Saturday 23 July 2016

भगवता का सार

🔴भगवता का सार 🔴

अर्थात सबसे बड़ा भगवान कौन । अथवा भगवान होने के लिए क्या आवश्यक है ।  जिसमें ऐश्वर्य की अधिकता है जिसका बहुत अधिक ऐश्वर्य है वह भगवान हो सकता है लेकिन जिसमें अपरिसीम माधुर्य है ।

🔴जो माधुर्य का स्रोत है जो रस का आधार है जो स्वयं रस है जिसमें माधुर्य कूट कूट के भरा है वह ही सर्वोपरि भगवान है ।और वह माधुर्य हमारे श्यामसुंदर श्रीकृष्ण में है

🛢कष्ण के ही दूसरे स्वरूप द्वारकाधीश में ऐश्वर्य है ऐश्वर्य की अधिकता है माधुर्य की नहीं । लेकिन यहां ब्रिज में माधुर्य की अधिकता है । माधुर्य ही माधुर्य है यहां ऐश्वर्य नहीं ।


💎साक्षात अपनी दो आंखों से कृष्ण के द्वारा

गिरिराज धारण 
कालिया दमन
पूतना वध

⛱आदि एश्वर्य से लबालब भरे हुए कार्य ब्रिज वासियों ने देखें । लेकिन फिर भी कृष्ण को ऐश्वर्य युक्त ईश्वर नहीं माना ।

🎈उन्होंने यही माना के हमारे लाला पर नारायण की कृपा है। यह ईश्वर है । यह नहीं माना ।

🚩भगवान शब्द जो है वह भग से बना है जैसे

बलवान
यशवान
भगवान

भग 6 हैं । जिसमें
श्री है
बल है
ऐश्वर्य है
ज्ञान है
वैराग्य है
शक्ति है

⚫️🔴🔵तो जिन-जिन भगवान में माधुर्य सर्वाधिक है वह ही सर्वाधिक श्रेष्ठ भगवान है

भगवान तो नारायण भी हैं
भगवान वामन भी हैं
भगवान द्वारकाधीश भी है
भगवान नरसिंह भी हैं

🔴लकिन इन सबसे सर्वाधिक माधुर्य हमारे भगवान श्रीकृष्ण में है इसलिए
कृष्णस्तु भगवान स्वयं
भगवान कृष्ण स्वयं भगवान है।

यह भाव है कि
भगवता का सार माधुर्य है ना कि ऐश्वर्य

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚


🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn

भगवता का सार

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