सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺
🔮 भाग 20
💡 ये तीनो अत्यंत दुर्लभ है –
1. मानव शरीर मिलना
2. इस मानव शारीर का प्रयोजन श्रीकृष्णप्रेम प्राप्ति है ये समझ आना और
3. इसका ज्ञान करने वाले सद्गुरु या महापुरुष का संग लाभ मिलना.
💡 क्या सही और
क्या गलत : हिन्दू धर्म
में इसका निर्णय
शास्त्रों से होता है. इसलिए
“मैं ऐसा सोचता हु“
कहने का मतलब है
मनगढ़ंत बातों में लोगो
को उलझाकर
उनका समय नष्ट करना
💡 वेद-पुराणों की संस्कृति
सनातन और शाश्वत संस्कृति है.
इनमे कही भी हिन्दू शब्द का
प्रयोग नही किया गया है.
यह किसी विशेष जाति या मजहब
के लिए नही वरन समस्त प्राणियों
के लिए है. इसलिए श्रेष्ठतम है.
(स्वामी श्रीअखंडानन्द जी महाराज के प्रवचन से )
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
No comments:
Post a Comment