Thursday, 21 July 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 21

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 21

💡 चाहे इतना भी ज्ञान हो जाए
यदि वह ज्ञान भगवन्नाम और
भगवत भक्ति से
रहित है तो किसी काम का नहीं.
क्योंकि
कलियुग केवल नाम अधारा
सुमिरि सुमिरि नर उतरहिं पारा



💡 सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात
न ब्रूयात सत्यमप्रियम
सत्य बोलो - प्रिय बोलो
अप्रिय सत्य मत बोलो
किन्तु विष्णु पुराण में
यह भी कहा गया है कि
श्रेयस्तत्रहितं वाक्यं
यद्यप्यत्यन्तमप्रियम
परमार्थ विषय में अर्थात
किसी के हित के लिए
यद्यपि अत्यंत अप्रिय
वाक्य हों तो भी
मंगलकारी है.

💡 अध्यात्म तत्व का ज्ञान
भगवत तत्व का ज्ञान
और गुरु तत्व का ज्ञान
ये कोई समान्य ज्ञान नही. जो
हर कोई इस पर व्याख्यान करने लगे.
यदि कोई बात समझ में न आये
तो ये हमारी समझ का फोश होना चाहिए
न कि उस ज्ञान का. समान्य से
टीवी में पिक्चर कैसे आती है उसका
इंजिनियर ही बता सकता है हर कोई नही
फिर अध्यात्म का विषय तो बहुत गूढ़ है.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn


सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 21


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