शुद्धि
सत्य और न्याय पूर्वक अर्जन से
धन की
ऐसे धन से खरीदे हुए अन्न
से आहार की
यथायोग्य नीति पूर्वक आचरण से
आचरण की
जल - मिट्टी - साबुन आदि से
शरीर की
शुद्धि को बाह्य शुद्धि कहते है |
राग - द्वेष - कपट आदि
विकारों का नाश होकर
अंत:करण
की शुद्धी को अन्तःशुद्धी कहते है
की शुद्धी को अन्तःशुद्धी कहते है
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
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