Friday 16 November 2012

275. SABKE LIYE ALAG - ALAG


SABKE LIYE ALAG - ALAG

सबके लिए अलग-अलग

एक निकम्मे के लिए आदेश है - काम करो

जब काम करने लग गया तो आदेश हुआ -
गलत काम मत करो , अच्छे काम करो

जब काम के साथ कामना को जोड़ने लगा तो
आदेश हुआ- निष्काम कर्म करो

जब निष्काम कर्म करने लगा तो आदेश हुआ-
कर्ता - पन  का अभिमान त्यागो
तुम कर्ता नहीं हो करने वाला तो भगवान् है

अतः स्तर  व योग्यता  व अधिकार के अनुसार आदेश है
एक व्यभिचारी बलात्कार करने के बाद यह कहे की
कर्ता  तो भगवान् है, में कर्ता नहीं हूँ, तो
अनर्थ हो जाएगा

गलत काम- वासना से, सकाम  कर्म - स्वार्थ से
काम का अभिमान - मुर्खता से आता है

JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
http://shriharinam.blogspot.in/2011/08/time-nhi-hai.html

274. TIME NHI HAI-2

TIME NHI HAI-2


टाइम नहीं है

यदि टाइम नहीं होता तो -
1. फेस बुक पर इतने सारे लोग नहीं होते
2. टी वी देखना व बिकना बंद हो गए होते
3. क्रिकेट देखना, विशेषकर स्टेडियम में जाकर देखना बंद हो जाता
4. मोबाईल पर घंटों  इधर की बातें उधर कौन करता
5. घुमने के शहरों के होटल खाली पड़े होते

अतः टाइम तो पूरा का पूरा 24 घंटे है ही
हम जिस काम को करना चाहते हैं, उसके लिए
टाइम है, दुसरे के लिए नहीं।

अतः 'इस काम के लिए टाइम नहीं है' या
'तुम्हारे लिए टाइम नहीं है'-ऐसा कहना उचित होगा।

JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

Friday 9 November 2012

273. CHAAR PRAKAR K SHABD


चार प्रकार के शब्द

१. जातिवाचक: 
यह एक मनुष्य है =  मनुष्य वाचक (पशु या पक्षी नहीं ).

२. गुण वाचक: 
यह एक गोरा मनुष्य है. गोरा = गुण 

३. क्रिया युक्त 
यह गोरा मनुष्य भाग रहा है. भागना= क्रिया.

४. यदृच्छा (इच्छा से नाम रखो ): 
यह रमेश (नामक) गोरा मनुष्य भाग रहा है. 

--
JAI SHRI RADHE


DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
made to serve ; GOD  thru  Family  n  Humanity
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

Thursday 8 November 2012

272. BHAKTI AMAR HAI

BHAKTI AMAR HAI


अमृतस्वरूप भक्ति 

नारद भक्ति सूत्र का दूसरा सूत्र है 
जिसके अनुसार भक्ति अमृत स्वरुप है ,अथवा अमृत है

अमृत यानि अ+मृत जो मृत नहीं होती ,जिसका
 नाश नहीं होता ,जो सदेव है ,अमर है
इस जनम मै जितनी भक्ति करोगे ,जितनी सीड़ी 
चड़ोगे , मृत्यु के साथ वह समाप्त नहीं होगी , 
अगले जन्म में अगली सीढी  से प्रारंभ करना होगा 

पिछली सीढीयां  अमर है ,हर जनम मे जुड़ती  जायगी 
भक्ति का नाश नहीं , न ही भक्त का नाश है -'न मे भक्त प्रनश्यति'
बकि  कर्म का फल 
भोग या मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है 

अतः  इस भक्ति अमृत का अवश्य पान करो 
जितना हो उतना करो -यह अमर है -हर जन्म में जुड़ता रहेगा 

JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

Wednesday 7 November 2012

271. MARNA




मरना

विशुद्ध प्रेम में मरना तो होता ही नहीं
अपने प्रियतम के सुख के लिए
बस जीना ही जीना

Tuesday 6 November 2012

270. RAADHAAKUND SNAAN




श्री राधाकुंड स्नान

आज श्री राधाकुंड का प्राकट्य-दिवस है
रात्री 1 2  baje  lakhon bhakt aaj कुंड  में  snaan karte hain

jahan laukik logon ki anek mano kamnaa purn
hoti hain वहां

bhakton ko bhakti sahit shree raadhaaraani ki
kripa prapt hoti hai, kyonki

bhagvaan shree krishn ko shree radhakund  raadhaarani
ke samaan hee priya hai

jai shree radhakund !
आज  कनव  अरोरा का भी जन्मदिन है
शत-शत बधाई !!!!

JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

Friday 2 November 2012

269. TEEN PRAKAR K ARTH


तीन प्रकार के अर्थ

१. मुख्य या अभिधा : 'यह एक घर है'
स्पष्ट है। कोई अर्थ लगाने की ज़रुरत नहीं 
.
२.लक्षणा  : 'गंगा में घर है'. 
गंगा में, जल में घर नहीं हो सकता 
अतः: अर्थ लगाना  है की गंगा के  किनारे घर है .

३. व्यंजना  : 'गुरूजी संध्या हो गयी'.
अर्थात शाम हो गयी . अब पढ़ना बंद करो 
या शाम को जो काम करते हो वो करो.
इशारे से बात को समझो 

ग्रन्थ या शास्त्र में इन तीनों का प्रयोग हुआ है 
जो जानने वाले हैं, उनसे सही अर्थ समझा जाना चाहिए 
अन्यथा 'गंगा में घर है' के हिसाब से गंगा में दुबकी लगा-लगा 
कर घर ढूंढने वाले को क्या हाथ लगेगा ?

लिखा हुआ तो साफ़-साफ़ है ही  

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia



Thursday 1 November 2012

268. GANDEE BATEN




गंदी गन्दी बातें 

समाचार छपा की फलहा-फलहा सेलेब्रिटी
अपने आपत्तिजनक चित्र
इन- इन वेबसाइट या ट्विट्टर पर अपलोड
करके अश्लीलता फेला रही है - इन्हे तुरंत रोका जाना चाहिए

साथ ही वेबसाइट व ट्विट्टर के पते भी दीए गए थे
उनको रोका गया या नहीं, यह तो पता नहीं चला 
समाचार छपने के दो दिन बाद-
समाचार छापा कि उनके फोलोवेर्स कि  संख्या में दोगोनी वृद्धि  हो गयी है 

आजकल मीडिया द्वारा यह स्टाइल खासी अपनाई जा रही है 
ऊपर से कहेना तो यह कि इन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए 
और परिणाम या उद्देश्य उनके प्रचार का । इशे पीत-पत्रकारिता कहते है

अत: प्रचार या समाचार या बात केवल पोजिटिव विषय प़र 
गंदी बाते तो दफनाने के लिये छोर देनी चाहिए , 
उनका वीरोध करने से भी वह बढ़ती ही हैं

जैसा की आजकल भ्रष्टाचार के विषय म हो रहा है 
जितना विरोध हो रहा है, उतना बढह रहा है 
 
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA