🙇 कष्ण की एक बच्चे के रूप म पूजा
👼यदि आपको श्रीकृष्ण की बच्चे के रुप में पूजा उपासना या भावना करनी है तो
🎅आप ऐसा सोचो जैसे आपका कोई एक बालक आपकी बाई के घर गया हो
🕵आपकी बर्तन धोने वाली मेड के घर गया हो आपकी डस्टिंग करने वाली के घर गया हो
💂और वह डस्टिंग करने वाली आप के बच्चे को जैसे रखेगी । वैसे आपने यशोदा मैया के लाला को अपने घर में रखना है
👷जीव हम या आप यशोदा नहीं बन सकते हैं । हम यशोदा मैया की बाई या मेड सर्वेंट या साहित्य भाषा में कहें तो एक दासी है
👮और हमारी मालकिन जो हमसे हर प्रकार से बहुत ही बड़ी है । सोभाग्यशाली है । उसका बालक हमारे घर में है । हम उसके बालक का कितना ध्यान रखेंगे यह आप समझ सकते हैं ।
👳भाव उसमें बालक का ही रहेगा लेकिन यह बालक हमारी मालकिन का बालक है यह भाव रखते हुए बाल भाव से हम यदि अपने आप को एक यशोदा की दासी समझकर उस लाला की उपासना करेंगे
👲तो यशोदा भी खुश और लाला भी खुश । इसी प्रकार अन्य अन्य भावों की उपासना होती है ।
👸मधुर भाव की उपासना में भी श्री कृष्ण हमारी स्वामिनी श्री राधा के पति है या कांत है या प्रेमी हैं
😘हमें राधा और कृष्ण के मिलन में सहायक एक छोटी सी दासी । एक छोटी सी किंकरी के रूप में अपने आप को देखते हुए मधुर भाव की लीलाओं का केवल दर्शन करने मात्र का अधिकार है
🙏और दर्शन की भी बार बार प्रार्थना से दर्शन प्राप्त हो जाए तो बहुत बड़ा सौभाग्य है
😻अतः जीव का जो मुख्य भाव है दास्य । वह हर भाव में मिश्रित रहना ही चाहिए मिश्रित भी क्या प्रमुख रहना चाहिए
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
👼यदि आपको श्रीकृष्ण की बच्चे के रुप में पूजा उपासना या भावना करनी है तो
🎅आप ऐसा सोचो जैसे आपका कोई एक बालक आपकी बाई के घर गया हो
🕵आपकी बर्तन धोने वाली मेड के घर गया हो आपकी डस्टिंग करने वाली के घर गया हो
💂और वह डस्टिंग करने वाली आप के बच्चे को जैसे रखेगी । वैसे आपने यशोदा मैया के लाला को अपने घर में रखना है
👷जीव हम या आप यशोदा नहीं बन सकते हैं । हम यशोदा मैया की बाई या मेड सर्वेंट या साहित्य भाषा में कहें तो एक दासी है
👮और हमारी मालकिन जो हमसे हर प्रकार से बहुत ही बड़ी है । सोभाग्यशाली है । उसका बालक हमारे घर में है । हम उसके बालक का कितना ध्यान रखेंगे यह आप समझ सकते हैं ।
👳भाव उसमें बालक का ही रहेगा लेकिन यह बालक हमारी मालकिन का बालक है यह भाव रखते हुए बाल भाव से हम यदि अपने आप को एक यशोदा की दासी समझकर उस लाला की उपासना करेंगे
👲तो यशोदा भी खुश और लाला भी खुश । इसी प्रकार अन्य अन्य भावों की उपासना होती है ।
👸मधुर भाव की उपासना में भी श्री कृष्ण हमारी स्वामिनी श्री राधा के पति है या कांत है या प्रेमी हैं
😘हमें राधा और कृष्ण के मिलन में सहायक एक छोटी सी दासी । एक छोटी सी किंकरी के रूप में अपने आप को देखते हुए मधुर भाव की लीलाओं का केवल दर्शन करने मात्र का अधिकार है
🙏और दर्शन की भी बार बार प्रार्थना से दर्शन प्राप्त हो जाए तो बहुत बड़ा सौभाग्य है
😻अतः जीव का जो मुख्य भाव है दास्य । वह हर भाव में मिश्रित रहना ही चाहिए मिश्रित भी क्या प्रमुख रहना चाहिए
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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