*अनेक प्रकार के मद*
मद कहते हैं अपने पास होने वाली किसी विशेष वस्तु या योग्यता के *भीषण अहंकार* को 😎
👽रुप या सौंदर्य का मद आयु के हिसाब से । *रूप* सौंदर्य फिगर के बिगड़ने से अपने आप कम हो जाता है ।
👺 *दूसरा मद होता है धन का मद* संपत्ति का मद यह मद भी धन् संपत्ति के कम होने पर अथवा अपने से अधिक धन संपत्ति वाले व्यक्ति से मिलने पर थोड़ा ढीला पड़ जाता है
👹तीसरा जो सबसे खतरनाक मद है
*विद्या का मद*
*ज्ञान का मद*
*शिक्षा का मद*
😖यह मद ना तो धन की तरह से कम होता है और ना रूप की तरह से ढलता है । यह मद व्यक्ति में *सदैव* बना रहता है । अपने से अधिक ज्ञानवान से मिलने पर भी । अरे वह क्या जानता है बस थोड़ा लपट दार भाषा में बोलना जानता है । ऐसा बोलने लग जाते हैं हम ।
😏 *हम अपने जमाने के phd हैं* उस समय उंगलियों पर phd हुआ करते थे जाने कितने लोग हमारे पास जिज्ञासाओं के लिए आते हैं । अरे हमारा डंका बजता है । और आज भी कौन है जो हमे नही जानता ।
😫व्यक्ति के हाथ पैर शिथिल हो जाएं दिमाग काम करना बंद कर दें सब *परिस्थितियां विपरीत हो* जाएं लेकिन उसको अपने ज्ञान का मद ज्ञान का अभिमान सदैव रहता है
😩यह ज्ञान का अभिमान छूटना बहुत ही मुश्किल काम है अतः हम लोग सावधान रहें कि यह मद आए ही ना। इसका *बीजारोपण* ही ना हो अन्यथा तो जब बड़ा मजबूत वृक्ष हो जाता है उसको तो आज सरकार भी नहीं काटने देती है।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
मद कहते हैं अपने पास होने वाली किसी विशेष वस्तु या योग्यता के *भीषण अहंकार* को 😎
👽रुप या सौंदर्य का मद आयु के हिसाब से । *रूप* सौंदर्य फिगर के बिगड़ने से अपने आप कम हो जाता है ।
👺 *दूसरा मद होता है धन का मद* संपत्ति का मद यह मद भी धन् संपत्ति के कम होने पर अथवा अपने से अधिक धन संपत्ति वाले व्यक्ति से मिलने पर थोड़ा ढीला पड़ जाता है
👹तीसरा जो सबसे खतरनाक मद है
*विद्या का मद*
*ज्ञान का मद*
*शिक्षा का मद*
😖यह मद ना तो धन की तरह से कम होता है और ना रूप की तरह से ढलता है । यह मद व्यक्ति में *सदैव* बना रहता है । अपने से अधिक ज्ञानवान से मिलने पर भी । अरे वह क्या जानता है बस थोड़ा लपट दार भाषा में बोलना जानता है । ऐसा बोलने लग जाते हैं हम ।
😏 *हम अपने जमाने के phd हैं* उस समय उंगलियों पर phd हुआ करते थे जाने कितने लोग हमारे पास जिज्ञासाओं के लिए आते हैं । अरे हमारा डंका बजता है । और आज भी कौन है जो हमे नही जानता ।
😫व्यक्ति के हाथ पैर शिथिल हो जाएं दिमाग काम करना बंद कर दें सब *परिस्थितियां विपरीत हो* जाएं लेकिन उसको अपने ज्ञान का मद ज्ञान का अभिमान सदैव रहता है
😩यह ज्ञान का अभिमान छूटना बहुत ही मुश्किल काम है अतः हम लोग सावधान रहें कि यह मद आए ही ना। इसका *बीजारोपण* ही ना हो अन्यथा तो जब बड़ा मजबूत वृक्ष हो जाता है उसको तो आज सरकार भी नहीं काटने देती है।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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