Wednesday 27 July 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 22

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 22

💡 शरीर की आसक्ति
तब समाप्त हो जाएगी
जब यह समझ आ
जायेगा कि में
इस शरीर से परे
आत्मा रूप में अवस्थित
हु नित्य हु और 
श्रीभगवान का दास हु


💡 योग माने अप्राप्त की प्राप्ति
और
क्षेम माने प्राप्त की रक्षा.
भक्तो के इस ‘योगक्षेम’ को
प्रभु स्वंय वहन करते है.

💡दीक्षा गुरु ऐसे होते है जैसे
एक पुरोहित कन्या का विवाह पढ़ते है
विवाह करके उसके पति  से मिलते
है और उसे गृहस्थाश्रम में प्रवेश
करा देते है परन्तु शिक्षा गुरु
उन ननद और सास के समान है
जो पग पग पर उस नव वधु को शिक्षा
देती रहती है. इस लौकिक उदाहरण से
शिक्षा गुरु के महत्व को समझना है.


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn


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