Tuesday 19 July 2016

महा अपराध



    *महा अपराध*      

एक होता है *अपराध* दूसरा होता है *महा अपराध*

किसी *वैष्णव* के प्रति / श्री *विग्रह* के प्रति / *नाम* के प्रति / जो दुर्भावना है या लापरवाही है या कटाक्ष है या निंदा है या आलोचना है वह है अपराध ।

और कदाचित जिसकी आप निंदा कर रहे हैं आपको यह अनुमान हुआ कि हम जो उनकी निंदा कर रहे थे वह  इनको पता चल गई है तो रोते हुए 😭😭दो इस्माइली लगाकर और उनसे हम गिड़ गिडा कर माफी मांगने लग गए

हमारे से कोई भूल हुई हो तो आप क्षमा करना हमें माफ करना हमसे गलती हुई हमसे अपराध हुआ ऐसा कह कर उनसे क्षमा मांग लेना और शायद वैष्णव द्वारा क्षमा कर भी देना

लेकिन यह सब करने के बाद भी उस वैष्णव के प्रति दुबारा से अपराध करना निंदा करना आलोचना करना पीठ पीछे फिर भी बुरा भला कहते रहना यह है *महा अपराध*

अपराध का *शमन* तो फिर भी हो जाता है लेकिन महा अपराध का शमन होना बहुत कठिन है क्योंकि एक वैष्णव जो पहले क्षमा कर चुका है

जब उसे मालूम होगा कि क्षमा होने/ मांगने /करने के बाद भी यह अमुक व्यक्ति फिर मेरा मेरे प्रति अपराध करता है और वह जब उनसे क्षमा मांगेगा तो वैष्णव भी संभवता उसे हृदय से *क्षमा नहीं करेगा*

क्योंकि उसे पता है यह अभी *क्षमा* मांगेगा दो 😭😭इस्माइली लगाएगा रोते हुए और घर जाकर फिर राधे राधे श्याम मिलादे शुरू हो जाएगा

अतः हम प्रयास करें कि अपराध ही ना हो और कदाचित जीव हैं हम लोग हमसे *अपराध होते ही हैं* कदाचित अपराध हो ही जाए और हम क्षमा मांग भी ले

तो *क्षमा मांगने के बाद* उस व्यक्ति उस वैष्णव के विषय में यदि हम पुनः निंदा आलोचना करते हैं तो फिर हमारा कल्याण होने की उम्मीद लगभग समाप्त ही है

*अतः सावधान*


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  🐚


🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn


महा अपराध

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