Saturday 22 October 2011

119. बंधन तोड़ना नहीं है





बंधन
तोड़ना नहीं, इसका रास्ता मोड़ना है
अब तक बहिन से राखी बंधवाते थे,अब किसी
संत से भी कंठी बंधवानी है

अब तक संसार से बंधे थे,
रिश्तो से बंधे थे, धन से बंधे थे,
माया से बंधे थे

अब

संसार के स्वामी से बंधना है
भक्तो से बंधना है, भजन से बंधना है
माया से नहीं, मायापति की कृपाशक्ती से बंधना है 
बंधन तोड़ना नहीं, कही और, कही अच्छी जगह जोड़ना है

श्री गुरुदेव से कंठी रूपी पट्टा बंधवा लिया तो
'आवारा' से 'पालतू' हो जाओगे
दुनिया के साथ-साथ दुनिया के स्वामी से भी बंध जाओगे

फिर बंधन तोड़ेगा नहीं, उससे जोड़ने का काम करेगा  

JAI SHRI RADHE

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