Friday, 8 July 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 19

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 19

💡 ज्ञान प्राप्त करना या
उपदेश सुनना तभी
सार्थक है जब उसे
आचरण में उतारा जाए
अन्यथा ग्राम्य चर्चा में
और सत्संग में
अंतर ही क्या है


💡 मुझे जरा भी अभिमान नहीं है
यह भी एक प्रकार का
सबसे बड़ा अभिमान ही है.
अतः साधक को
इस अभिमान से भी
बचना चाहिए.

💡 अच्छे और बुरे में से
अच्छे को चुने का ज्ञान
केवल मनुष्य योनि को
प्राप्त है और इसे कहते हैं
' विवेक'. यदि आप विवेकवान
है तो निर्णय आपका!!!

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn




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