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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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🔮 भाग 18
💡 जैसे पंचभूतों में पाँच गुण
एक दूसरे में विद्यमान रहते है जैसे-
1. आकाश में शब्द रहता है
2. वायु में शब्द और स्पर्श रहता है
3. तेज में शब्द, स्पर्श और रूप रहता है
4. जल में शब्द, स्पर्श, रूप और रस हैं
5. पृथ्वी में शब्द स्पर्श रूप रस और गंध हैं ऐसे ही...
💡 1. शांत में शांत रस
2. दास्य में शांत और दास्य रस
3. सख्य में शांत, दास्य और सख्य रास
4.वाात्सल्य में शांत, दास्य, सख्य और वात्सल्य रास
5. मधुर में शांत, दास्य, सख्य वात्सल्य और मधुर रस
ये पाँचो समाविष्ट रहते है. इसलिए
मधुर रस सभी रसो में सर्वश्रेष्ठ है.
💡 बिनु सत्संग विवेकु न होई
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई
गो0 तुलसीदास जी लिखते है कि
सत्संग के बिना "विवेक"
प्राप्त नहीं होता. और यह सत्संग
राम कृपा के बिना सुलभ नहीं है.
कलयुग में इस सत्संग का सच्चा
साधन है सद् ग्रंथों का रसास्वादन.
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
💬 फेसबुक पर https://www.facebook.com/dasabhasgirirajnangia
💻 अधिकृत फेसबुक पेज : https://www.facebook.com/ShriHarinamPress
💻 अधिकृत ब्लॉग : http://www.shriharinam.blogspot.in
🖥 वेबसाइट : http://harinampress.com/
📽यूट्यूब चैनल : https://www.youtube.com/channel/UCP1O_g-hYWlSJVkRiko0qwQ
🎤 वौइस् नोट्स : http://YourListen.com/Dasabhas
📢 ट्विटर पर : https://twitter.com/dasabhas_vbn
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एक दूसरे में विद्यमान रहते है जैसे-
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2. वायु में शब्द और स्पर्श रहता है
3. तेज में शब्द, स्पर्श और रूप रहता है
4. जल में शब्द, स्पर्श, रूप और रस हैं
5. पृथ्वी में शब्द स्पर्श रूप रस और गंध हैं ऐसे ही...
💡 1. शांत में शांत रस
2. दास्य में शांत और दास्य रस
3. सख्य में शांत, दास्य और सख्य रास
4.वाात्सल्य में शांत, दास्य, सख्य और वात्सल्य रास
5. मधुर में शांत, दास्य, सख्य वात्सल्य और मधुर रस
ये पाँचो समाविष्ट रहते है. इसलिए
मधुर रस सभी रसो में सर्वश्रेष्ठ है.
💡 बिनु सत्संग विवेकु न होई
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई
गो0 तुलसीदास जी लिखते है कि
सत्संग के बिना "विवेक"
प्राप्त नहीं होता. और यह सत्संग
राम कृपा के बिना सुलभ नहीं है.
कलयुग में इस सत्संग का सच्चा
साधन है सद् ग्रंथों का रसास्वादन.
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
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