Wednesday 5 October 2011

94. एक अंधा

✅  एक अंधा   ✅ 


▶ अपने घोड़े पर सवार होकर एक संत- सज्जन नगर से

▶ अपनी कुटिया पर जंगल की और जा रहे थे

▶ अचानक एक अंधा पुरुष सामने आ गया , वह कहा रहा था-

▶ 'भाई कोई इस अंधे को उसके घर तक पहुंचा दे, उसका भला हो',

▶ सज्जन ने उसे अपने घोड़े पर बैठा लिया, और चल दिए

▶ बीच में एकांत आने पर अंधे ने संत को दबोच लिया और घोड़ा छुडा लिया

▶ वह वास्तव में अंधा नहीं था, नाटक कर रहा था,


▶ सज्जन-संत ने कहा-घोड़ा तो में तुम्हे वैसे ही दे देता,

▶ यहाँ सब किया सो किया लेकिन यहाँ बात किसी को बताना मत


▶ 'क्यों'


▶ संत ने कहा - इस वाकये से लोगों का अंधों से विश्वास उठ जाएगा

▶ और फिर कोई भी अंधे की सहायता नहीं करेगा,


▶ संत के तेज से उसका लौकिक अंधापन भी चला गया और अब वह भी

▶ उस संत की कुटिया में उस संत के साथ रहता है.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚

🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚



 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया  
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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