैं l

☘   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l

                क्रमशः.........
                      ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🔔•(*﹏¥
            •🌺★🌺•
         •☘सुप्रभात☘•
 •🔔श्रीकृष्णायसमर्पणं🔔•
     •☘जैश्रीराधेश्याम☘•
             •🌺★🌺•
         ¥﹏*)•🔔•(*﹏¥
   
•¡✽🔔☘◆🌺◆☘🔔✽¡•
[20:10, 2/11/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश

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🍁1⃣4⃣ मन🍁

🍓मन में विषय सम्बन्धी संकल्प न उठन पावैं।
काहू कौ अनिष्ट चिन्तन न हौन पावै।
जब जब मन में अनुचित संकल्प उठवे लगै तब तब भगवत् कृपा कौ स्मरण करनौ कि-

🍎श्री प्राणनाथ ने बड़ी कृपा करी-भारतवर्ष में जन्म,उत्तम कुल,उत्तम माता-पिता,सत्संग,सद्गुरु-प्राप्ति, भजन के लिए अवकाश आदि -आदि अनेकन महान् सुयोग प्रदान कर दिये।

🍏अब हमें चाहिये कि सदैव सावधान रहें कि कोई दूषित संकल्प मन में न उठन पावै प्रत्युत सतत् यही प्रयत्न करै कि मन में

🍒१.इनकी कृपा कौ चिन्तन होतौ रहै।

🍒२.अपने जीवन के सुधार के लिये उपाय सौचतौ रहै।

🍒३.हम सों सबकौ हित ही होय ऐसौ संकल्प बनातौ रहै।

🍒४.बार-बार यह देखतो रहै कि हमारी श्रद्धा शिथिल तौ नहीं होयवे लगी।

🍒५.हम अपने नियम ठीक-ठीक पालन कर रहे हैं या नहीं।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[20:10, 2/11/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
       
✏क्रमश से आगे.....2⃣5⃣

🌿🌷नवद्वीप मे एक दिन श्रीमन्हाप्रभु गोपी-भाव में आविष्ट हो उठे और 'गोपी-गोपी' नाम का उच्च स्वर में कीर्तन करते हुए व्याकुल हो उठे। उनका एक शिष्य उस समय उनके दर्शन को आया। 'गोपी-गोपी' नाम की रट लगाते देखकर बोला-"विप्रवर ! आप श्रीकृष्ण का संकीर्तन छोड़कर आज 'गोपी-गोपी' कैसे पुकार रहे है ? 'श्रीकृष्ण-श्रीकृष्ण' कहिये न, 'गोपी-गोपी' कहने से क्या होगा ? इतना सुनते ही श्रीमहाप्रभु में श्रीकृष्ण के प्रति क्रोध-भाव उदय हो उठा-'उस निठुर का नाम ! जिसने ब्रज को त्याग कर मथुरा गमन किया ? उस निर्दयी का नाम ! जो माता-पिता सखाओं और ब्रजगोपियों को बिलखता छोड़कर अक्रूर के साथ चल दिया? ओ दुष्ट ! ठहर जा, मैं तुझे अभी सुनाता हुँ उसका नाम"-इतना कह महाप्रभुजी उस छात्र के पीछे लाठी लेकर मारने को दौड़े। वह छात्र भयभीत होकर वहाँ से भागा। आगे-आगे छात्र और उसके पीछे-पीछे महाप्रभु श्रीविश्वम्भर। जैसे-कैसे भक्तगण ने श्रीप्रभु को सम्भाला, शान्त किया और घर पर ले आये।

🌿🌷इधर उस छात्र ने जब छात्रों को इस घटना को सुनाया तो सब छात्र महाप्रभु की निन्दा करने लगे, यहाँ तक कि मारने तक को उद्यत हो उठे। आखिर छात्र ही तो थे। गुरूदेव श्रीमहाप्रभु की निन्दा से उनको सारी विद्या भूल गई, किन्तु वे इस रहस्य को न समझ पाये। बढ़-बढ़कर प्रभु की निन्दा करने लगे। इस प्रकार और भी अनेक बहिर्मुख लोग थे जो प्रभु की निन्दा पहले ही करते थे। नाम-संकीर्तन को ढोंग बताते तथा वैष्णवों का मजाक उड़ाया करते।

🌿🌷श्रीप्रभु उन सब लोगों की निन्दा अपराध-जनित दुर्गति को विचार कर मन-मन में अति दु:खी हुए। मन में सोचने लगें, "मैं तो इनको भगवत्-भक्ति देने आया हूँ, किन्तु मेरी निन्दा (भगवत् निन्दा), हरिनाम की निन्दा तथा वैष्णव-निन्दा से इनकी तो महान् दुर्गति होगी। इनके उद्घार की जगह पर इनका निश्चय अध:पतन होगा।" तब उनके उद्घार का एकमात्र उपाय श्रीमहाप्रभु ने यही विचारा कि मैं संन्यास ग्रहण करूँ। संन्यास भेष में देखकर ये लोग मुझे नमस्कार करेंगे, तभी इनका निन्दा-जनित अपराध दूर होगा और इनमें भगवद भक्ति को ग्रहण करने की योग्यता का उदय होगा।

🌿🌷उस समय ही नहीं, आज भी एक संन्यासी को देखकर सर्व साधारण उसे नमस्कार करता ही है। निन्दा-जनित अपराध, जिस की निन्दा की जाती है, उसे नमस्कार करने मात्र से दूर हो जाता है। श्रीमहाप्रभु के संन्यास ग्रहण के और भी अनेक कारण एवं रहस्य है, किन्तु यहाँ इतना ही प्रयोजन है कि महाप्रभु ने संन्यास ग्रहण करने का चित्त में दृढ़ संकल्प कर लिया।

🌿🌷परमाराध्य की वाणी-एक शिशु जब मल-मूत्र मे सना हो तो मैया सारे कार्य छोड़कर उस शिशु के मल-मूत्र को अपने हाथों से साफ कर देती हैं। ऐसे ही किसी की निन्दा करने वाला व्यक्ति उसकी निन्दा अपनी जीभ से साफ कर देता है। चलो निन्दा ही सही-कम से कम उसने अपने हृदय मे याद तो किया।

✏क्रमश......2⃣6⃣


📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:45, 2/12/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 6⃣9⃣

🌿 खींच -तान🌿

🐼 बिल्ली के गले में रस्सी बांध दो और दूसरे उसके छोर को पकड़ लो तो बिल्ली निश्चित ही उसे खींचेगी ।फिर हम यह कहते हैं कि मैंने तो केवल पकड़ रखी है, खींच तो बिल्ली रही है। हम यदि संसार की रस्सी पकड़े रहेंगे तो खींचतान मची रहेगी।

🎎 संसार में रहो भले ही रस्सी को छोड़ दो, खींचतान समाप्त हो जाएगी। संसार के लोगों को उनकी मर्जी से चलने दो। रोका टोकी  मत करो। फिर वो भी तुम्हारे भज्न में बाधा नहीं करेंगे।

🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐

🌿सबके लिए अलग-अलग 🌿

😒 एक निकम्मे के लिए आदेश है - काम करो जब काम करने लग गया तो आदेश हुआ - गलत काम मत करो -अच्छे काम करो ।  जब काम के साथ कामना को जोड़ने लगा दो आदेश हुआ - निष्काम कर्म करो।

💥 जब निष्काम कर्म करने लगा तो आदेश हुआ -कर्ता- पन का अभिमान त्यागो। तुम करता नहीं हो करने वाला तो भगवान है। अतः स्तर व् योग्यता व अधिकार के अनुसार आदेश है।

👺 एक व्यभिचारी बलात्कार करने के बाद यह कहे कि कर्ता तो भगवान है, मैं कर्ता नहीं हूं,  तो अनर्थ हो जाएगा। गलत काम -वासना से,  सकाम कर्म -स्वार्थ से काम का अभिमान मूर्खता से आता है।

💦💧💦💧💦💧💦💧💦💧💦

🌿 हीरे से कांच 🌿

💧हीरा एक बहुमूल्य वस्तु है। इसे प्राप्त कर इस से कोई यदि कांच काटता है तो ठीक है लेकिन यह इस का सर्वश्रेष्ठ उपयोग नहीं है।

🙌 इसी प्रकार भगवत भक्ति करके यदि कोई लौकिक कामना की पूर्ति चाहता है तो वह हीरे से कांच काटने के समान ही है।

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[21:45, 2/12/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💎💎💎💎

ISKA अर्थ है कि

🔶 🔶 🔶

🔶Maturity is when you stop attaching "happiness" to material things.


🔷जब आपको लगने लगे कि भौतिक वस्तुओं का और धन-संपत्ति का मनुष्य की सुख-शान्ति और खुशियों से कोई सम्बन्ध नहीं है तो इसका अभिप्राय है कि आप परिपक्व हो गये हैं।


लगे रहो । शुभ कामना ।

📙📗📙📗📙📗📙📗
[21:45, 2/12/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 3⃣7⃣

  📚 ग्रंथ भी 👳🏻साधु हैं📚

📚ग्रंथ, 📃शास्त्र,📖 श्रीमद्भागवत आदि भी साधु👳🏻 हैं।

1⃣ जीव या मनुष्य रुप में तो साधु-वैष्णव हैं ही। साथ ही श्रीमद्भागवत, गोस्वामी- ग्रंथ, ऐसे ग्रंथ जिनमें  भगवद् भक्ति का वर्णन हो, यह भी साधु हैं।

2⃣ शायद जीव रुप साधुओं में दोष दिखने लग जाए, लेकिन ग्रंथों में दोष दर्शन का प्रश्न ही नहीं। साधु सब समय उपलब्ध हों न हों,  ग्रंथ उपलब्ध हैं।

3⃣ ग्रंथ- भागवत आदि साधुओं द्वारा ही हमारे कल्याण के लिए लिखे गए हैं, उनके न होने पर भी, उनके द्वारा लिखे ग्रंथों का संग, पाठ, अध्ययन उनके ही संग है।

🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆

  👳🏻साधु संग यानि?👳🏻

 1⃣साधुओं के पास जाना🚶, प्रणाम करना🙏, बैठना, कुछ फलफूल🌷, दक्षिणा💰 दे आना पूर्ण साधु-संग नहीं है।

2⃣ साधुवैष्णव के पास नियमित आना-जाना👱, उनको प्रणाम करना👏, उनकी ऐसी सेवा करना🙌, जिससे भजन में बाधा ना हो,वृद्धि हो।

3⃣ उनसे श्री कृष्ण लीला कथा की चर्चा करना। अपने उद्धार के लिए जिज्ञासा करना, भजन कैसे हो, प्रेमा भक्ति कैसे मिले- यह चर्चा करना ।

4⃣न कि नई गाड़ी 🚗में उन्हें बैठाना, 👭सन्तान के लिए प्रार्थना करना, 👬बच्चों के एडमिशन की चर्चा करना, 👪पति-पत्नी परिवार की समस्याओं को रखना आदि। सन्त हीरा हैं, उन्हें कंठ में धारण करो, न कि कांच काटो।

5⃣वे जो कहें, आदेश दें उपदेश दें- उस पर केंद्रित होकर उसका आचरण करना। उनके आचरण को देखकर उनसे सीखना। साथ रहकर भजन की गुत्थियों को नहीं सुलझाया।भजन में वृद्धि नहीं हुई तो काम अधूरा ही रहा। बेकार नहीं गया। लेकिन पूरा भी नहीं हुआ।

6⃣ साधु-वैष्णव की वह सेवा ही साधु-सेवा है, जिससे साधु का भजन बढ़े, चित्त शांत रहे। कोई भी ऐसी सेवा, जिससे भक्ति कम हो, विलसिता बढ़े, साधु-सेवा नहीं। अपराध ही है।

7⃣ बहुत सारे साधुओं को थोक में बुला लेना, उन्हें भोजन कराना, दक्षिणा देना ही साधु-सेवा नहीं है। भी साधु सेवा है यदि हमारा धन  अशुद्ध है, कामना अशुद्ध है तो यह साधु-भोजन है। एक परोपकार है। भक्ति का अंग नहीं।

8⃣ धन अशुद्धि, विचार- अशुद्धि, भाव-उद्देश्य अशुद्धि के कारण उस अत्र को प्रभु स्वीकार नहीं करते तो वह प्रसाद नहीं होता। दावत होती है। उस दावत की झूठन को 'शीथ- प्रसाद' भी नहीं कहा जा सकता।

9⃣ अत: अपने जाने- पहचाने परमवैष्णवों से प्रार्थना करके, शायद छल करके, मांग करके महाप्रसाद लेना 'शीथ-प्रसाद' है। तभी शिथप्रसाद का फल प्राप्त होगा ।झूठन खाने से झूठन खाने का फल मिलेगा ।

 क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[21:45, 2/12/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🍁 मन1⃣5⃣🍁

🍒६.मन सों दूषित संकल्प उखार फैंकें। इनके स्थान में पवित्रतम् संकल्प भरते रहैं।

🍒७.वरोध के स्थान में मैत्री भावना भरते रहैं।

🍒८.कठोरता के स्थान नम्रता एवं दया बढ़ाते रहैं।

🍒९.काहू के दोष देखवे में ही गुण ही देखें।

🍒१०.सबको सम्मान ही दैवे की भावना भरते रहैं।

🍒११.मन में व्यर्थ चिन्तन न हौन पावै।जब-जब व्यर्थ चिन्तन या विषय चिन्तन होयवे लगै तो मन कूँ समझाय कें श्री भगवत् सम्बन्धी चिन्तन में लगाते रहैं।

🍒१२.लक्ष्य

🍒कर्तव्य

🍓सत्संग वाक्य तथा श्री भगवत् कृपा विशेषतया ये ही चिन्तनिय हैं।

🍓चिन्तन में-अपने साधन कौ चिन्तन अपनी रहनी कौ चिन्तन अपने स्वाभाव कौ चिन्तन कि इनमें कितनौ सुधार एवं उन्नति है रही है।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[21:45, 2/12/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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       1⃣2⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
              शुक्रवार माघ
            शुक्लपक्ष चतुर्थी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
    !*!〰〰〰〰〰!*!
 
                      4⃣
               
  ❗श्री श्रीराधागोपीनाथ❗

☘      यह विशाल मन्दिर गोपी नाथ बाजार में फाटक के अंदर स्थित है lपुराना लाल पत्थर का मन्दिर पहले पड़ता है फिर अंदर दूसरे प्रांगण में नूतन मन्दिर है lनवीन मन्दिर में श्री श्रीराधागोपीनाथआदि के प्रतिभू विग्रह अब सेवित है l श्री गोपीनाथ जी के वाम भाग श्री जाहवा ठकुरानी विराजमान हैं और उनके पास विश्वेश्वरि सहचरी है l  श्री गोपीनाथ के दक्षिण भाग में श्री राधा जी की तथा श्री ललिता सखी हैं l निकट अलग आसन पर श्री गौरांग महाप्रभु विद्यमान हैं l

☘     श्री परमानंद भट्टाचार्य
श्री गदाधर के शिष्य थे और वंशीवट के पास निवास करते थे l श्री भट्टाचार्य जी को वंशीवट तीर पर श्री गोपीनाथ जी का विग्रह प्राप्त हुआ था l वे उनकी सेवा करते थे l वृद्धावस्था में सेवा का कार्य अपने शिष्य मधु पण्डित को दे दिया l बहुत समय श्री गोपीनाथ जी वंशीवट पर विराजमान रहे l श्री रामसिंह द्वारा मन्दिर बनवाने पर वे यहाँ आकर सेवित होने लगे थे l

☘   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l

                क्रमशः.........
                      ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🔔•(*﹏¥
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         •☘सुप्रभात☘•
 •🔔श्रीकृष्णायसमर्पणं🔔•
     •☘जैश्रीराधेश्याम☘•
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[21:45, 2/12/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
       
✏क्रमश से आगे.....2⃣6⃣

🌿🌷श्रीमहाप्रभु के संकल्प करने की ही देर थी कि दूसरे दिन श्रीकेशव भारती जी भ्रमण करते हुए नवद्वीप में आ पहुँचे। प्रभु ने इनके दर्शन किये, प्रणामपूर्वक इन्हें अपने घर ले आये और भिक्षा कराई। प्रभु ने विनय पूर्वक प्रार्थना की-"आप तो जीवों का संसार बन्धन छुड़ाने के लिये ईश्वर के समान शक्तिशाली हैं, मानो साक्षात् श्रीनारायण है। अत: कृपा कर आप मेरा भी संसार बन्धन छुड़ा दीजिये।" इस प्रकार प्रभु ने आपको संन्यास प्रदान करने की प्रार्थना की। श्रीभारती जी ने कहा, विश्वम्भर !

          ☝तुमि ईश्वर अन्तर्यामी।
🍃येइ कराह, सेइ करिव, स्वतन्त्र नांहि आमि।।

🌿🌷"आप अन्तर्यामी ईश्वर हैं, आप जो भी मुझसे कराना चाहो, मैं वही करुंगा। प्रभो ! मैं स्वतन्त्र नहीं हुँ।" इतना कहकर श्रीभारती जी ने अपने निवास स्थान कोटाया (कण्टक नगर) चले गये। माघ शुक्ला त्रयोदशी (शकाब्द १४३९) रात्रि को गृह त्यागकर कोटाया जा पहुंचे। श्रीमहाप्रभु ने अपने अन्तरंग भक्तों को अपने संन्यास के क्रार्यक्रम की सूचना पहले ही दे रखी थी। वे सब वहाँ चतुर्दशी के दिन पहुँच गये। उस दिन रात्रि को सब भक्तों के साथ नृत्य-गान करते रहे, मानो संन्यास महोत्सव का शुभ-अधिवास मनाया गया।

🌿🌷पूर्णिमा का दिन था, सवेरे श्रीमन्महाप्रभु सब भक्तों के साथ गंगा तीर स्थित श्रीभारती जी की कुटिया पर पधारे। सबने दण्डवत् प्रणाम किया उनको। श्रीमहाप्रभु बोले-"महाशय ! आप मुझे मेरे प्राणनाथ श्रीकृष्ण को दे सकते है, क्योंकि श्रीकृष्णचन्द्र निरन्तर आपके हृदय में निवास करते है। मैं केवल कृष्ण-दास्य चाहता हुँ। वह कृष्ण-दास्य मुझे जैसे प्राप्त हो, उसका मुझे उपदेश देकर कृतार्थ कीजिए।"

🍃कृष्ण-दास्य वइ येन मोर नहे आन।
🍃हेन उपदेश तुमि मोरे देह दान।।

🌿🌷श्रीभारती जी का हृदय धक-धक कर रहा था। अहो ! ऐसा कनक-कान्ति-मय नवयौवन। घर में नि:सहाय वृद्धा जननी और नवकिशोरा भावभोरी नवविवाहिता विष्णुप्रिया देवी ! कैसे इन्हें संन्यास की दीक्षा दूं।" सर्वज्ञ शिरोमणि जगद्गुरु साक्षात् भगवान् श्रीकृष्ण की आज्ञा का भी उल्लंघन कैसे करूँ? नेत्रों से अजस्त्र अश्रुधारा बहने लगी। श्रीमन्महाप्रभु ने पुनः प्रार्थना की-"न्यासी शिरोमणे ! अब विलम्ब मत करिये, आप तो सर्व धर्म-तत्ववेता है। यह मानवतन अति दुर्लभ है। इसे कृष्ण-सेवा का सौभाग्य प्रदान करने में प्रभो ! देर मत कीजिये।"

✏क्रमश......2⃣7⃣


📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:45, 2/12/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



एक गुब्बाड़े
को आकाश उतना
ही महत्वपूर्ण है
जो उसे उड़ने
के लिए अनंत सीमा
देता है

लेकिन

उससे भी
महत्वपूर्ण है
उसके
अंदर की गैस
अंदर की शक्ति
उत्साह
जो उसे
उड़ाए
रखता है ।
[21:45, 2/12/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌹    श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾

श्रीप्रबोधानंद सरस्वती पाद कहते हैं कि....


🌴राधामाधव पाद पद्म रज प्रेमाह्लादित
🌱विह्वल चित कन्दर्प केलि प्रिय क्रिया अबाधित।
🌴ऐसो स्थल श्रीधाम वसत चर अचर जे प्राणी
🌱दंषक विषमय अन्य कष्टकारक हूँ जानी।
🌴उनसों द्वेष विहीन शुद्ध चित्त धाम वसत जे
🌱देह अवसान पाए होहिंगे कृत्त कृत्य ते॥

🌲अहो ! श्रीराधामाधव के चरणकमल के पराग में प्रेमोंमत्त हो, इस प्रिय-क्रीड़ा-कानन श्रीवृंदावन में नित्य सत्यपरायण स्थावर जंगम(जड़-चेतन) प्राणी भी , यदि किसी के साथ द्रोह करें तो उनके द्वेष बुद्धि रूप महापराध को छोड़कर अन्य कैसा भी पाप करते हुए, यदि कोई प्राणी आमरण श्रीवृंदावन में वास करे, तो उसको पुण्यात्मा ही कहा जाएगा।

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[21:45, 2/12/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💎💎💎💎

ISKA अर्थ है कि

🔶 🔶 🔶

🔶Be simple.. Be positive..Be relax.. and show that you are mature enough.


🔷सरल और सकारात्मक रह कर स्वच्छन्दता का अनुभव करो और अन्य व्यक्तियों को यही अनुभव करने दो कि आप परिपक्व हो गये हैं।


लगे रहो । शुभ कामना ।

📙📗📙📗📙📗📙📗