🔴 निरपेक्ष 🔴
📍निरपेक्ष न हैले न हय भजन 📍
🍎अर्थात निरपेक्ष हुए बिना भजन नहीं होता है कोई भी अपेक्षा रही तो भजन शुरू ही नहीहोना
अपेक्षा अर्थात
🔴अरे अभी क्या है अभी हम थोड़े बुजुर्ग हो जाए हमारी भजन करने की उमर तो हो तब हम भजन करेंगे यह आयु की अपेक्षा
🔴अरे इस घर में झंझट में भजन थोड़ी होता है थोड़ी शांति हो तब भजन करेंगे
🔴अरे अभी तो हम खाते पीते हैं यह खाना-पीना छूटे तब भजन करेंगे
🔴अरे हम वृंदावन में एक कुटिया बनवाएंगे तब वहां जाकर भजन करेंगे
🔴अरे इस झंझट में कोई भजन थोड़ी होता है भजन तो मन में करना होता है भगवान तो मन में बैठा है
🔴इत्यादि अनेक प्रकार की अपेक्षाओं की अपेक्षा करते रहना और भजन प्रारंभ ना करना यह सब बहाने हम रोज़ बनाते हैं
🔴जबकि यह शास्त्र कहता है कि जब तक हम निरपेक्ष नहीं होंगे तब तक भजन प्रारंभ ही नहीं होगा
🔴विशेषकर भजन प्रारंभ करने के लिए हमें सारी अपेक्षाओं को एक किनारे रख कर भजन को तुरंत किसी भी रुप में प्रारंभ कर देना चाहिए
🔴 भजन के प्रभाव से नाम के प्रभाव से श्रद्धा के प्रभाव से सत्संग के प्रभाव से हमारा भजन बढ़ता ही जाएगा हमें मार्ग मिलता ही जाएगा
🔴घर से यदि हम निकले ही नहीं तो चलेंगे क्या । घर से निकल कर चल पडे । गलत सही रास्ता जो भी होगा चलते-चलते हमें पता चल जाएगा
🔴 इसीलिए भजन प्रारंभ करने के लिए किसी समय की किसी देश की किसी अन्य परिस्थिति की इंतजार न करें जैसी भी स्थिति में है भजन तुरंत शुरू कर दें
🔴इसमें कोई अपराध भी नहीं है । किसी प्रकार के अपराध से भी प्रारंभिक अवस्था में डरना नहीं है आप शुरू तो करिए धीरे धीरे आपके सारे विघ्न दूर होते जाएंगे धीरे धीरे सारे दुराचार छूट जाएंगे भोजन शुद्ध हो जाएगा
🔴कलेश समाप्त हो जाएंगे मंगलमय वातावरण हो जाएगा लेकिन ईमानदारी से भजन प्रारंभ करिए और कलयुग में सर्वश्रेष्ठ भजन का स्वरुप है नाम जप या नाम संकीर्तन
🔴नाम संकीर्तन से भी सहज है नाम जप वह भी माला द्वारा या काउंटर द्वारा । अतः सारी अपेक्षाओं को छोड़कर आज ही प्रारंभ करिए
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
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🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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