Tuesday 18 October 2011

114. कौन क्या चाहता है ?





योगी - 
आत्म स्वरूप का दर्शन 

कर्मी 
स्वर्ग

ज्ञानी - 
ब्रह्म में मिलना 

भक्त - 
प्रभु की सेवा 

jay shri radhe


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