Tuesday, 26 July 2016

भजन आत्मा का विषय है

✅   *भजन आत्मा का विषय है *   ✅

3⃣ तीन विषय हैं

1⃣ आधिदैविक जिसमें देवताओं से संबंधित विषय कार्यकलाप होते हैं

2⃣ आधिभौतिक इसमें भूत । यानी प्राणी । प्राणी यानी मानव । यानी लौकिक विषयों के बारे में वर्णन होता ह

3⃣ तीसरा है आध्यात्मिक । जैसाकि शब्द से ही स्पष्ट है इसमें आत्मा के बारे में कार्यकलाप एवं वर्णन होता है

🚼 चाहे करने वाला शरीर ही होता है और सब कुछ इसी संसार में ही होता है लेकिन होता आत्मा के लिए है

🚺 जो आत्मा विभिन्न शरीर धारण करके विभिन्न योनियों में भटकती है उसके भटकाव को रोककर सदा सदा के लिए उसे कृष्ण चरण सेवा में लगा देने से संबंधित जो भी होता है वह आध्यात्मिक होता है वह भजन होता है

♿️ इसलिए क्योंकि इसका विषय आत्मा है । आत्मा न ब्राह्मण होता है न शूद्र होता है ना वैश्य होता है ना क्षत्रिय होता है आत्मा इन चारों वर्णों का शरीर धारण करता है

❇️ और भजन या आध्यात्मिक शरीर से संबंधित नहीं है इसलिए चैतन्य चरितामृत में कहा गया कृष्ण भजने नहीं जाती कुल आदि विचार

✳️ किसी भी जाति का व्यक्ति भजन कर सकता है साथ ही किवा विप्र किवा शूद्र न्यासी केने न्य जेई श्री कृष्ण तत्ववेत्ता से गुरु हय

☢ गरु भी जरूरी नहीं कि ब्राह्मण हो कोई भी क्यों ना हो श्री कृष्ण तत्व को यदि जानता है तो वह गुरु हो सकता है क्योंकि भजन भजन भजन भक्ति या आत्मा इन सब चीजों से परे है

📛 इसीप्रकार जो पाप है वह शरीर द्वारा किया जाता है और शरीर को भोगना पड़ता है अपराध भजन में होते हैं वह आत्मिक होते हैं आत्मा को कुछ नहीं भोगना पड़ता इसीलिए केवल प्रगति में बाधा बन कर रह जाते हैं और उन्हें दूर करना पड़ता है

💯 अतः हम सब समझे रहे की भजन आत्मा की खुराक है और परोपकार सदाचार आदि यह शरीर की खुराक है

🆎 हम प्रयास करके भजन द्वारा इस आत्मा को सदा सदा के लिए शरीरों के बंधन से छुड़ाकर कृष्ण चरण सेवा के बंधन में बांध दें

⭕️ इसीलिए इस पथ को आध्यात्मिक कहा जाता है


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚


🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn


भजन आत्मा का विषय है


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