Tuesday 18 October 2011

115. स्नेह या प्रेम दो प्रकार का





१. घृत-स्नेह

घी जैसा, घी को अकेला नहीं खाया जा सकता
उसमे बूरा मिलाकर, या घी का परांठा या
हलुआ बनाकर खाया जाता है

२. मधु-स्नेह 

मधु यानी शहद
शहद अपने आप में मीठा होता है
इसमे कुछ मिलाना आवश्यक नहीं, अपने आप में पूर्ण है

JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ नांगिया
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

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