जो बुद्धि द्वारा मन को
और मन द्वारा इन्द्रियों को वश में कर लेता है
वह ऑटो मोड में आ जाता है
वह राग-द्वेष, हानि-लाभ, दुःख-सुख में सामान भाव वाला हो जाता है
वह खाता भी है, सूँघता भी है, बोलता भी है
त्यागता भी है, ग्रहण भी करता है
देखता भी है, सुनता भी है
यानि उसकी सब इन्द्रियां सब काम करती हैं
और वह इनके प्रभाव से परे रहकर इस प्रकार सोचता हुआ
शांत रहता है क़ि - 'ये इनका काम है :अतः कर रही हैं
मुझे इनसे क्या लेना - देना ???
ऑटो मोड़ में इस प्रकार आने पर उसकी सम्पूर्ण चेष्टा
प्रभु की अनुकूल्तामयी सेवा में ही लग जाती है
और वह प्रभु की प्रेमा-भक्ति को प्राप्त कर लेता है
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
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