Sunday 9 October 2011

106. शुद्धि


शुद्धि 


सत्य और न्याय पूर्वक अर्जन से 
धन की 
ऐसे धन से खरीदे हुए अन्न
से आहार की 
यथायोग्य नीति पूर्वक आचरण से 
आचरण की 
जल - मिट्टी - साबुन आदि से 
शरीर की 
शुद्धि को बाह्य शुद्धि कहते है |

राग - द्वेष - कपट आदि 
विकारों का नाश होकर 
अंत:करण 
की शुद्धी को अन्तःशुद्धी कहते है 

JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

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