[17:44, 12/16/2015] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🌿🌷﹏*))★((*﹏🌷🌿
1⃣6⃣*1⃣2⃣*1⃣5⃣
बुधवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष पंचमी
★
◆~🌷~◆
◆🌿जयनिताई🌿◆
•🌷गौरांग महाप्रभु 🌷•
◆🌿 श्री चैतन्य 🌿◆
◆~🌷~◆
★
❗चोर उद्धार❗
🌿 एक दिन संध्याकाल में एक चोर ही इन्हें कंधे पर बैठाकर चल दिया lइन्होंने आभूषण पहन रखे थे l आज बड़ा आनंद ले रहे थे बाल गौरांग l अनेक देर घूमता रहा चोर किन्तु घूमफिर कर फिर इनके घर के दरवाजे पर आ पहुँचा l
🌿 ऐसा अंधा हो गया कि नगर से बाहर जंगल में जा ही न सका lप्रभु की महिमा को वो जान गया और उसने चोरी का पेशा छोड़कर भगवान की भक्ति करना आरम्भ कर दिया l
🌿 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌷•(*﹏¥
•🌿◆🌿•
•🌷सुप्रभात🌷•
🌿श्री कृष्णायसमर्पणं🌿
🌷जैश्रीराधेश्याम🌷•
•🌿◆🌿•
¥﹏*)•🌷•(*﹏¥
🌿*🌷﹏*)★(*﹏🌷*🌿
गीताप्रेस ने बहुत ही
प्रशंसनीय ग्रन्थ सेवा की है ।प्रणम्य है निश्चित ही ।
विदित हो की गीताप्रेस पर शैव मत । मायावाद का प्रभाव रहा है
ग्रंथो के अनुवादक सन्यासी मायावादी रहे हैं । उन्होंने अपने मत का पोषण किया है जो स्वाभाविक ही है ।
इसलिए सिद्धांत के अपर लेवल पर वैष्णव जन गीताप्रेस के अनुवाद को मान्यता नही देते हैं
वैष्णव मान्यता और मायावाद की मान्यता व सिद्धांत में अंतर ह
जय श्री राधे
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बुधवार मार्गशीर्ष
शुक्लपक्ष पंचमी
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◆🌿जयनिताई🌿◆
•🌷गौरांग महाप्रभु 🌷•
◆🌿 श्री चैतन्य 🌿◆
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❗चोर उद्धार❗
🌿 एक दिन संध्याकाल में एक चोर ही इन्हें कंधे पर बैठाकर चल दिया lइन्होंने आभूषण पहन रखे थे l आज बड़ा आनंद ले रहे थे बाल गौरांग l अनेक देर घूमता रहा चोर किन्तु घूमफिर कर फिर इनके घर के दरवाजे पर आ पहुँचा l
🌿 ऐसा अंधा हो गया कि नगर से बाहर जंगल में जा ही न सका lप्रभु की महिमा को वो जान गया और उसने चोरी का पेशा छोड़कर भगवान की भक्ति करना आरम्भ कर दिया l
🌿 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
✏ मालिनी
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•🌷सुप्रभात🌷•
🌿श्री कृष्णायसमर्पणं🌿
🌷जैश्रीराधेश्याम🌷•
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गीताप्रेस ने बहुत ही
प्रशंसनीय ग्रन्थ सेवा की है ।प्रणम्य है निश्चित ही ।
विदित हो की गीताप्रेस पर शैव मत । मायावाद का प्रभाव रहा है
ग्रंथो के अनुवादक सन्यासी मायावादी रहे हैं । उन्होंने अपने मत का पोषण किया है जो स्वाभाविक ही है ।
इसलिए सिद्धांत के अपर लेवल पर वैष्णव जन गीताप्रेस के अनुवाद को मान्यता नही देते हैं
वैष्णव मान्यता और मायावाद की मान्यता व सिद्धांत में अंतर ह
जय श्री राधे
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