Thursday, 17 December 2015

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💐💐ब्रज की उपासना💐💐

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🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

  क्रम संख्या 7

 ✔पाना क्या और कैसे✔


ध्यान रहे

🎢 पहली सीढ़ी है-श्रीगुरुधारण
बिना गुरु धारण किये आप निश्चित है भटक रहे हैं ।

👳🏻कृष्णम् वंदे जगद् गुरुं-श्रीकृष्ण सम्पूर्ण जगद् के गुरु हैं-वे ही मुझे मेरे गुरु को प्रदान करेंगे, मिलवायेंगे ऐसी इच्छा अभिलाषा के साथ-'नाम' जप का आश्रय लेने से शीघ्र ही 'श्रीगुरुचरण' की प्राप्ति हो जाती है।

🌻'गुरु' को बाईपास करके यदि आप समझते है कि हम भक्ति कर रहे हैं-तो आप गारण्टी से कोरे भ्रम में हैं। आपको भक्ति की एबीसीडी भी पता नहीं है  ।
 
🌹सवोपरि है गोपी-प्रेम🌹

🙏शांत,दास्य,सख्य, वात्सल्य और मधुर-इन पांच प्रकार के रसों पर आधारित प्रेम या भक्ति में सर्वश्रेष्ठ है
🌲 मधुर-रस आधारित गोपी-प्रेम या श्रीराधा-प्रेम।

श्रीराधा को श्रीकृष्ण से प्रेम कर के जो आनंद प्राप्त होता था,उसे देखकर श्रीकृष्ण भी चमत्कृत होते थे।

🌲और परिणाम यह हुआ कि श्रीकृष्ण-श्रीराधा के उस प्रेम के आनंद का आस्वादन करने के लिए श्रीराधा का भाव और श्रीराधा का गोरा-रंग लेकर 'राधाकृष्ण मिलित विग्रह'-'श्रीगोरांग'-श्रीचैतन्य महाप्रभु के रूप में कलि में अवतीर्ण हुए

🌲और हम जीवों को श्रीनाम
 संकीर्तन का सहज-सरल -मार्ग प्रदान कर गये जिससे आज समस्त जीव अपूर्व आनंद को प्राप्त कर जीवन धन्य कर रहे है।

 📖इस विषय पर एक सम्पूर्ण ग्रन्थ उपलब्ध है- 'पाना क्या और कैसे?'

📚इस ग्रन्थ में श्री चैतन्य चरितामृत के राय रामानंद एवं महाप्रभु के सवांद अन्तर्गत जो प्रसंग है-वह सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

🌲अचार्यरत्न एवं सुरेश नाम के इसमें दो काल्पनिक पात्र बनाये गए हैं। साथ  ही यह भी चिन्हित करने योग्य बात है कि महाप्रभु श्रीचैतन्य प्रश्नकर्ता हैं और उनके कृपापात्र श्री राय रामानंद उनके प्रश्नो का समाधान कर रहे हैं।

🌞इस तथ्य द्वारा महाप्रभु ने  वैष्णवों के महामहिम माहात्म्य एवं गरिमा को ही प्रकाशित किया है।

🌳कौन नहीं जानता की श्री राय रामानंद के मुख से स्वयं महाप्रभु ने ही जीव के साध्य  और साधन =उसके प्राप्ति के उपाय की चर्चा गोदावरी तट पर की है।

💐विषय कठिन अवश्य है लेकिन प्रयास करने पर समझ आता है। समझ न आने पर संत वैष्णव विद्वानों से चर्चा करके समझना चाहिए।

👳🏻संत, विद्वान्, वैष्णवो से घर गृहस्थी,तेरी-मेरी बात न करके गूढ़ विषयों की जिज्ञासा से दोनों का कल्याण साधित होता है।

वैसे भी इस संसार में सरल क्या है।सभी कुछ तो कठिन है। भक्ति भजन पथ तो अपेक्षाकृत बहुत सरल है      

क्रमशः.........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

लेखकः
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन

प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠X

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