Monday, 4 July 2016

सूक्ष्म सूत्र गागर में सागर भाग 15

⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱
सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺

 🔮 भाग 15

💡 जिन्होंने कभी प्रत्यक्ष में
ठाकुर सेवा नही की है
अंग-राग नही किया,
ठाकुर को वस्त्र नही धराये
श्रृंगार नही किया
मन्दिर नही बुहारा-
उनका मानसी सेवा में
प्रवेश कैसे होगा
यह सन्देहास्पद ही है.

💡 सात्विकता से अर्जन किया गया धन
आवश्यक जरूरतों के साथ-साथ
परोपकार और दान में खर्च होता है.
राजसिकता से प्राप्त धन अत्यधिक
भोग, दिखावे, और अय्याशी में
खर्च होता है और
तामसिकता से प्राप्त धन
परपीड़ा, जुआ,नशा, मुकदमा,
रिश्वत और रोग में खर्च होता है.

💡 समस्या की बजाय
समाधान
पर फोकस करें
यदि हम समाधान का हिस्सा
नही है
तो सच मानिये
सबसे बड़ी समस्या हम स्वंय है.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn



💬 फेसबुक पर https://www.facebook.com/dasabhasgirirajnangia
💻 अधिकृत फेसबुक पेज : https://www.facebook.com/ShriHarinamPress
💻 अधिकृत ब्लॉग : http://www.shriharinam.blogspot.in
🖥 वेबसाइट : http://harinampress.com/
📽यूट्यूब चैनल  : https://www.youtube.com/channel/UCP1O_g-hYWlSJVkRiko0qwQ
🎤 वौइस् नोट्स : http://YourListen.com/Dasabhas
📢 ट्विटर पर : https://twitter.com/dasabhas_vbn





No comments:

Post a Comment