Saturday, 2 July 2016

जीव का स्वरूप

✅    जीव का स्वरूप   ✅   

▶ जीव का स्वरूप है
▶ श्री कृष्ण का दास ।

▶ वह अपने स्वरूप को भूलकर आचार्य बन जाता है
▶ यहां भी पेट नहीं भरता तो वह जगद्गुरु बन जाता है

▶ जगतगुरु में भी पेट नहीं भरता तो वह जगद्गुरु तम बन जाता है
▶ वहां भी पेट नहीं भरता तो मूल जगत गुरु बन जाता है

▶ कितनी विडंबना है
▶ वास्तव में प्रत्येक जीव दासही है

▶ दास और मूल पंचम जगद्गुरु कैसा तालमेल है मुझे तो कम से कम समझ नहीं आता है।

▶ केसी विडम्बना है । अफ़सोस

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚


🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn


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जीव का स्वरूप

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