*क्लर्क से ऑफिसर*
♦️एक *क्लर्क* यदि जिम्मेदारी से क्लर्की करता है तो वह ऑफिसर बन जाता है उसका क्लर्क होना छूट जाता है
♦️फिर यदि जिम्मेदारी से *ऑफिसरी* करता है तो वह मैनेजर बन जाता है और उसकी ऑफिसरी छूट जाती है । इसी प्रकार *मैनेजरी* छूट जाती है
♦️ठीक ऐसे ही हाई स्कूल में अच्छे नंबर से पास होने पर हमें इंटर में एडमिशन मिल जाता है और हाई स्कूल की कक्षा *छूट* जाती है
♦️इंटर में अच्छे नंबर से पास होने पर ग्रेजुएशन में एडमिशन मिल जाता है *इंटर* छूट जाता है
🕹इसी क्रम से शिक्षा लेते लेते एक समय आता है कि शिक्षा छूट जाती है और अच्छी *नौकरी* मिल जाती है
♦️यही संसार का भी क्रम है। संसार में संसार के काम करते-करते हमें इसे *छोड़ना* चाहिए और जिस भजन के लिए जीवन मिला है वह करना चाहिए
♦️लेकिन हम ऐसा नहीं करते हैं । हमारी हालत कुछ कुछ ऐसी है जो *जीवन भर क्लर्क का क्लर्क* रहा है
♦️अथवा अनेकों वर्षो से *इंटर में ही फेल* हो रहा है यदि पानी भी रुक जाता है तो बदबू आती है । यह तो संसार है इसमें यदि हम लंबे रुक जाएंगे और संसार के ही कामों में लगे रहेंगे तो दुख *अशांति क्लेश* तो होना ही है
♦️अतः संसार में आए हैं अच्छी बात है । *संसार बुरा नहीं है* । इसी संसार में ही रहकर भजन करना है
♦️वास्तव में जिस प्रकार शिक्षा प्राप्त करने का उद्देश्य नौकरी या व्यापार होता है उसी प्रकार इस संसार का उद्देश्य *भजन* या भगवद भक्ति ही है
♦️😔लेकिन हमने उस टारगेट को भुला हुआ है और हम संसार में ही लगे हुए हैं । *संसार को छोड़ने* का प्रयास हमारे मन में नहीं आ रहा है
♦️यदि हम भजन में लग जाएं हमारे समझ में यह आ जाए कि हमारा मूल उद्देश्य *भजन* है यह संसार और संसार की बातें संसार की सेवा उस भजन को प्राप्त करने के लिए है तो संसार भी 😄आनंद देने वाला बन जाएगा
♦️और हम भी अपने जीवन को सफल करते हुए भजन भक्ति द्वारा श्री *कृष्ण*👣 *चरण सेवा* को प्राप्त कर जाएंगे
🚶🚶सब कुछ यही रहना है । सब कुछ ऐसा ही होना है । कुछ भी नहीं बदलना है । केवल अपनी दृष्टि को बदलना है
🏺और जिस कार्य के लिए हमारा जीवन मिला है जो हमारा *परम धर्म* है । जो हमारे जीवन का उद्देश्य है । हमें उस पर केंद्रित रहना है तभी हम आनंदित हो पाएंगे और जीवन को *सफल* बना पाएंगे ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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