Sunday, 6 December 2015

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🌱🌱ब्रज की वार्ता 🌱🌱
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🌹 निताई गौर हरिबोल🌹  

🌻 भक्ति करते हुए
होने वाले 8 अनर्थ🌻

1⃣  निषिद्ध आचरण
जीव हिँसा ,
मुक्ति,
पूजा ,
प्रतिष्ठा ,
लाभ ,
भोग ,
कुतर्क          

दो माला जप किया  नहीं की हम अपने आप को भक्त  समझने लगते हैं और तो और अपने आसपास के लोगों को भक्त बनाने की फैक्ट्री खोलने लग जाते हैं।

और भक्ति  जात अनर्थों में फँस जाते हैं। बहुत सूक्षम चिंतन हैं।  अतः चेष्टा  पूर्वक इन  से बचते हुए एकान्तिक रूप से भजन में लगना चाहिए

 🙏 हम अपना कल्याण कर ले इतना बहुत है । लोगों के कल्याण की चिंता करने वाला स्वयं करेगा
                               
  💥 निषिद्ध आचरण।💥

शास्त्रों में दो प्रकार से आदेश दिए गए है  🔓🔒

 ✅ यह करो  (विधि )
 ❎ यह मत करो (निषेध) ।

🏂 दोनों प्रकार के निर्देशों का साधको को पालन करना ही चाहिए तभी वह अगली सीढ़ियों चढ़ता हुआ अपने  साध्य  की ओर बढ़ता चला जाता है ।  

2⃣🚶 भक्ति करते-करते कभी कभी आलस्य वश निषेध करने वाला आचरण भी कर लिया जाता है।

🚗 जैसे शास्त्रों में कहा है कि मंदिर दर्शन हेतु यथासंभव पैदल ही जाना चाहिए ।रिक्शा या कार को बिल्कुल मंदिर द्वार तक नहीं लेकर जाना चाहिए।      

3⃣📃  लेकिन यह सोच कर कि अब यह सब हमारे लिए थोड़े ही लिखा है। हम तो अब भक्त है

🌇 भगवान से हमारी घनिष्टता है। भक्त  या विशेषकर जो भक्ति के आचार्य बने हैं वह इन निषिद्ध कार्यों को करते हैं ।जिससे अवश्य ही अनर्थ उत्पन्न होते हैं।
                           
4⃣ 🙎 किसी भक्ति पथ पथिक को एकांत में स्त्री से बात नहीं करनी चाहिए। ऐसा आदेश है लेकिन इसका पालन न के बराबर होता है ।और अनर्थ उत्पन्न होते हैं    
                                   
 5⃣ ⛪ मंदिर में शिष्य से पैर नहीं पूजवाने  चाहिए ।आशिर्वाद नहीं देना चाहिए -लेकिन होता है। और अनर्थ भी होता है ।

6⃣  ⛺ बहुत शिष्य , मंदिर ,मठ , आश्रम , नहीं बनाने चाहिए- लेकिन बन रहे हैं -और अनर्थ हो रहे हैं ।

🔎 परिणाम भी सामने हैं कि पंडित बाबा एवं अन्य प्राचीन संतो जैसे संत वैष्णव आज नहीं है

🔒आज के अधिकतर संतो ,आचार्यों के पास भक्ति का बल कम, शिष्य आश्रम, प्रसाद ,प्रचार-, प्रसार, होडिंग ,रंगीन कार्डों का बल अधिक है।।                                            
7⃣  👳🏻यदि इस पर ध्यान दिया जाए तो आज भी पंडित बाबा जैसे अन्य अनेक संत हो सकते हैं। इसमें कोई संशय नहीं और विरले आज भी होंगे ही उनका पता नहीं है प्रचार नहीं है इस प्रकार हमें निषिद्ध आचरण से बचना चाहिए

 🌺जय श्री राधे
 🌺जय निताई

लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
📕श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन.              

प्रस्तुति 🔔  श्यामा किंकरी शालू

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