Friday, 1 July 2016

एकादशी व्रत

Ekadshi Fast

✅    एकादशी व्रत   ✅   

▶ एकादशी व्रत

▶ दो रीतियों से रखा जाता है
▶ एक तो लौकिक कामना । पाप निवारण  । शाप निवारण । धन प्राप्ति । पुत्र प्राप्ति ।आदि की कामना से रखा जाता ह ।ै उसमें कर्मकांड की प्रमुखता रहती है । कर्मकांड की प्रमुखता रहने से उसमें विधि निषेध एवं पारण के समय पंडितों को दान आदि अनेक ध्यान रखने पड़ते हैं ।

▶ जिसका वर्णन प्राय बाजार में मिलने वाली पांच ₹10 की एकादशी की पुस्तकों में प्राप्त हो जाता है और मुझे उसका कोई भी ज्ञान नहीं है।

▶ दूसरी तरह का जो वैष्णव व्रत है उसका मूल उद्देश्य है भजन भजन भजन । किसी भी प्रकार से हमारा भजन उस दिन प्रतिदिन के भजन से डबल या अधिक होना चाहिए ।

▶ रात्रि में भी जागरण होना चाहिए और जागरण होकर भजन करना चाहिए यानी भजन भजन भजन ।

▶ इस वैष्णव व्रत की कोई विशेष विधि नहीं है अधिकारी भेद से साधक की अपनी अवस्था के अनुसार जिसे जैसी सुविधा हो भजन करना चाहिए ।

▶ भजन अधिक हो। मन में रजोगुण । तमोगुण आदि की वृद्धि ना हो इसके लिए भोजन की छुट्टी ।

▶ थोड़ा बहुत अपने शरीर रक्षा के लिए दूध दही आलू फल आदि खा लिया जाए और भजन में लग लिया जाए।

▶ अब यह तो है शत प्रतिशत है ।  इसमें हम अपने स्तर के अनुसार जैसे भी जितना भी कर पाएं धीरे धीरे करते रहें और भजन को बढ़ाते रहें यही इसकी विधि है

▶ भगवान को एकादशी व्रत बेहद प्रिय है और जो वैष्णव व्रत रख के भजन करते हैं उसे भगवान की प्रसन्नता साधित होती है

▶ एक वैष्णवों को भगवान की प्रसन्नता से अधिक चाहिए भी क्या

▶ इसलिए आज के दिन अन्न न खाते हुए फल फूल आदि पर निर्भर रहते हुए भजन को केंद्र में रखना ही एकादशी की विधि है

▶ वेसे एकादशी में तो जो शास्त्रीय आदेश है वह निर्जल रहने का है और आज बहुत संत निर्जल रहते भी है

▶ लेकिन शायद हम गृहस्थी निर्जल नहीं रह सकते तो हमें छूट दी गई है कि हम कुछ फल फूल खा लें

▶ रही पारण की बात तो पारण के लिए सूर्योदय से लेकर लगभग नौ साडे 9:00 बजे तक का एक समय होता है जो व्रत के साथ लिखा रहता है उस समय के बीच में कुछ अन्य खाकर ठाकुर को प्रणाम कर देना और इस व्रत को प्रणाम कर देना ही पर्याप्त है

▶ किसी भी प्रकार ब्राह्मण भोजन दान दक्षिणा की आवश्यकता नहीं है । फिर भी साधक को अपनी श्रद्धा अपनी अवस्था अपने स्तर के अनुसार यथासंभव जैसा बन पड़े वैसा प्रारंभ कर देना चाहिए और धीरे धीरे उसे आगे बढ़ाना चाहिए

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया  
LBW - Lives Born Works at vrindabn



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1 comment:

  1. एकादशी व्रत के बारे में आपके द्वारा प्रदत्त जानकारी प्रशंसनीय होने के साथ-साथ शेयर करने योग्य हैं। एकादशी व्रत के महत्व की जानकारी सभी को होनी चाहिए। आपकी इस पहल के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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