✅ श्रीवृन्दाबन धामापराध ✅
१. धाम के स्वामी-कृष्ण की निंदा करते हुए वास
२. धाम-वास के बल पर पाप करना
३. धाम का जो महत्व है, वह कल्पना है, बढ़ा चढ़ा कर कहा गया है
४. धाम को एक तीर्थ के सामान मानना
५. व्यापार का अच्छा अवसर होने के कारण धाम - वास करना
६. धाम - धामी में भेद,( धाम कृष्ण का तेज व संधिनी शक्ति है.)
७. धाम वासियों को कष्ट देना, गन्दगी फैलाना
८. धाम में रहने के बहाने से शास्त्र का पालन न करना
९. धाम में लौकिक सुख-दुःख की दृष्टि से हीन भावना.
१०. महिमा सुनाने पर विश्वास न होना.
इन अपराधों के कारण धाम में रहते हुए भी धाम की कृपा प्राप्त नहीं होती
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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will keep in mind sir jai shri radhe radhe
ReplyDeleteजय राधे जय कृष्णा जय हो वृन्दावन
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