✅ सबसे श्रेष्ठ मार्ग मेरा ✅
▶ अध्यात्म या धर्म के जिस मार्ग पर में चल रहा हूँ, वह ठीक तो है,
▶ लेकिन केवल यही मार्ग है और यही सर्व श्रेष्ठ है-
▶ ऐसा नहीं है,
▶ मार्ग और भी हैं, श्रेष्ठ भी हैं
▶ में जहाँ हु, लगा रहूँ और अपने दिल-दिमाग के रस्ते खुले रक्खूं
▶ तो श्रेष्ठता की और बढ़ता रहूंगा ,
▶ अन्यथा मेरी प्रगति यहीं रुक जायेगी
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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