*अच्छे सन्त आज भी हैं*
☺हम प्राय कहते हैं कि आजकल संत । अच्छे संत मिलते कहाँ हैं । बिलकुल ठीक है । अच्छे सन्त टीवी । फेसबुक । वत्सप्प पर नही मिलते हैं ।
👌सच्चे सन्त ऐसे इधर उधर घूमते घामते बाह्य क्रियायों में भी नही दीखते
💐उन्हें किसी से मिलकर मीठी मीठी बात बना कर सम्बन्ध बनाना भी नही आता है और न चाहते हैं
▶ ऐसे संत कहीं एकांत में अपने मतलब से मतलब रखते हुए जन समुदाय से दूर भजन म लगे रहते हैं ।
💐ऐसा ही एक स्थान है वृन्दाबन में । जालान बाग़ । जिसका परिचय मुझे धाम में जन्मे होने पर भी अभी 4।5 दिन पहले मिला ।
😢 ये स्थान हरे भरे वृक्षों से पूर्ण । लता पताओं से युक्त एकदम शांत एवम् कहीं यमुना तट पर स्थित है । अभी मेने भी दर्शन नही किये
👌यहाँ भागवत निवास एवम् टटिया स्थान की तरह 40 । 50 सन्त रहते हैं । भजन भजन भजन पर ही केंद्रित हैं । किसी भी भण्डारे म नही जाते हैं
▶ भोजन भी पता नही कहाँ से कौन व्यवस्था करता है । कभी घी घना । कभी सूखा चना । कभी वो भी बना न बना । वाली स्थिति में हैं
💐उस स्थान का नाम है जालान बाग़ । विशुद्ध सन्त वहां रहते हैं । बस भजन ही उनका उद्देश्य है । उनका कोई नाटक नहीं । इन्हें ढूँढना पड़ता है । ये सहज नही मिलते । इसलिए हम कहते हैं कि सच्चे सन्त कहाँ हैं । लेकिन हैं । होते हैं ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
☺हम प्राय कहते हैं कि आजकल संत । अच्छे संत मिलते कहाँ हैं । बिलकुल ठीक है । अच्छे सन्त टीवी । फेसबुक । वत्सप्प पर नही मिलते हैं ।
👌सच्चे सन्त ऐसे इधर उधर घूमते घामते बाह्य क्रियायों में भी नही दीखते
💐उन्हें किसी से मिलकर मीठी मीठी बात बना कर सम्बन्ध बनाना भी नही आता है और न चाहते हैं
▶ ऐसे संत कहीं एकांत में अपने मतलब से मतलब रखते हुए जन समुदाय से दूर भजन म लगे रहते हैं ।
💐ऐसा ही एक स्थान है वृन्दाबन में । जालान बाग़ । जिसका परिचय मुझे धाम में जन्मे होने पर भी अभी 4।5 दिन पहले मिला ।
😢 ये स्थान हरे भरे वृक्षों से पूर्ण । लता पताओं से युक्त एकदम शांत एवम् कहीं यमुना तट पर स्थित है । अभी मेने भी दर्शन नही किये
👌यहाँ भागवत निवास एवम् टटिया स्थान की तरह 40 । 50 सन्त रहते हैं । भजन भजन भजन पर ही केंद्रित हैं । किसी भी भण्डारे म नही जाते हैं
▶ भोजन भी पता नही कहाँ से कौन व्यवस्था करता है । कभी घी घना । कभी सूखा चना । कभी वो भी बना न बना । वाली स्थिति में हैं
💐उस स्थान का नाम है जालान बाग़ । विशुद्ध सन्त वहां रहते हैं । बस भजन ही उनका उद्देश्य है । उनका कोई नाटक नहीं । इन्हें ढूँढना पड़ता है । ये सहज नही मिलते । इसलिए हम कहते हैं कि सच्चे सन्त कहाँ हैं । लेकिन हैं । होते हैं ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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