Tuesday, 5 July 2016

सूक्ष्म सूत्र गागर में सागर भाग 16

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 16

💡 आजकल कुछ नए नए साधक
मानसी सेवा की उपासना की
बड़ी-बड़ी बातें करते हैं.
उन्हें अपने श्री गुरुदेव से समझना
चाहिए कि यह मानसी सेवा है क्या?
केवल नए शब्द सुन लेना और
उनका प्रयोग चाहे जहां कर लेना
हास्यास्पद ही है

💡 'मानसी सेवा'
मैं कोई साधक यदि प्रिया-प्रीतम
की होली लीला में प्रवेश कर जाता है
तो इसकी सफलता तभी मानी जाएगी
जब कि साधक का आवेश टूटने के बाद
उसके वस्त्रों पर होली के रंग दिखें.
अन्यथा उसका मानसी में प्रवेश
हुआ ही नहीं ऐसा मानना होगा।

💡 दैन्यता
शब्दों में नहीं-प्रदर्शन में नहीं
आचरण में होनी चाहिए.
आपको प्रयास ना करना पड़े सामने वाला स्वत: अनुभव करे
वह है दीनता.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn


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