✅ हमारा शरीर : तीन सिम वाला मोबाईल ✅
▶ हमारा शरीर एक मोबाईल है
▶ जिसमे एक नहीं, दो नहीं, तीन सिम लगी हुयी है
▶ आपरटर भी पूरी सृष्टि में तीन ही हैं
▶ न चौथा है, न होगा
▶ नेटवर्क भी तीनो का ही समान शक्तिशाली है
▶ तीनो पूरा जोर लगाकर अपनी और खींचने की कोशिश करते हैं
▶ हमारे शरीर में जब शांति होती है, सद्विचार होते हैं,
▶ धैर्य होता है, भजन होता है, प्रभु का स्मरण होता है तो 'सतोगुण'
▶ वाले नेटवर्क से हमारी कनेक्टिविटी हो जाती है , कभी ऐसे में किसी संत
▶ का नंबर डायल कर लेना.
▶ हमारे शरीर में जब अशांति होती है, चंचलता होती है, कामना होती है
▶ वासना होती है, राग होता है, द्वेष होता है, तो रजोगुण वाले नेटवर्क से
▶ हमारी कनेक्टिविटी हो जाती है.
▶ हमारे शरीर में जब मद होता है, अहंकार होता है,दुष्टता होती है,
▶ हिंसा होती है, तब तमोगुण वाले नेटवर्क से हमारी कनेक्टिविटी हो जाती है,
▶ जैसा हो धन, वैसा हो अन्न, जैसा हो अन्न, वैसा हो मन,
▶ और मन के अनुसार ही शरीर में प्रतिक्रया होती है,
▶ रिश्वत, दुराचार, अन्याय , आदि से अर्जित धन में दूषित वैब्राशन
▶ होने से ही रजोगुण व तमोगुण की उपस्थिति होती है
▶ जैसे एक ही कमरे में एयरटेल , टाटा, आइडिया, एवं अन्य नेटवर्क होते है
▶ लेकिन दीखते नहीं हैं, उसी प्रकार त्रिगुण भी होते हैं और दीखते नहीं है
▶ और काम तो करते ही हैं
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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